पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/९०

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( ५६ ) आई धी-। महाभारत में अंधक-वृष्यी संघ के संबंध में एक प्राचीन कथा भी दी गई है। । उनमें कोई प्रजातंत्रो राजा नहीं था, इस बात का प्रमाण उनके सिक्कों से भी मिलता है जो ई० पू० पहली शताब्दी की लिपि में हैं और जो उनके गण के नाम से अंकित हैं।। $ ३७. वृष्णियों के सिक्कों में एक विशेषता है जिसके कारण दूसरे प्रजातंत्रों के सिक्कों से वे पृथक हैं। जिन प्रजातंत्रों में चुना हुआ राजा नहीं होता 'राजन्य' का शासन- प्रणाली में महत्व था, उनके सिक्थे उनके गण के नाम से अंकित होते थे+। जैसे—आर्जुनायनों के गण की जय हो मालवगण की जय हो, यौधेयगण की जय हो। ऐसे यौधेय सिको में एक प्रकार के सिक्के अपवाद रूप भी हैं जो मंत्रघरों और गण दोनों के नाम से प्लेट अर्थशात्र १, ६, ३, पृ० ११. | देखो परिशिष्ट क जिसमे सारी कथा अनूदित और उद्धृत्त है।

  • कनिधम कृत Coins of Ancient India पृ० ७०;

४; जरनल रायल एशियाटिक सोसायटी, १६००, पृ० ४१६, ४२० और ४२२ (रैप्सन )। +कनिधम कृत Coins of Ancient India पृ० ७७, का प्लेट ६-७. विसेंट स्मिथ कृत Catalogue of Coins in the Ind- ian Afuseum, Calcutta. भाग १, पृ० १६६, १७०.