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पृष्ठ:हिन्दी काव्य में निर्गुण संप्रदाय.djvu/४७४

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३६२ हिन्दी काव्य में निर्गुण संप्रदाय कारण वह सबसे अधिक पूज्य बन गया। उसने अपने बड़े भाई (दुःखित ब्रह्मा) को वचन दिया कि मेरे अनुयायी तुम्हारो सन्तान का भी आदर व पालन-पोषण करेंगे सबसे छोटे लड़के महेश ने मौन रहना स्वीकार किया जिसके कारण वह अमर योगी बन गया। इन्हीं त्रिदेवों के द्वारा मृत्यु का स्वामी निरञ्जन सारे विश्व पर शासन करता है । निरंजन के मूल कपट से कोई भी नहीं बच सकता, जब तक ज्ञानी ( कबीर ) इस काम के लिए नियुक्त होकर स्वयं उसका उद्धार करना स्वीकार न कर लें। निरंजन ने इन उद्धारकर्ता कबीर को भी धोखा दिया और उनसे वचन ले लिया कि मैं तुम्हारे कार्यों में, सत्य, त्रेता एवं द्वापर युगों में अधिक हस्तक्षेप नहीं करूंगा। इन युगों में कबीर क्रमशः सत्यसुकृत, मुनींद्र तथा करुणामय नामों से विख्यात थे और उन्होंने पहले में केवल राजा धोंधन व खेमसिरी ग्वालिन, दूसरे में भाट विचित्र हनुमान ( हनुमान बोध भा० ५ ), लक्ष्मण ( क्योंकि इसी युग में राम समुद्र पर पुन बाँधकर कबीर की कृपा से लंका पहुँचे थे ) और मंदोदरी (जिसका पति रावण केवल कबीर के शाप ही से मारा गया था ) तथा तीसरे में केवल गढ़ गिरनार की रानी का उद्धार किया था और उसी की प्रार्थना पर उसके पति को भी बचाया था। कलियुग में ये काशी में अवतीर्ण हुए और, उन्हें उस श्वपच सुदर्शन पहचानकर उनकी पूजा की जिसे कृपण के कहने पर युधिष्ठिर ने, अपने अश्वमेध यज्ञ की सफलता के लिए उसके पहले निमत्रित करना आवश्यक माना था। कृष्ण ने अपनी मृत्यु के अनंतर उड़ीसा के राजा इंद्रदमन को स्वम में प्राज्ञा दी कि वह पुरी में जगन्नाथ के लिए एक मंदिर का निर्माण करे। किंतु समुद्र ने राम को अपने ऊपर पुल बाँधने के अपराध को क्षमा नहीं किया था। जिस कारण उसने उक्त मंदिर के निर्माण में बाधा उपस्थित की और, कबीर के इस बीचबिचाव पर कि तुम पुरी के नगर की जगह द्वारका को डुबो लो, वह शांत हो सका। कबीर ने पुरी से अस्पृयता को दूर कर दिया, किंतु गोरखनाथ की धृष्टता