पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/९६

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3 (६५) अंक शब्द का व्यवहार कौटिल्य के समय से, बल्कि उससे और पहले से, कालिदास के समय से, होता आया है। और इसके बाद भी इसका व्यवहार अक्षरों या अंकों आदि के द्वारा अंकित करने के अर्थ में होता रहा है। कौटिल्य में हमे एक शब्द राजांक मिलता है। राजकीय गोशाला के सॉड़ आदि इसी राजांक से दागे या अंकित किए जाते थे। इन सब बातों से सिद्ध होता है कि अंक एक व्यक्तिगत चिह्न है। ई० पू० ४२५-४५० के नेपाल के सिक्कों पर दिए हुए मानांक और गुणांक शब्द भी ध्यान देने योग्य हैं, जिनका अर्थ होता है-राजा मान का अंक या राजा गुण का अंका। प्रजातंत्र राज्यों के सिक्कों पर जो स्थायी तथा बदलते रहनेवाले चिह्न और लेख आदि मिलते हैं, उनका रहस्य भी अंक शब्द का यह अर्थ मान लेने से खुल जाता है। और भी पहले के अंक-चिह्रो से अंकित तथा विना लेखों के जो सिक्के मिलते हैं, उनके संबंध में यही कहा जा सकता है कि संघ संभवतः उन पर अर्थशास्त्र २.२६. पृ० १२६ fणामाङ्किदं। (शकुन्तला)

  • वाल्श द्वारा उद्धत लेवी का कथन । जरनल रायल एशियाटिक

सोसायटी, १०८.पृ०६७८-७६. रैप्सन, Corpus Inscription- um २३. काशिका (पृ० ३०४ ) ने अंको का एक उदाहरण 'नाना' दिया है। कुशन वंश के कुछ सिक्को पर यह 'नाना' अंकित मिलता है। पड़ता है कि काशिका का संकेत इसी लेख की ओर है। जान