पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/३९५

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(३६४) शव = संस्कृत। च्यव, आवेस्ता का श्यव । पृ० ११७,-जौहर । जैसा कि कुछ लोगों ने बतलाया है, या तो यह शब्द जतु- घर (महाभारत का जतुगृह या लाख का बना हुआ महल, जो पांडवों को फंसाने और जलाने के लिये बनाया गया था) से निकला है और या इससे भी अधिक उपयुक्त इसकी उत्पत्ति जमघर से जान पड़ती है जिसका अर्थ है मृत्यु या यमराज का घर | कान्हड़ दे प्रबंध ( एक प्राचीन राजस्थानी ग्रंथ ) पृ०६४ में जौहर शब्द का रूप जमहर मिलता है। (मुझे यह बात डा० सुनीतिकुमार चटर्जी ने बतलाई है।) पृ० १२६-"समाज के प्रत्येक व्यक्ति को प्रत्यक्ष रूप से सत देने का अधिकार था;"-नागरिक और अनागरिक । पतंजलि के एक कथन से यह बात स्पष्ट है कि गण में पास और शिल्पी या कारीगर हुआ करते थे; और ऐसे लोगों के लिये नामों के उन विशिष्ट रूपों का व्यवहार नहीं हो सकता था जिनसे यह सूचित होता था कि वे किसी विशिष्ट गय के नागरिक हैं-नैतत्तेषां दासे वा कर्मकरे वा (देखो अपर ६३१. पृ०४८ का दूसरा नोट)। इससे सूचित होता है कि पासों और कारीगरों को मत देने का अधिकार प्राप्त नहीं होता था। मौचिकर्ण लोग अपने राज्य में कोई दास नहीं रखते थे। (इसी लिये मेगास्थिनीज का यह प्रवाद प्रचलित है कि भारत में दास बिलकुल नहीं होते थे।)