पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/४४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

( १३ ) क्योंकि हमें पता चलता है कि सब लोगों का समूह अथवा समिति ही राजा का पहली बार भी और फिर से भी चुनाव करती थी। यह माना जाता था कि समिति में सभी लोग उपस्थित हैं। $ ७ इस समिति के द्वारा क्या क्या कार्य होते थे, इस ! बात का पता अनेक भिन्न भिन्न स्थानों से लगाया जा सकता का है। हम अभी ऊपर इस बात समिति के कार्य समिति का उल्लेख कर आए हैं कि । | जो राजा सब से अधिक महत्वपूर्ण कार्य राजा चुननाह भी फिर से चुना एक बार निर्वासित कर दिया जाता था, ये संघटन की दृष्टि से जा सकता था। इस प्रकार राजकी। अथर्व वेद (६.६४.) यह समिति सर्वप्रधान संस्था होती थी की गई है, तथा ऋऋग्वेद मे, जिसमे एकता के लिये प्रार्थ मिति और राज्य की समान ( १०. १६१. ३. ) मे समान सा समितिः समानी ) के लिये नीति या मंत्र ( समानो मंत्रः प्रार्थना की गई है कि सबलोग प्रार्थना की गई हैऔर यह भी ऋग्वेद, १०.१७३.१. अथर्व वेद, विशस्त्वा सर्वा वलल ६ ८७.१ । अथर्व वेद; ६.८८.३ । ध्रुवाय ते समितिः कल्पतामिह प्रवेद; ३. ४.२ । त्वां विशो वृणता राज्याय अथर्व १३. ३.४.५. और $ २०४ । इसके अतिरिक्त देखो अथर्व वेद; ५, १६, १५॥ नामै समितिः कल्पेत । अया प्रकरण देखो । 1 वैदिक राजत्व के संबंध में २३.