पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/८७

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( ५६ ) का जो कुछ इतिहास हम लोगों को ज्ञात है, उसके आधार पर कह सकते हैं कि सिंध दश भी वाहीक के अंतर्गत ही था। उदाहरण के लिये क्षुद्रकों और मालवों का कुछ अंश सिंध में भी था* | काशिका में वे वाहीक संघों के उदाहरणो के अंतर्गत रखे गए हैं।। वाहीक देश हिमालय से दूर या अलग था अर्थात् उसमें पहाड़ा प्रदेश सम्मिलित नहीं थे। छः त्रिगत हिमालय पर्वत के ठीक नीचे पंजाब में जम्मू या कॉगड़े के आसपास थे। ६३५. इन सैनिक प्रजातंत्रों के अतिरिक्त पाणिनि ने छः और ऐसे समाजों के नाम दिए हैं जिनके संबंध में दूसरे पाणिनि में और स्वतंत्र साधनों से|| यह पता चलता है प्रजातंत्र कि उस समय उनमे भी प्रजातंत्र शासन प्रचलित था। उनके नाम इस प्रकार हैं-

  • देखो महाभारत कर्णपर्व ४०. ४१. जहाँ मद्रों और सिंधु-

सौवीरो को एक साथ कर दिया गया है। J. R. A. S. १९०३,पृ० ८६५ में विसेंट स्मिथ का लेख देखो। वाहीकेषु य श्रायुधजीविसंघस्तद्वाचिनं...कौंडीवृस्यः। तौद्रव्यः । मालव्यः... पृ० ४५५-६.

  • महाभारत में वाहीक देश हिमालय से दूर या अलग बतलाया

गया है (कर्णपर्व ४४. ६)। पाणिनि ने भी पार्वत्यों को अलग ही लिया है ४.३.११. || यहाँ जिन प्रजातंत्रों के नाम पाए हैं, उनके विवरण के लिये आगे के प्रकरण देखो।