पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/१३९

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१२५ नशाबन कहा-"ग्राहादिम मेरी रक्षा करो।" मनुने पहले | नागपाश द्वारा मेरे सोंगसे बांध देना।" - यया मार उसे एक स्फटिकके पाव रख दिया था। किन्तुं पीछे समुदने अपनो मर्यादा छोड़ो। नाव भी वहां पा वह मछलो इतनी बड़ी हो गई कि, उमको रखने के } पहुंची। मनुने उस पर बैठ कर एक प्रायोनिया पति- लिए ममुद्रके मिया कहीं जगह ही न मिली। समुद्र में | वाहित को । पाखिरकार एक धारो नियुत योजन पहुंचने के बाद उम मच्छने मनुमे कहा-"शीघ्र ही विस्टन काचनमय एक मस्य भी उपस्थित पानावको . महाशावन होगा, एक नाप बना कर मतपिं महित तम उमके सो गरो बोध मनु मसाका स्तव करने लगे।" . उममें बैठ पानी।" मनुने भी वैसा ही किया ; नायकी ईसाइयोंके धर्म पन्य बाईचलके मतमे-सृष्टिके १६५६ रम्मो मरसाफे सोंगो से बांध दी। देखते देखते वह नाव वर्ष बाद और प्रमाके जन्ममे २२८३ वर्ष पहले भीषण महाममुट्रमें बह चली। चारों भोर पानी ही पानी दोखने जन्नसायन हुया था। उम ममय महागभीर प्रसवों का लगा। इस तरह अय समस्त जगत जन्लमें हब गया, तब चकनाचूर हो गया था, स्वर्ग के गयाच खुल गये ये पोर उम प्रबल तरल में मनु, सप्तर्षि और मस्साके सिवा और | ४. दिन ४• रात तक लगातार म मलधारमे पानी कुछ भी नजर नहीं पाया। इस प्रकारमे व मच्छ बग्मा । क्रमशः पानी इतना पड़ गया कि, ममम्त पर्व सो नावको लिए हुए अपों घूमते घामते हिमालय पर्वतकी शिखरों मे मी १५ हाथ मंचा हो गया। इसमे म चोटी पर पहुंचा और हमने इंसते मनुमे कहने लगा- जगत्के पस्थिचमधारी समस्त जोगीका ही विनाग को "इम अची गिखरसे शीघ्र ही नावको बाँध दी। में ही गया। प्रत्यादेशले भनुमार नोश ममस्त माणियोके एक प्रजापति विधाता है. तुम लोगों की रक्षा के लिए की एक जोड़े को ले कर एक बहुत बड़ी नाव पर चढ़ गये। मैंने यह मति धारण को है। हम मनुमे ही देवासुर प्रम सिर्फ नोया और उसको नाप के प्राणो हो वप रहे। नरको उत्पत्ति होगी और उमसे ही स्थावर जङ्गम ममु १५० दिन तक यह जल ज्यों का यों रहा, पोछे पर दायको सृष्टि होगी।" ने थियो र हवा चलाई जिससे अल धीरे धोरे घटने ____ भग्नि और मत्स्य नुराणमें लिखा है-एक दिन वैय- स्वत मनु कतमाला नामक नदीमें जा कर तर्पण कर लगा। समुद्र और प्रसवका स्रोत तथा वर्ग के गया बन्द हो गये। वर्षा भी थम गई। नीया २ मा १० रहे थे; एमो समय उनको भन्नती में एक छोटो मक्कली दिन नाव पर चढ़े थे । ७म मासके १७३ दिन नाय पारा . पपड़ी। मालोकयनानुमार मनुने पहले उसे फलसमें, राट पर्वतकी चोटोमे जा लगो । मरे वर्षके पहले दिन फिर जलाशयमें मोर पन्तको शरीर बढ़ने पर समुने मे जन सूबने लगा।दो माम बाद एथियो भी सूख गई। छोड़ दिया। मातीने समुद्र में गिरते ही क्षणमावफे भीतर म प्रकारमे महाजलमायनमे नीयाने रक्षा पाई थी। पपना गरोर लाख योजन विस्त कर लिया। यह देख पीक, पारमी, अमेरिकाके मेक्सिको पोर पेल्यामी मनु कहने लगे-"भगवान ! पाप कौन हैं? प्राप देय | भी जलमायनको कथाका वर्णन किया करते हैं। पूर्वोत देव नारायण है, इममें सन्द नहीं। जमादम ! विवरणोंमें परस्पर घोड़ा बहुत विरोध रहने पर भी, मुझे यो मायाजालमें मुग्ध कर रहे हो?" दम पर मत्स्य- मौकाम चढ़ कर रखा पानिको कथाको ममी म्योकार पो भगवानरी उत्तर दिया-"में दुर्टीका दमम पोर करते हैं। मन देगे। माधुपौकी रक्षा करने के लिए मत्स्यरूप प्रयती दुपा ____ प्रति चीन-भागी करू पिने पपने इतिहास है। पाममे मात दिनसे भोतर भोसर यह निविन लिया:--"म मोपण अमापन पाकाग ममान जब समुद्र के जलने प्रावित हो जायगा। उस ममय अ पामीने ममस्त भुगम पोर सा पर्वतों को यो एक गाय तुम्हारे पाम पायगो। राम' पर समस्म दिगा या। चोम.ममाट, नामको पानामे यहं पानी ओयाँ पक पक दम्पतीको ग्यापन कर समर्पि मे परिमन | हट गया या!" सोमम एक नामी निगा पतिपाहित करना। उम य रोप पनेक भूतात्वविदगए कहा करत हि- ममय में मो उपस्थित होगा। राम उप ममय भोकाको वायसमें जिम जनभावनको कण निषोर, भूरारा