पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/१४१

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१२८ नलभौति-जलयन्वमन्दिर जन्नभोति ( सं० सी०) जलात रोग। 1 "मास्यो कम्मी बाराहो च ददुरी मम्री तया। ... जलभू ( म• पु०) मनस्य भूः भवत्यस्मात् अपादाने | ग्ध अन्तुका चैव सप्तैते मतगतः ।" कि । १ मेघ, बादल ! जल' भूः उत्पत्तिर्यस्य । २ कञ्चट जलमानयन्त्र-नन मापनेका यम्य । (Hydrometer) . शाक, जनचोराईका माग। २ कपूर, कपूर । ( स्ती) | जनमानुप (म. पु. ) परोरनामक कस्पत जलने । ३ जलको आधारभूमि। मकी नाभिसे रूपरका भाग मनपाकासा पोरगांचेका जन्लभूपण (सं० लो०) वायु, इया। मनोहामा होता है। जन्नभृत् (मं० पु०) जल विभति भकिप : मेघ, यादल । | जलमार्ग (म.पु०) जलस्य मार्ग:निगममयः । १ मा २ एक प्रकारका कपूर । ३ नन्त रखने का पान। ली, पानी बहनेको नली। जलीय मार्ग। जनपय! जलमक्षिका (सं० स्तो. ) जलजाता मक्षिका । जनकमिः | जलमाजार (.पु.) जनय माजोरा अनमल. पानोका कोढ़ा। ऊदबिलाव। जन्तम इपिका (सं० स्यो०) शैवाल, सेवार। | जनमोन (म. पु०) मश्यविगेप, एक मानी। जलमगडल (स.पु.) एक प्रकारको वडी मकड़ो । | जलमुच । स• पु. ) जल मुशति मुच्-किय । मेय, सके काटने से मनुष्य मर जा सकता है। | मादल । २ कपूर भैद, एक प्रकारका कपूर। वि.) जलमण्ड क (म ती० ) जन मण्इ कमिव । मंण्ड करव, ३ जलमोचनवार्ता, जल धरनप्तानघाला। मग याद्यकारक एक प्रकारका बाजा जो मेढ़कको जनमुठो (हिं. पती० ) यह मुठो जो जलागय के तट - बोलो जैसा बजता है। | पर पैदा होती है। जलमा, (म. पु०) जन महरिव। मत्स्यरङ्ग' पचो, जनमूर्ति ( स. पु. ) जल मूतिरस्य । गिव, महादेव । मछरंग, कोदिया। अलमतिका (म स्त्रो०) जलस्य मति: घनीमूता. जलमधुक (म पु०) जलजातो मधुकः । मधुकर त, जल-1 कृति: मचाया कन् सतो टाप, । फरका. चोना । . महा। इसके पोय-मल्य, दोघपत्रक, मधुपुष्प, करका देया। चौद्रप्रिय, पनङ्ग, कोरेष्ट गरिफास्य है। इसके गुण- | जलमोद (म. पु. ) जलेन जलमयोगेन मोदयति, मान्य. . मधुर, गोतल, गुरु, वा पीर वान्तिनाग, शुक्र, बल | पाए । उगीर, खस। कारण धीर रसायन है। जलम्बन (मको) नदो, दरिया। पवन, काममा ... जलमय (म० वि०) जलात्मकः जल-मयट१ अन्नपूर्ण, जलयन्त्र (मो .)२ जनाना उत्क्षेषणार्य यन्त्र।। ... पानोसे भरा हुमा । (पु.) २ अन्नमय चन्द्रादि । ३ गियको धारायन्त्र. फोपारा । कूपसे जननिकासीका यस वर एक मूर्ति। यंत जिससे कूएं पादि नोचे स्थानों मे पानो अपर मलममि (म0पु0) जनेमक्षलाकारेण मस्यति परिण- | निकाला या उठाया जाता है। काम भापक घटोयम्स मति मसान् । १ मेघ, बादल । २ कपूरभेद, एक प्रकार भेद, जनयली । भटीयन्त्र देवा। का कपूर जलयम्यग्रह (म.सो.) जनयन्यमिव सी गई जिम . जलमदपा (हिं.पु.) एक प्रकारका मापा। इसके | मध्यस्थित गह, या घर जिसके पारी पोर न हो। : . पसे उत्तरी भारत के महुए के पत्तोंगे बड़े । इसके पर्याय-ममुद्र , अनयन्त्रनिकेतन पोर इस रस रस छोटे काम भगते हैं। सलमपुर देखें।। । यन्दमन्दिर है। अन्तमायका (म. जी.) अमस्पिमा माटशा। जलमिता जलयम्बनितम (म.ली.) जन्वयम्यमियत निके मायद एक प्रकारको देवियाँ जो जनमें रहता है। समाजमयययह। रमको मंग्या मात-मस्सी, का. पागहो, ददरो, जनयन्यमन्दिर (मो .) असयम्बमिर त मन्दिा। मकरो नशा पोर जनाका । ! अतयन्धया