(५०) ३ त्रिगषष्ठ अथवा छ: त्रिगत्तों का समूह जिनके से नाम किसी प्राचीन श्लोक के आधार पर काशिका ८.). में इस प्रकार दिए गए हैं। (क) कौंडोपरथ, (ख) दांडकी, (ग) कोष्टकी, (घ) जालमानि, (ङ) ब्राह्मगुप्त और (च) जानकी। ६. यौधेय आदि और १०. पच आदि। पाणिनि ने इन संघों को आयुधजीवी कहा है। कौटिल्य ने इसके बदले में इन्हें शस्त्रोपजीवी कहा है। अब प्रश्न यह है कि
- दे० पृष्ठ ४६ का दूसरा नोट ।
आहुस्त्रिगर्तषष्ठांस्तु कौग्डोपरथदाण्डकी । कौष्टकिर्जालमानिश्च ब्राह्मगुप्तोऽथजानकिः ॥ पृ० ४५६. + पर्खादियौधेयादिभ्यामणलौ ॥५॥३॥११७॥ काशिका में, सूत्र के उपरांत, कहा गया है कि इसी १ से आयुधजीवी संघ का विवरण समाप्त होता है। ४, १, १७८ में (जिसे सूत्र १६८ के साथ मिलाकर पढ़ना चाहिए ) पाणिनि ने यौधेय को जनपद कहा है जिसका अर्थ राष्ट्र, देश अथवा राजनीतिक समाज है। पाणिनि के बतलाए हुए पच वाहीक देश मे रहते थे (देखो ३४) और उनमें ब्राह्मण तथा राजन्य लोग थे। पवों का उल्लेख वेदों मे भी है। ६, १. पृ. ५०४-५। ११७८ सूत्र