पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/२२२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

माटिलिक-लातक १६ जटिलिक ( म पु० स्त्री० ) जटिलिकायाः अपत्य बतलाते थे। यह जाजा यश प्रधान प्रधान व्यक्तियों के 'शिवादित्वादण । जटिलिकाके पुत्रका नाम। नामानुमार देदा, होयो गलन, अमड़ा, मोड़, हान्ना, जाठ (हिं० पु०) १ तालाब प्रादिके बीचमें गड़ा हुघा वुभ प्रादि बहुतमी शाखानों में विभा है। इनकीवंग सकसीका मंचा और मोटा लट्ठा । २ लकड़ोका वह | बली और इतिहास कच्छ शन्दमें देखो। जचा और मोटा लट्टा जो कोहको कूड़ो बीचमें | जाईराना-एक प्राचीन राजा। ईमाकी प्वों गताब्दीके लगा रहता है। इसके धमने तथा दाब पड़नेमे कोहम | मारम्भमें पारमियोंने मवमे पहले मनानमें पाकर खाली हुई पोजे पेरो जाती हैं। संस्कृत के १५ श्लोकों द्वारा इन राजाके पाम अपने धर्म की जाउ-१ बम्बईके अन्तर्गत विजापुर पोलिटिकल एजन्सी । व्याख्या की थी। पारमा ग्रन्यमि इनका नाम जाड़ेरामा का एक देशीयराज्य । विजापुर देखे।। लिखा है । परन्तु डाकर जे० उद्दलसनका अनुमान है २ उता राज्यका एक प्रधान शहर। यह प्रक्षा•| कि, ये जाईराना मम्भवत: अणहिलवाड़पत्तनके अधी- १७ ३ ३० और देशा० ७५°१६ पू०के मध्य मतारा जर जयदेव या वाणराजा हगि । इन वाणराजाने ७४५ शहरसे ८२ मील दक्षिण-पूर्व, बेलगामसे ८५ मोल | से ८०६ ईस्वी तक राज्य किया था। उत्तर-पूर्व और पूनासे १५० मील दक्षिण-पूर्व में प्रव- | जाध (सं० को०) जड़मा भावः जड़ पई।१ जड़ता, स्थित है। लोकसंख्या प्रायः ५४०४ है। जड़का भाव। २ मूर्खता, देवकूफी। ३पालमा, सुम्ती। जाठर (स.पु.) जठरे भवः पण । १ मठरस्थित पाचक ] ४ अविवेक रूप दुःख, वह प्रानुष्ठानिक अर्थात् वेद. अग्नि. पेटको वह अग्नि जिमकी महायतासे खाया हुआ | विहित कर्मादि जो जापविमोक अर्थात् दुःख द्वारा पद्र श्रादि पचता है। २ कुमारानुघर मालकाभेद, नित्ति नहीं हो सकते है उसीको जाप कहते हैं। कार्तिकेयकी एक माटकाफा नाम | ३ उदर, पट । ४ | जाचारि (मं० पु.) जादमा परिः, ६-तत् । जम्बीर, सुधा, भूख। जम्बौरीनीयू । लाठर (Eि• वि.) १ जठर सबन्धो। २ जो जठरमे बात (मे० वि०) जन कतरिका १ उत्पन, जन्मा एमा। उत्पन्न हो। २ व्यक्ता, प्रकट । भावे । ३ प्रशस्त, पच्श। ४ जिमने नाठराग्नि (हि. स्त्रो.) जठराग्नि देसी। जाग्रहण किया हो। (पु.) ५ जन्म । ६ पारिभाषिक जाठर्य (सं० वि०) जठरे भव: जठर'मा । नठररोगविशेष | पुत्र, जात, पमुजात, पतिजात और पपजात इन घार पेटको एक बीमारी। प्रकार के पारिभाषिक पुर्वोममे एक। ७ पुव, येटा। जाडर (म. पु. स्तो०) जड़ायापत्य जड़-पारक । नड़का | जीव, माणी। जात (हिं० स्यी०) जाति देखो। जाड़ा (Eि. पु०.) वह पातु जिसमें बहुत ठंड पड़तो जात (प० स्त्री० ) शरीर, देह, काया। हो, योतकाल, मरदीका मीमम । जातक (सं० लो०) नात जन्म तदधिपत्य रुतो ग्रन्थः भाड़ा-१ कच्छप्रदेशके जाई जा राजय के एक राजा। इत्यार ततः स्वार्थ कन् वा जानेन गिगोजमना कायति इनके नाम के पनुसार इन्होंके पुत्र लाखने पपने वंगका कै. काशात या उत्पन हुए बालक शुभाएभका नाम जाड़े ना रखा था । कच्छ देखो। निर्णय करनेवाले ग्रन्य। जातकदीपिका, जातकागत, ___ २ वहाखण्डमें कथित पूर्वयाग के एक ग्रामका नाम । जातकतरहिणी, जातफकौमुदी, जातकरवाकर, जातक- बाजा-कच्छप्रदेशको मधान राजपूत पंग मार, जातकागंव, जातकचन्द्रिका, नथुजातक, मा. ये लोग भी तक कच्छपदेशक नामा स्थानों में राज्य तक पादि ज्योतिपर्क पन्योंको जातक कहते हैं। इन कर रहे है । जाई जा लोग पपनको श्रोहणके वंगधर ग्रन्यों में उत्पन्न हुए मालकी नग्नराशि, होग. काम बताते हैं। इनके पूर्य पुरुषगण पपनको गम्मा गरे' पादि तथा उनमें जनमनमे धानका एम होगा या Vol. THI. 50 पुव।