पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/२३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

१८ जपमाला करना चाहिये। मम वेजी, पंगा, रद्राक्ष और ! वामदेव मन्वंपाठ पूर्वक जपमानाको पन्दन, इन्द्रांच मालामे जप नहीं करते। प्रगुरु पीर कपूरमे ले पन करगां चाहिये। फिर प्रत्येक नन्दराज तथा झुमारीकम्पमें कहा है-त्रिपुराके | मणि गंतबार जप कर शहको आती है। उसके बाद । जप, साधन्दम एवं रुद्राक्ष माला, गणेगके अपमें गंज जपमालाको माणमतिठा फर व सपष्टदेवताको पूजा । दन्तनिर्मित माला, वैपाय जपलें तुलसी माला घोर करते हैं। कालिया, शिवमम्ता. त्रिपुरा एवं तारिणो अपमें मंद्रा रुद्रयामल के मतमे विशु के लिये अपमाता बनानो. मालामे काम ले मकते हैं। (किन्तु पुरचरपके मिवा | होतो, यागमय तथा नन्मायोज उधारणपूर्वक "आदि दियसमें रुद्राक्षमाला व्यवहार नहीं करते।) नीलसर- मालिकायै नमः" रूपमे मालाकी पूजा करनी चाहिये। म्तो पोर ताराके जपमें महागामयी मांलाके व्यहार योगिनीतन्वमें लिखा है-मातामस्कार कर देयता . का विधान है। उपयुमा शक्तियों को छोड़ दूंमरो गतिका भाव मिद्धार्य १०८ यार मोम किया जाता है। होम मन्मजप करने में मद्रास नहीं चलता। फर्ण और | धारनेमें अपारंक होने पर हिगुगा पर्यात प्रत्येक मणिमे . नेवासरालो मध्यस्य ललाटास्सि हारा जो माला बनायो | दो सौ बार जप करते हैं। जपके समय शाम्पम होनेमे जामी, महागममयो कहतातो है। सिद्धि हानि; करभट होनसे विनाश और सूब टूटनेसे मुण्डमालातन्त्र के मतानुमार महातान्यिकों के लिये मृत्यू होतो है । अप करने के बाद मानायो कर्ण देग या धूमायतों के जप विषयमें श्मशानजात घुस्तरमाला प्रगम्त उसमे सची जगह रखना चाहिये। है। नाड़ो तया रायाम द्वारा ग्रंथित नराङ्ग लिकी मिग्नलिपित मासे मालाको प.जो कर यनेय यक अस्विमाला भो मर्व कामप्रद होती है। हिपा रखते है- हरिमतिविनाममें लिखा है कि गोपाम अपने " गाले गुगताना सर्वसिक्षिप्रदा मता। पायोजको मालामे मिति पामलकोको मांना मन तेने सत्येन में सिमि देवि मातनमोऽस्तु ये " पभीरपूर्ति पौर शुलमी मालामे पचिरात् मुशि रुद्रयामल मतानुसार शिम माताको मन्त्र द्वारा होता। यथाविधि प्रतिष्ठा नहीं होतो, यह कोई भी फस गहरी संवमें इसको भी व्यवस्था है कि किस प्रकार के सबमें देती। इस प्रकारकी पतिष्ठित मानारी जप करने पर जपमाला पिरोयो जाती है। गौतमीयतवशे मतानुमार देवताको भी क्रोध पाता है। . ग्रासन यायामा हस्तनिर्मित वामसूत्र ही धर्मा पाजकल बातमे पनिडर नोलतन्यथा यचग पहा . काममोघम घोता है। गान्ति, यमो करण, पभिचार, कर कहते हैं-विषयो रहस्य मौजन, गमम, दाम भोर मौत ऐर्य तथा जयलाम के लिये राझा. व पीर मारकर्मम नगे रहते भी मयंदा ममाम र मामा पर्णपासूव व्यवहार्य है। किन्तु दूमरे मय गंगोग लाग्न | फेर सकते हैं। येमे स्थान पर स्फाटिको वा पस्यिमयो सूम ची प्रगत है । सतसे तोन डोरे एक मिसा एक माना धारण करना न चाहिये-मद्राच, पुवीय, स. एक बार जप कर मनिम्मे भूत के योच योष गूटना चन्दनयोस, प्रवाल, पोरं नुनमोको मामा हो प्रगमा पौर प्रावि देमा पाहिये। माना यन शाने पर समका । किन्तु यह ममाण नोलतम्नशमोनमा प्रति मंहार करना पढ़ता है। नवं परमयान पनाकारने पंचाम नहीं मिला। पर गायोता मिure- TOरपोज भारमपूर्वक समर्म मान्दा स्थापन रानी चमते माना पारा पाना मचारिये, रीफिर परिष्लम अन पोर परगण्य दारा योधनसमें शामिहोती और मागे मयोगि पाता। किया जा | उस समय पदमेशा मायर- शि गाने करमालाका अप रहर मकते। म "भो मोगामि तमः । मकार विरोधमे माम म पड़ता जि जप करनेधार्थ ' भरे, मोरे Ki Sोमा म . गमन काम भी करना या पधाराममय