पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/९८

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( ६७ ) वह होता था जिसमे छोटी और बड़ो दो प्रतिनिधि सभाएं होती थी और दूसरा वह जिसमे केवल एक ही प्रतिनिधि सभा होती थी। पहली तरह के प्रजातंत्र के लिये पाणिनि ने अनौत्तराधर्य शब्द का व्यवहार किया है और इसके संबंध में यह नियम दिया है कि जो संघ इस प्रकार का होता था, वह काय या निकाय कहलाता था जिसका अर्थ होता है-एक शरीर । पाली में निकाय शब्द इसी प्राथमिक अर्थ मे लिया जाता है और उसका अर्थ होता है-भाईचारा (Childers) | इस बौद्ध भ्रातृमंडल मे केवल एक ही प्रतिनिधि सभा होती थी। जान पड़ता है कि बौद्धो ने यह शब्द राजनीतिक परिभाषा में से लिया था। व्याकरण साहित्य मे इन तीन राजनीतिक निकायों के नाम मिलते हैं-शापिंडि निकाय, माडि निकाय और चिकलि निकायो। जैसा कि हम आगे चलकर ( $४३ ) वतलावेगे, वौद्धों ने अपने वर्ग के लिये राजनीतिक परिभाषा मे से केवल निकाय शब्द ही नहीं लिया था, वल्कि स्वयं संघ शब्द भी उन्होने इसी प्रकार उसमे से ग्रहण किया था। 1 लाया गया है कि संघ का अर्थ, जैसा कि पाणिनि ने सममा और बत- लाया है, राजनीतिक संव या गण देखो इससे पहले का सूत्र ३. ३. ४१. निवामचितिशरीरोप- समाधानेवादेश्च कः। +देखो पाणिनि पर काशिका ६. २. १४ (पृ० ५५६) निकाय की संज्ञा के लिये पाणिनि का यह नियम है-संज्ञायां गिरिनिकाययोः ।