पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/८९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

( ५८ ) ज्ञात थी कि इन सब में भी प्रजातंत्र शासन-प्रणाली ही प्रचलित है। हम आगे चलकर इन सब के संबंध में विचार करेंगे, इसलिये यहाँ इनका विस्तृत वर्णन करने की कोई आवश्यकता नहीं है। ६३६. पाणिनि ने जिन अंधक-वृष्णियों का उल्लेख किया उन पर अलग विचार होना चाहिए। पुराणों के अनुसार ये वही हैं जो सात्वत् हैं। ऐतरेय अंधक-वृष्णी संघ ब्राह्मण के अनुसार सात्वतों में भौज्य शासन-प्रणाली प्रचलित थी, और उनके शासक भोज कह- लाते थे। महाभारत में अंधकों के शासक भोज कहे गए हैं; और स्वय' यादवों का एक उपवर्ग या विभाग भी भोज कहलाता था। वृष्णियों की शासन-प्रणाली में कोई राजा नहीं होता था, इस बात का पता हमें इस दंतकथा से भी लगता है कि उन्हें इस बात का शाप मिला था कि उनमें के लोग कभी राजा के रूप में अभिषिक्त न होंगे। महाभारत के सभापर्व (३७, ५) मे कहा गया है कि दशार्ण वृष्यी लोग राजा-रहित थे। उनका संघ था, इस बात का प्रमाण कौटिल्य से भी मिलता है जिसमे इस बात का उल्लेख है कि प्राचीन काल में द्वैपायन को रुष्ट करने के कारण वृष्णी संघ पर आपत्ति ऐतरेय ब्राह्मण ८, १४. सभापर्व, अध्याय १४; शांतिपर्व, अध्याय ८१.