पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/४३

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दूसरा प्रकरण समिति वैदिक काल की सार्वभौम संस्था ६ जब हम हिंदू जाति के सब मे प्राचीन साहित्य पर दृष्टिपात करते हैं, तब हमें वेदों से पता चलता है कि विलकुल प्रारंभिक काल में भी~जिसका पता समिति सब लोगों की प्रतिनिधि थी चलता है-राष्ट्रीय जीवन के सब कार्य सार्वजनिक समूहों और संस्थानों आदि के द्वारा हुआ करते थे। इस प्रकार की सब से बड़ी संस्था हमारे वैदिक काल के पूर्वजों की "समिति" थी। समिति का अर्थ है-सव का एक जगह मिलना या एकत्र होना। यह समिति जन-साधारण अथवा विशः* की राष्ट्रीय सभा थी; वैदिक काल में हिंदू समाज जनो अथवा वर्गों में विभक्त था। यथा-अनु, यदु, कुरु। पर साथ ही वे लोग यह भी समझते थे कि हम सब लोग एक ही जाति के है, क्योंकि वे सब लोग अपने पापको आर्य कहते थे। वर्गों के लोग "विशः" कहलाते थे, जिससे वैश्य शब्द निकला है और जिसका अर्थ है--सर्वसाधारण में से एक। वैदिक समाज की बातें जानने के लिये ज़िमर कृत Alt-indisches Leben देखो। इसके अतिरिक्त मैक्डानल और कीथ कृत Vedic Index के अंतर्गत "आर्य" और "जन" आदि. शीर्षक लेख भी देखो।