.:. : नासन्ध सूय यज्ञ करते समय जरासन्धको पराजित न कर सकने के | लोगों के वस्त्र रतवर्ण, सर्वाङ्ग चन्दनानुनिल और: कारण यजको होते न देख बोलणकी शरण लो घो। भुजायों पर ज्याचित्र देख रहा है। शरीरको प्राकृति. थोक भोम और अर्जुनके साथ सातक ब्राह्मणके। भो क्षात्रतेजका प्रमाण दे रही है, तथापि पाप लोग वेश धारण कर. जरासन्धको वध करने के लिए मगध देशमें | ब्राह्मण कह कर अपना परिचय दे रहे हैं। अब सच आये। यहां पा कर नारायणने कहा कि-"देखो | कहिये कि आप लोग कौन हैं ?" इस पर करण जलद अर्शन! यह गिरिव्रज अत्यन्त भयसनल है। वह गम्भीर स्वरसे कहने लगे-"नराधिप!' ब्राह्मण, क्षत्रिय देखो ! वैहार, वगह, ऋषभ, ऋषिगिरि भौर: चैत्यक, ये | और वैश्य ये तोनों हो जातियां सातक ब्रत ग्रहण कर पाँचौ पर्वत नगरोके चारों ओर कैसे शोभा दे रहे हैं, ये सकती हैं। इसके विशेष और प्रविशेष दोनो हो नियम - पर्वत हम तरह हैं कि, जिससे अकस्मात् कोई शत्र प्रा हैं। क्षत्रिय जाति विशेष नियमी होने पर धनगालो कर नगरी पर आक्रमण नहीं कर सकता। इसके सिवा होती है और पुषधारी तो अवश्य ही योमान होती है। न्याय युधमें भो जरासन्ध को परास्त करना अत्यन्त कठिन इसीलिए हम लोगों ने पुष्प धारण किये हैं। प्रिय बाहु है। इसीलिए आज हम सब अपने अपने वेशको छोड़ बल बलवान अवश्य है, किन्तु वाग्वोर्थशानी नहीं है। कर ब्रह्मचारी वेश धारण कर यहाँ पाये हैं। वह जो क्षत्रियका बाहुबल हो प्रधान है, इसलिए हम लोग यहाँ तीन भेरियाँ देख रहे हो, उनको राजा वृहद्रथ ने प. युद्धार्थी हो कर उपस्थित हुए है, शीघ्र ही हम लोगोंसे .. रूपधारी देत्यको मार कर उमौके चमड़े से बनवाया था | युध कर पाप क्षत्रियधर्म की रक्षा कीजिये । राजन्! ।। उन लोगो भरियों पर यक घार आघात करनेसे उनमे | वेदाध्ययन, तपोनुहान और युद्दमें मृत्यु होना स्वर्गप्रामि एक मास तक गमोर ध्वनि निकलतो रहती है। अब में कारण.पवश्य है ; किन्तु नियमपूर्वक घेदाधायनादि । समालोग शोध हो उन भरियों को तोड़ डालो।' भोम | नहीं करनेसे.स्वर्ग की प्राप्ति नहीं होती। परन्त यह और अर्जुनने योकणको बात सुन तुरन्त हो भरियों को निशित है कि यह प्राणत्याग करनेमे स्वर्ग की प्राप्ति .. तोड़ डाला। पीछे कष्ण के श्रादेशसे चैत्यमाकारके पाम | होगो । एमलिए देरी न कर गोत्र ही युबमें प्रत्त होगी। .. जा कर उन्होंने सुप्रतिष्ठित पुरातन चैत्यशृङ्गको तोड़ | मैं वासुदेवतमय कण. इ. और ये दोनो योरपुरुष, दिया और अष्टचित्तसे वे मगधपुरमें घुस गये। धोरे | पाण्ड,तनय भीम और पर्नुन है। तुम्हें वध करने के धोरे ये तीनों जरासन्धके पास पहुच गये। सातक | अभिप्रायमे हो हम लोग इस वेशसे, यहाँ पाये है. अब ब्राह्मणका वेश देख कि सोने भो उन्हें न रोका। । समय नहीं है, यौन हो तुम अपने दुश्कतोंके फल भोगने। जरासन्धने उन लोगों को सातक ब्राह्मण समझ मधु के लिए तयार हो जाओ।" जरामन्ध लगाको इस बात को पोष्टि दे कर कुगल पूछा । इस पर श्रोशरणने कहा-"ये | सुन कर बहुत ही कुपित हुए और उसो समय ये योदः, दोनों इस समय नियमस्य हैं, पूर्व राव के व्यतोत होनेसे पेश धारण कर भीमके साथ पाहु-युध महत्त हो गये। पहले ये लोगान योलेंगे।" जरासन्ध क्षण की बात सुन दोनों में धममान युद्ध होने लगा । क्रममा प्रकर्षन, भाकर्षण, उन लोगोंको यनागारमें छोड़ कर खुद अपने घरको चले। अनुकपंग पोर विक्रय धारा एक दूमरे पर पाक्रमण गये। पीछे इन्होंने पाधी रातके समय आ कर मातक करने लगे। युहमें जरासन्धको प्रत्यन्त लान्त देखयो. माणोचित उन लोगों को पूजा को । मोम और पर्जुनने सपने जरासन्धको मारने के प्रमिप्रायमे मोमको यारा पूजा प्राण कर बामणोचित स्वस्तिवाश्यों का प्रयोग कर कर कहा-"ह भोम! अब उन्हें जरासन्धको अपना प्राशीर्वाद दिया। जरासन्धको उन लोगोंके वेश पर | देवयल पीर बाहुवल दिखाना चाहिये ।" का मन्देह एपा, इन्होंने पूछ-"हे विप्रगाप! मैं जानता | णारा पा कर भीमने जरासन्धको धमनिया पोर उन्हें कि सातकगण समा जाते .ममय हो माला या घुमाने लगे. सो वार माने के बाद उन्होंने प्रावधारा चन्दन धारण करते हैं, पन्य समय नहीं ; किन्तु श्राप | पाकञ्चनपूर्वक जरासन्धको पीठ तोड़ दो तथा नि पेपर