पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/४२

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1 ( ११ ) ६५ हमने नीतिशास्त्र के ऐसे ग्रंथों को नहीं लिया है जिनमें राजनीति का भी उल्लेख किया गया है। छत्रपति महाराज शिवाजी के गुरु स्वामी रामदास कृत नीति और धर्म दासबोध और गुरु गोविदसिंह कृत हिदी संबंधी ग्रंथ ग्रंथों के संबंध में इस विषय में लोगों में मतभेद हो सकता है; और कुछ लोग कह सकते हैं कि इनकी गणना राजनीति-शास्त्र का विवेचन करनेवाले ग्रंथों में नहीं होनी चाहिए। जो अनेक विचार प्रत्यक्ष रूप से राज- नौतिक जान पड़ते हैं, उनके संबंध मे भी बहुत से विशेष धर्म- निष्ठ यही कहेंगे कि इनका राजनीति से कोई संबंध नहीं है और ये शुद्ध धार्मिक विचार हैं। इसलिये उत्तम यही है कि हम अपने वर्तमान अनुशीलन में इस प्रकार के ग्रंथों को विल- कुल छोड़ ही दें।