पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/६३

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शब्द भी सुरक्षित हैं। इनमें से जिस पहले शब्द ने मेरा ध्यान प्राकृष्ट किया था, वह 'गण' शब्द है। हिंदू साहित्य की जैन शाखा के प्राचारांग सूत्र में मुझे दोरजाशि और गणरायाणि ये दो शब्द मिले थे (२. ३. और १.१०.)* | उस समय मुझे इस बात का ध्यान हुआ कि ये शासन प्रणालियों के व्याख्या- त्मक शब्द हैं। दोरजाणि वे राज्य थे जिनमें दो शासक शासन करते थे। इसी प्रकार गणरायाणि वे राज्य होंगे जिनमें गण या समूह का शासन होता होगा। दूसरे अनेक स्थानों में मुझे केवल गण शब्द ही गय राज्य के स्थान में मिला था। और अधिक अनुसंधान करने पर मेरे इस विचार का समर्थन करनेवाले प्रमाण भी मिल गए कि गण से प्रजा- तंत्र का अभिप्राय लिया जाता था; और उन दिनों इसके जो दूसरे अर्थ प्रचलित थे, (उदाहरण स्वरूप फ्लीट तथा दूसरे विद्वानों ने इसका अर्थ "Tribe" तथा बुहलर ने व्यापारियों अथवा कारीगरों आदि का संघ या सभा किया है ) वे गलत थे। आगे चलकर मुझे यह भी जान पड़ा कि इसी अर्थ में व्यवहृत होनेवाला दूसरा शब्द संघ था। जिन प्रमाणों के आधार पर मैं इस परिणाम पर पहुँचा हूँ, उनमें से कुछ प्रमाण %* अरायाणि वा गणरायाणि वा जुवरायाणि वा दोरजाणि वा वेरजाणि वा विरुद्धरजाणि वा । इन शब्दों के महत्व के संबंध में देखो १०० और १०१। गण राज्य का उल्लेख वराहमिहिर ने भी किया वृहत्संहिता १, १४॥