पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/२८

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जमधर-जमपाल चण्डाल २ एक दिन महर्षि जमदग्नि रेणुकाँको व्यभिचार दोपसे | किसी कामका उत्तमतापूवक होना। ८ सर्वसाधारणसे दपित जान कर रुमन्यान् श्रादिको मारवध करने, सम्बन्ध रखनेवाले किसी कामका अच्छी तरह चलने लिए आना दी, किन्तु परशुराम के सिवा कोई भी माट.| योग्य हो जाना। ८ उत्पन्न होना, उपजमा उगना । घध करने के लिए राजी न हुए, इस पर रुमन्यान् प्रादि (पु.) १० वह घास जो पहली वर्षाके बाद सेतों में विष्टकोपमे त्वको माल हुए। परशुरामने पिताका उपजती है। प्रादेश पाते ही कुठाराघातसे माताको मार डाला। जमनिका (हि. स्त्रो.) १ जवनिका, परदा । २ सेवार इससे समंदग्निने राम पर सन्तुष्ट हो कर उनको वर । काई। मानेके लिए कहा। परशुरामने वर मांगा कि-'मेरी अमनोत्री (यमुनोत्तरो-युक्त प्रदेश के टेहरी राज्यका मन्दिर । माता पापमुक्ता और पुनर्जीवित हो नया में सबका पजेय यह ज्ञा० ३१.१ उ० और देशा० ७८.२८ पू० में यमुना होज" इस पर जमदग्निकी उपासे रेणुका फिर जो नदोके उगमस्थलसे ४ मोल नीचे अपस्थित है। जमनोवो गई और रुमन्वान् श्रादिका भी जड़त्व दूर हो गया। बन्दर छ पर्वतके पश्चिम पार्य में ममुद्रपृष्ठभे ३००३१ किसी ममय हैहयराज कार्तवीर्यार्जुन जमदग्निके फुट चे है। मन्दिर छोटा और काठका बना है। इसमें आयममें पाये उस समय प्रायम, जमदग्निके सिवा ) यमुनाको मूर्ति प्रतिष्ठित है पाम हो उ अलके और कोई भी न था। इसी मौके पर नयराज इनको निर्भर हैं। प्रति वर्ष ग्रोम ऋतुमे तीर्थ यात्रो अमनोनी गांय चुरा कर चलते बने। पीछे परशुराम पितामे कार्त- जाते हैं । धीर्य के भाचरणाकी बात सुन कर घंहुत ही कम हुए जमनौता (हिं० पु.) किसो मनुष्यको जमानत करने के और परशहाग होम को कोर्ट की सहसपाहु काट | बदलेमें दी जानेवालो रकम जो जमानत करनेवालेको दी। वीर्य के पौने इसका बंदला लेने के लिए दी जाती है। मुसलमानो राज्यके समय इस तरहकी 'परशुरामको अनुपस्थितिमें प्रायममें जा कर जमदग्निको रकम देनको रिवाज चालू थो। यह रकम करीव ५, मार डाला। इसीलिए परशुरामने २२ बार पृथिवोको ह. संकड़े के हिसावमे दो जाती थी। निविय किया यो। जमपाल च गहाल-एक अहि माणवतको पालन करी- जमदग्नि भो गोतकारक ऋषियों से एक हैं। वाला दृढ़पति चागडाल। जैन पुरा गग्रन्यों में इसकी "अमनिर्भरद्वाजी विश्वामित्रात्रिगोतमाः। कथा इस प्रकार लिखो है- पशिष्ठापात्या मुनयो गौत्रधारिणः ॥" ( मनु) ___ सुरम्य देगके अन्तर्गत पोदनपुर नगरमें राना महा- रेणुका और परशुराम देखें।। बल राजा करते थे । किमो समय वहां हज को दोमारी जमधर (हिं. पु.) १ अमंडाढ़े नाम का हथियार । फेलो और मजा अत्यन्त कष्ट पाने लगो। . रानाको २ एक प्रकारका बादामो कागन । मालूम होते ही उन्होंने शहरमें मनादी करवा दो कि, जमन (सं० लो०)१ भोजन । २ खायट्रय । अष्टाहिका ( कार्तिक, फाला न और पाषाढ़ शला अमन (हिं. पु०) यवन देखो। अटमोसे पूर्णिमा तक पाना जानवाला एक नत के जमना (हिं० कि) किसी तरल पदार्थका गाना होना। दिन में कोई भी जीवहिमा न करे । परन्त राजपुत्र बल. २ एक पदार्थ का दूसरे पदार्थ में दृढ़तापूर्वक बैठ कुमारको मान खानको इतनी चाट पड़ गई थी कि वह जाना!. ३ एकत्र होना, इकट्ठा होना, जमा होना। प्रष्टाझिका दिनों भी न रह सका। एक बगीचे में आ ४ अच्छा प्रहार होना, खूध चोट पड़ना। घोड़े का) कर गुम रीतिसे उसने अपना काम किया, पर तो भी बहुत तुमक ठमक कर चलनां। हाथसे होनेवाले एक सिपाहोने उसको कारवाही देख लो। जब राजा कामका पूग पूरा अभ्यास होना । जैसे-अब तो तुम्हारा को मालूम हुआ कि मेरे हो पुत्रने राजाजाको परवाह हाथ ठीक जम गया है। बहुतमे आदमियों के सामने न कर एक मेढ़े को इत्या को है, तब कोतालको बुला