पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/८२

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( ५१ ) इन शब्दों का अर्थ क्या है। यों पहले पहल देखने में तो यही जान पड़ेगा कि इन शब्दों का अर्थ है--'शन अथवा आयुध के द्वारा अपनी जीविका का आयुधजीवी का निर्वाह करनेवाले'। और माडर्न रिव्यू प्रभिप्राय में प्रकाशित अपने पहले निबंध में मैंने भी इन शब्दों का यही अर्थ लिया था। पर दो कारणों से यह अर्थ ठीक नहीं ठहरता। अर्थशास्त्र में बतलाया गया है कि शस्त्रोपजीवी संघों के विरुद्ध या विपरीत भाववाले राजशब्दोपजीवी संघ हैं। स्वयं कौटिल्य ने ही आगे चल- कर इस संबंध में जा और विवेचन किया है (पृ०३७७), उसके अनुसार राजशब्दोरजीवी का अर्थ है- संघ जिनके शासक राजन् या राजा का शब्द या उपाधि धारण करते हैं। शिलालेखों, सिकों तथा ग्रंथों आदि से हमें पता चलता है कि कुछ भारतीय प्रजातंत्र राज्यो मे चुने या नियुक्त किए हुए शासक राजा की उपाधि धारण किया करते थे। अतः यहाँ 'उपजीवी' का अर्थ 'जीविका निर्वाह करनेवाले' नहीं हो सकता; क्योंकि प्रजातंत्र कभी राजा की उपाधि धारण करके जीविका का निर्वाह नहीं कर सकता। उपजीव क्रिया का एक और प्रसिद्ध अर्थ है जो कौटिल्य के दोनों प्रकार के प्रजातंत्रों के संबंध में बहुत अच्छी तरह लग सकता है। राजशदिभिरवरुद्धमवक्षिप्तं वा......अर्धशास्त्र; १६, पृ० ३७७ । देखो १८ वा प्रकरण और $ ५१.