पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/३७९

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( ३४८) (१३) सिकंदर के समय में भारत में मुहासिरा या धरा डालने के समय सुरंगों का व्यवहार हुआ करता था । मिकंदर के समय से पहले भी और बाद भी कौटिल्य जीवित था; इसलियं वह इस शब्द का बहुत अच्छी तरह व्यवहार कर सकता था। इसकं सिवा सिकंदर के समय से पहले ही कुछ, यूनानी भारतीय सीमा पर तथा फारसवालों की अधीनता में पंजाब में रहते थे; क्योंकि भारत में बने हुए फारसवालों के सिक्कों पर यूनानी अक्षर पाए जाते हैं (देखा पहले पृ०२४१)। (१४) अशोक के शिलालेख कहीं यह नहीं कहते कि हम शासन-प्रणाली का गजेटियर दे रहे हैं। जब कि हमें मार्य-काल के और उनसे भी पहन के सिक्के, गहने ( अर्थात् पाटलिपुत्र में मिली हुई बढ़िया सोने की अंगूठी), ढला हुआ लोहा और शीशे की ढलो हुई माहर मिल चुकी हैं, तब क्या कोई व्यक्ति यूनानियों के इस कथन को कुछ भी महत्व दे सकता है कि हिंदू लोग धातुओं को गलाना नहीं जानते थे ? स्वयं यूनानी ही कहा है कि चंद्रगुप्त के सामने बढ़िया गुलदान या गमला रहता था और उसके महल में सोने का एक वृक्ष बना हुआ था। यदि मंगास्थिनीज ने कंवल पॉच ही धातुओं का उल्लेख किया है, तो यही कहना पड़ेगा कि जिस प्रकार और और बातों (जैसं सात जातियाँ, लेखन-कला आदि आदि) के संबंध में उसं बहुत कम ज्ञान था, उसी प्रकार इस संबंध में भी उसका ज्ञान बहुत कम था। सात धातुओं का उल्लंखता खाली यजुर्वेद