पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/१६५

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१४८ जल्पक-सवारवाई २पोडश पदार्थ यादी गौतमने मोला पदार्थों में : जन कु (म'• पु. ) दक्ष वा प्रयोदरादिरशात् माः। अस्पको भी एक पदार्य माना है। उनके मतसे पग्नि । नस्प, विजिगीषु व्यक्तिका परमत निराकरण पूर्वक | जय (स.पु.) अ.अप । १ घेग। समत अयस्यापक एक याक्य है। यह वाक्य शिमलव (दि. पु. ) यव, जी।' द्वारा विजिगोपु व्यक्ति, विवाद पादिक समय परमतका जवन (सं• लो०) जु-भाये स्पट । १ वेग (वि.) वाइन कर अपने मतको पुष्टि करते हैं । (गौतमसुत्र १४१) जु कतरि । २ वेगवान, वेगयुक्त, तेजो। (पु.) ___साद देखो। ३ वेग य क पम्व, तेज घोड़ा। ४ देगपियेप, परय दंग, २ प्रलाप, व्यर्य की बातघोत, धकयाद । पारस देश और यूनान देश । ५ उमा देशोंका रहनेवासा । जस्पक (म० वि०) अस्प स्त्रायें कन् । यकवादी, वाचाल, यपन देखो । ६ न च शातियिगेप, मुमसमानों को एक बातूनी। नाति। पहले ये यवनदेगोत्रय त्रिय थे, बाद मगर जस्पन (में लो०) जस्प भावे स्य ट । वाचालता, राजाने इनके मम्तक मुण्डन कर पन्हें मयं धाम यदि अनर्थ क शब्द, यकवाद । २ डोंग, बहुत बढ़ कर कहो। कार कर दिया । ( हरिवंश ) ० स्कन्द मैनिकमंग एक • दुई बात। मैनिकका नाम । ( मा. ९५२)गिकारी गगं। जस्वना (हि. फ्रि० ) व्यर्थ की बात करना, फिशल यक घोटक, घोड़ा . १० ययदीर पधिवामी। याद करना, डींग मारना। जवनाल-पुन्हरी देशो। जपाईगोड़ो - जलपाईगुड़ी देखें।। जानका ( स्त्री) यवनिका देसी। जस्याक ( म० वि० ) जस्पति जल्प-याकन । बहुकुरिसत. | जवनिमन (.पु.) जय, वेग, तेजी। भापो, बातमो फिजूल वाते करनेवाला, वकवादो। जमनी ( म. स्त्री० ) जयते पाचवायतेऽगया। शुकर इमके पर्याय-वाचाम्न, वाचाद पोर यहुगई य भाफ । लाट् स्तियां डीप । १ अपी। अजवायन जवारम। जल्पित (सं.वि.) जल्पा ! १ उ, कहा पा|२) २ पौषधिभेद, एक प्रकारको दया। ३ ययन सो, मिप्या, झ। मुमतमान औरत । (वि.) ३ वेगगीमा, सेज। जम्योग-कानिकापुराण में वर्णित एफ विख्यात गिय | अयर पामला-बालके पास वावगन हिलेका लिन अश देखो। फसुपा नदोके किनारे पर पथस्थित एक ग्राम । यस जम्पेग-वनान प्रान्सके अलपाईगुड़ो मिलेका एक गांव। पायल और गुड़को रानी होती है। यह पक्षा. २६३१ 3 पीर देशा• ८८ ५३ पू० अवस (म. पु. ) -पसन् । अंग, मेजो। प्रयस्थित है। मोजमल्या प्रायः २.८८ है। कोई नयम ( को०) जयते मना प्राप्यत याममात्न गतान्दो पूर्य यो विहार के राजापाने किमी प्राचीन) कमाथि पच । एण, शाम । मन्दिरको जगह गिवमन्दिर मिना किया था. यह ] जबरकार-गप्पा मग्राममिकी गुत्य है उपरात जरता (जटोदा) मदी किनार मान लगी हैं। उमई पुखरव में यार मिमम पर थे। यही घडे गुम्मटका बाहरी प्यामा ३४ पुट है। गियरायिको कमात् मय हो गई। हम भात पिकरीतम यहा मेला होता है। बसपाईपुरी देखा। १५८१ मयत्म पितो मिहामन पर कर पपनो असा (हिं. पु.) झीम । २ द होम । ३ सान, | मेगावी शोप चलाने की प्रथा धमाई पोर प पयार मानाय। पर पादर करने लगे। म मयोन परमामे वि . असार ( पु.) पातमा मथुपा जिम दोपीको प्रार. मामा पोर मदांग्गव विकमजोम प्रति प्रत्यमा यि Erw Hोती . प्रमाद हाप मारा हो गये। गुराश पादुरके पूर्व रप मर ोिर- पीरारादकिये गये थे। रममिए सारण