पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/३०२

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नालक-लालना २६० •फोनदारो मुकदमा विचारक ममय पपने पमुमो परिभाकिमो (म.प्र.) जान मोमममूहम्नम्ति चयंको दिपा करके झूठा परिचय देता मा पन्य याति- पस्या पनि । मत इनिठनौ । पा ५॥२॥१॥२५ । तमो हो। का स्थलाभिषिक्त वन कर मुकदमामें गामिन से पोर | मेयो, भेड़ी। प्रिम वाप्ति के नाममे अपना परिचय देता है, उमका जामकिरप (E. जो०) परतला मिनो एई, माटो कुछ वर्णन करे। तो उमको तोम वर्ग को मजा भोगनो भिमके माय तलवार भी हो। पड़ती है। शासकोट (म'• पु०) जाने पतितः कोटोऽस्य । १ मकर, जिम प्रदेश के लोग जितने पधार्मिक पोर परिव । मकड़ा। मकड़ों के मानमें फगापा कोड़ा। शेम, ठम प्रदेगके लोग उतने हो जालमाज या फरेव नालकोय (म. पु. ) जालकि सा छ । यायममाय । 'ते हैं। पहले भारतवर्ष में जालका कोई गाम भी शासक्षोर्य ( म.सी.) लाले भान के सोर' मा माधुः नहीं जानता था। किन्तु अब धीरे धोरे वैदेगिक जाति-] यत्। सौरविपटवभेद, एक प्रकारका पेस जिममे को मनतिम म देगमें भी जानमालाको संख्या दिनों जहरीला दूध निकलता है। दिन बढ़ती जाती है। नाम्लगर्दभ (म.पु.) रोगविगेप, ए प्रकारका सुद. जसमालोका भयर परिणाम होता है। दानके रोगाम किमी स्थान पर कुछ सूजन हो आलो। ममित वाति महाराज नन्दकुमारने व गवमर रोग दे। हष्टिमको उस्कोचग्राहिताको मह म मकनेके कारण उन- | जान्नगोणिका (मम्मी.) जालयत् गोवाकिया। की दो एक कुकोतियो प्रकट कर दो थौं । म अनन· सायति केक मतो म्यः । दधिमन्यन भाण्डयिगेप, दही मे जन्न कर देटिमने अपनी विजातीय ईर्षाको परि। मथनेमा घड़ा। 'नार्य करने के लिए महाराज नन्दकुमार के नाममे एका जालजीवी (स'• वि.) जालिन जोयितुं गौममय जाल. सास दस्तावेज बनाया पोर उमके जरिये उन्होंने अपने जीव-णिनि । धोयर, मदुपा। 'मिव सर स्लाजारम्पार न्यायालयमे उन्हें फामीका | जासदार (हिं. वि.) जिम जानकी तरह बहुत सम दिखाया था। मानक (म'• को०) जन मंधाण भावे घा, जानेन | जालना-दराबाद राम्पके पोरदामाद मिलेका पूर्व ईपदावरणेन कायति प्रकागते इति के बायें कन् ] सातुक । इमका घेवफल गयर्गमीन पोर मोकमग्या था। परफटकनिका, फनको कटोरो । २ कुमाण्डादि प्रायः ११३४..। म २ नगर पोर २१८ गाय पदफन, पचिरजातफन | मका पर्याय चारक है। पावाद है। मालगुजारो को २ माघ ५० हसार। ए कोरक, कालो। ४ दम्भ, गर्व, पमिमान। ५ कुलाय, महवापारका केन्द्रस्यम। चिड़ियों का घोसला पानाय, जाम। 0 ममूह २ दराबाद राम्यो पोरनापाद जिमेके पमार्गत गोधादि निर्मित लामासति ययिगेप, जान इमी नामकी तहसीलका एक मदर। यह पता. १८: पाकारका एक प्रकारका मा जो चौम पोर मोहिया ५१३. पोर देगा. ०५' ५४ पू में पोरंगाबादमे १८ यगा होता है।८ भूषणविप, एक प्रकारका गहना। मीन पूर्व फुगदमिका नदी किनारे पर पम्मित। १. मोघाफल, ना। (पु.) ११ गवार, करोला। यहाँको मोजमस्या प्रायः २.२८. ५। पादपशि जानकारक (मं.पु०) शान रोनिक मा जाममा योरामचन्द्रत्रीने या नगर स्थापित किया था। कुछ कारको या१मटक, मकड़ा(f.) २जान- काम सक मोसादेयी यहां रहती थी, म ममयमा कारो, भान धमनियामा नाम प्रामकीपर था, पाद किमी धनी मुमममान तातो जातहि (म.पु.) पायुधमोविभेद, सामे पपमो माम पर रम गरका नाम पड़ा। मामा मुमम्मान प्रोविका निर्वाह करवामा माशा रमियामानेरु परम-फजम करकी राममाये ..... .