पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/१८८

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नशंगौर नूरजहाँ यौं। धीरे धीरे न रनहाने साम्राज्यको प्रधान | दरबारम बैठते थे, तब उनके बगल में परदा डाल दिया प्रधान शक्तियोंको अपने अधिकार कर लिया। कोई भी जाता था और उमको पोट में न रजहाँ बैठतो थी। नर- समानी इनके समान शक्तिशालिनी नहीं हुई हैं। इनके ! जहाँके लिए जहांगोर सब कुछ कर सकते थे। कोई • नामक सिझे भी चलने लगे। जहांगीर बचपन ही से कोई इतिहास लेखक कहते है कि, जहांगीर वादगाइने अफीम और शराब पीनेमें अभ्यस्त थे ; प्रायः सर्वदा ही न रजहांके लिए मुसलमानों को चिर-प्रचलित रोतिको वे शराब पीया करते थे। न रजहांने उनकी भराजको भी छोड़ दिया था-वे न रजहाँक साथ खली बग्धी खुराक घटा दी और उन्हींके प्रयत्नसे उनका सबके सामने पर बैठ कर पागरा राजपथ पर हवा खाते थे। शराब पीना बन्द हो गया। न रजहाँने राजदरबारका बादशाहने १९९१ ई० में सोमान्त प्रदेशीय भमोरोके वा भाडम्बर भार अपव्यय बहुत कुछ घटा दिया । १६ लिए कुछ पानाएं निकालो थीं, जिनसे ये प्रधान हैं- वर्ष तक राजकार्य और अन्यान्य विषयों में न रजहाँको (१) कोई भी झरोखाके मामने न पेठ पायेगा. (२) असीम और अप्रतिहत चमता का परिचय मिलता है। मपराधीको मजा देते ममय उम पन्धा नहीं कर सकेंगे नराहाका १५ वर्ष तकका जोवन-वृत्तान्त ही जहांगीर और न किमीको नाक या कानही काटे जा सकेंगे, का इतिहास है। न रजहां पिताको प्रधान वजीर पीर । (३) पनुसरीको किसी तरहको उपाधि न दे सके। उनके भाई अघुल फजलको प्रतिमाद पाको उपाधि दी (४) वे अपने बाहर जाने के समय किसी तरह का टाक गई।. न वजा सकेंगे। इन्होंने जो प्राजार निकालो थीं, ये मापद हादी (सांगोरके इतिहास-लेखक )का माइन-ए-जहांगोरोके माममे प्रमिद हैं। कहना है कि, कई एक वर्षों में ऐसा हुआ कि, वादपाइने बादशाह अकबरने प्रदेशमें श्रीममानको दमन राजकीय समस्त भार न रजहाँको दे दिया । न रजहान् करने के लिए कई बार प्रयत्न किया था किन्तु लतकार्य मेसा चाहती थी, वैसा ही होता था। जहांगीर प्रायः नही मके ये । जहागीरने इस्लामपको उनके विरुर कहा करते थे--"मैंने अपना राज्य न रजहाँको दे दिया युध करनेको भेजा। इसलामाको अधीनता सुजाता है। मुझे अपने लिए सिर्फ कुछ मद्य और मांस मिलना नामक एक साहसो सेनापति थे। उन्दों के साइम और चाहिये, वही मेरे लिए यथेष्ट है।" युद्धकोशलमे इमलामखोने इस युद्ध विजयलक्ष्मीको मामि 'बादशाहीका ऐसा नियम था कि, वे प्रति दिन सुबह के की। एक बेमाल म गोलीके लगनेमे श्रीसमानकी मृत्यु, वख्त अपने झरोखेके सामने बैठते थे और राज्य के प्रधान होने पर उनके पुनि वादगाहकी अधीनताखोकार कर प्रधान व्यक्ति पा कर उनके प्रति मान्यता प्रदर्शन किया। लो। करते थे। बादशाहने न रजहाँके लिए भी ऐसा ही १६१२ ई०में इसलामौके बादगाह के पाम विजय नियम कायम किया। पमोर उमराव और न रहाको वार्ता भेजने पर मांगोरने उन्हें छह हजारो मुनसफ. पामा को प्रतीक्षा किया करते थे। न रजहांके नामका | {दारका मोहदा दिया और सुनातखांको कम्तमकी जो सिका बनता था, उस पर इस प्रकार लिखा रहता पदवी दी। था-"नागोरके हुक्ममे सि पर न रजहाँका नाम लिख जाने से इसको खूबसूरती हजार गुनी बढ़ गई स वर्ष बादशाहने अपने हायसे मृत रायमिके सभी राजकीय पादपों पर न रजहाँका नाम पुत्र दलपतमि' के नलाट पर रानटीका लगाया। लिषा रहता था और उनकी मुहरके नोचे यह बात पहले हो लिखा जा चुका है कि, १५१.१ में पर लिखी रहती थी कि-"माननीय महारानी न रजहान् | मदनगरम मालिक प्रबरने विद्रोही हो कर भादगाही बगमके कासे । यादगाह न रजहाँका विरह क्षण फौजको परास्त कर दिया था। उस समय मुह भी भर लिए भी नहीं सह सकते थे। जब कभी. राज.] विद्रोही पौर दिनीम मनाको परास्त कर पश्ने धमकी __Vol. VIII. 42