पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/१४२

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. . जलयात्रा-नलवलो १२६ जलयाना (स. स्त्री० ) जलस्य तदाहरणार्थ यात्रा ३१ । जलराक्षसी ( सी) जलस्थिता राक्षमी। लवण्य- अमिपेक आदि शुभ कार्य के लिए जल लामेको यात्रा। समुद्र में स्थित सिंहिका नामकी एका राक्षसी । रामायण- विद्वानों का कहना है कि, जलयात्राके बिना जो कोई शुभ में लिखा है-लवणसमुद्र में सिंहिका नामको एक राक्षो । कार्य किया जाता है, यह निष्फल है रहती थी। आकाशमार्ग से जो प्राणो जाता था. यह जलयात्राका विधान वशिष्ठमंहितामें इस प्रकार उसकी छायाको देख कर उसे मार डालतो थी, इसलिए लिखा है-यजमानको चाहिये कि, पत्नी के साथ जा कर उसके भयमे कोई भी मापी लवणममुद्रके उम पार नहीं आत्मीयस्वजन आदिको बुलावे और अश्व, गज या पैदल जाता था। रावण द्वारा सीताफा हरण किये जाने पर ग्रामको पुष्करिणी, नदो हद वा समुद्र तट पर जा | मौताको वार्ता लाने के लिए हनुमान लवणममुद्रको पार कर उसको गममाल्यादि द्वारा अभ्यर्चना करे । पोहे कर रहे थे। सिंहिकाने हनुमानको छायाको लक्षा उसके तटको गोमय हारा पोत कर उस स्थान पर यव कर आक्रमण किया। हनुमान कामरूपिणो राससोको चूगा या तण्डुलचूर्ण हारा स्वस्तिक और अष्टदलपन मायाको समझ कर अत्यन्त खर्वातति हुए। राक्षमीने पनाना चाहिये । गोतवाद्यादि नानाविध मङ्गलसूचक हनुमानको सहज ही उदरसात् किया। महावीर हनु. ध्वनि करते हुए सौवर्ण, राजत, ताम्ब वा मृण्मय पात्रमें । मानने उदरस्थ हो कर बड़ा शरीर धारण किया और नखा बल भर कर घर लौटना चाहिये । उस जलसे अभिषेक धारा उसके उदरको विदीर्ण कर वे बाहर निकल पाये श्रादि वारना उचित है। इसमे जलराक्षसोको मृत्यु हुई । (रामा० सुन्द. १०) २ राजपूती हारा अनुष्ठित एक अत। चार मास | जलराशि ( सपु.) जलाना राशिः, ६ तत् । १ जल- बाद विष्णुको निद्रा भङ्ग होने पर शुक्ल चतुर्दशीको समूह १२ समुद्र । ३ ज्योतिपशास्त्र के अनुसार कर्कट, राणा प्रादि समस्त सम्भारत राजपूत इदके किनारे जा, मकर, कुभ और मीन रागि। फर अलदेवताको पूजा करते हैं। इस दिन रातको जलरुण्ड (समु०) जलस्य गण्डव । जला दे। जलके जपर नाना प्रकारको रोशनी सजाई जाती है। जलरुह (म लो०) जले रोहति सहक । १ पा, कमल । वैषावोंका ज्येष्ठमामकी पूर्णिमाको होनेवाला | (नि०) २ जलरोह प्राग्यो मात्र, पानोमें रहनेवाला एक वत्सय, इसमें विष्णमूर्ति को शोसन्न जलसे मान | कराया लाता है। जलरूप (स.पु.) जलस्य रूपमिव रूपयस्य । १ मकर जनयान ( को०) अले यायते गम्यतेऽनेन करणे-या राशि। २ जसका श्राकार । एघुट, ७-तत्। जलगमनसाधन नौका प्रभृति, वर जललता (मस्ती ) जले लव तदाकारत्वात् । तर, समारी जी अलमें काम पाती हो। नाव, जहाज पादि। पानीको लहर । जलर ( पु.) अले परसि रह इव । वकपची, बगुला जलमोहित ( पु.) राक्षस विशेष, एक रामसका अलरइन, ( स० पु.) जसे रङ्ग रिम ।१ दात्य स्पधी, नाम । यनमुर्गी। २ परिण। जलयरण्ट (सं• पु. ) जल' रमस्तत् प्रधानो भरण्यः जलरन ( पु.) जले रजति अनुरतो भवति रन जलवसन्त रोग। पच् । मशपक्षी, वगुला। जलवत (म.पु.) १ मेघका एक भेद।२ जन्तरगड ( सं• पु..) मलस्य रगड इव भयजमकत्वात् । जलावत देवी १ जतायन, भंवर २ जलरेणु, पानीका बृद।। सर्प, जलवस्कल ( पु.) जलस्य वल्कल एव । कुम्भिका, .. सापा जन्न भो। जलरस (म. पु) जलजातो रसः जलपधानी रसो वा जलवती (मनो०) जंतजाता जनप्रधाना वालो । लवस, नमक। वाण देना। माटक, सिंघाड़ा। . ___Vol. VIII. 38