पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/३९७

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(३६६) जिस समय कर्णपर्व का ४४वॉ अध्याय लिखा गयाथा, जान पड़ता है कि, उस समय तक वे लोग सनातन धर्म का परित्याग करके कोई दूसरा नया धर्म-कदाचित् बौद्ध धर्म-ग्रहण कर चुके थे; क्योंकि उसमें लिखा है-"वाहीक लोग जो कभी यज्ञादि नहीं करते और जिनका धर्म नष्ट हो चुका है, वेदरहित हैं और उन्हें ज्ञान नहीं है" । शतपथ ब्राह्मण के समय ( १.७. ३.८. ग्रियर्सन कृत Linguistic Survey of India ४. नोट ८.) वे वैदिक धर्म के ही अनुयायी थे और उपनिषद् काल में भी उनका वही धर्म था; क्योंकि एक उपनिषद् में कहा गया है कि श्वेतकेतु धर्म संबंधी शास्त्रार्थ करने के लिये पंजाब गया था। और पाणिनि के समय में भी उनका धर्म वैदिक ही था। पृ०१५०.-मद्र देश। भारतीय मध्य युग में पंजाब और विशेषतः उसका उत्तरी आग सदा मद्र देश कहलाता था। गुरु गोविंदसिंह ने अपने विचित्र नाटक में कहा है कि वे अपनी जन्मभूमि पटने से मद्र देश या पंजाब में लाए गए थे। पृ० १७८-शलाका । संभवतः अँगरेज़ी के Pin शब्द से शलाका का पूरा पूरा आशय नहीं निकलता। विशेषतः हिंदुओं के पासे या अक्ष- शलाका का तो उससे बिलकुल ही अर्थ नहीं निकलता। शलाका वास्तव में लकड़ी के चौकोर और लंबोतरे टुकड़े की होती थी जो बहुत आसानी से मुट्ठी में आ सकती थी।