पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/३९०

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( ३५६ ) राजनीतिरत्नाकर के उद्धरणों से सूचित होता है कि उस समय कोई नारदीय राजनीति नामक ग्रंथ भी था ( देखो राजनीतिरत्नाकर की प्रस्तावना, १९२४. पृ० ५.)। महाभारत सभापर्व में नारद राजनीतिक ज्ञान के प्राचार्य कहे गए हैं और कामएक को उनका पता नहीं है। इस प्रकार संभवतः नारदीय राजनीति की रचना छठी शताब्दी से पहले और कामंदक के उपरांत हुई होगी। जोली और विटर्निज ते (जोली का अर्थशास्त्र, पृ० ४६.) कामंदक को आठवीं शताब्दी में रखा है, पर उसका समय आठवी शताब्दी नहीं ठहराया जा सकता। वह महाभारत से पहले का है, क्योंकि (१) महाभारत में नारद का उल्लेख है। (२) जिस समय महाभारत (शांतिपर्व ) लिखा गया था, उस समय तक महर्षियों की लिखी हुई अर्थशास्त्र संबंधी पुस्तके नष्ट हो चुकी थीं, पर कामंदक ने उन पुस्तकों का उपयोग जैसा कि ऊपर ( पृ० ६ का अंतिम नोट ) बतलाया गया है । (३) नारद की साधारण शैली (देखो नारदस्मृति*) गुप्त काल की सूचक है। (४) इस संबंध में भवभूति के ज्ञात काल से हमें और अधिक सहायता मिलती है । महा०पं० गण- पति शास्त्री ने (अर्थशास्त्र २. प्रस्तावना पृ०५.) बहुत योग्यता-

- देखो नारद की सिक्कों या मुद्रा के संबंध की व्यवस्था (परि०

५६-६०) जिसका प्रसार पंजाब तक है और जो दीनार तक से परिचित था । किया था,