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पृष्ठ:हितोपदेश.djvu/१५

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हितोपदेश २० चहे और कौए की कैसी मित्रता ? मै तुम्हारा भक्ष्य हूँ और मेरे भक्षक ! आग और पानी भी क्या कभी एक साथ रह सकते हैं ? मुझे ऐसी मित्रता नही करनी । कही मेरा भी वही हाल न हो जो हिरण और गीदड़ का हुआ था, हिरण्यक ने कहा। वह कैसे ? मैं भी सुनना चाहता हूँ मित्र ! मुझे भी हिरण और गीदड़ की कहानी सुनाओ, लघुपतनक ने प्रार्थना की। हिरण्यक ने तब यह कथा सुनाई।