पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/३३१

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२६६ नावा (यवहोप) विराट काय द्वारपातको मूर्तियां हैं। इम मन्दिरके पाम, मन्तक रस्त हुए मइमाइ दम्पनो मे यमनमरर एक म्यान , जो 'चन्दारप' (सन्दारख१) लाता रक्त पड़े -दहिने पैरके नोघे मोर पोर मार है। नगरि अवतार मग मूर्तियां भी यहां हैं पोर पैरफे नीचे पुरुष ! प्रजापति को ऐमो मूर्ति मचमुन ही उनके गले में पद्मको माना गोभित है। कुछ दूरी पर रहस्य जनक है। अन्यान्य पाहुन स्थानों में ग्रामूर्तिक । मनमान् श्रादि ७ वानको मूर्तियां हैं। एमके मिया नांचे ऐमा नरमियुग नहीं है। किसो किमो स्थानमें अदालम सेकड़ो ममाधिस्य तपस्वियों को प्रतिमूर्तियां वहा चरामख. विभुज पोर पक्षस्वमगडलु हाय विद्यमान है। निग्नभागके सामने पूर्व कालकाय मरिहत । लिए हुए हैं। बहुत जगह गियलिन के मिया पियकी गोश मूर्ति विरा नमान है। मूर्ति है। किमो जगह वे अपभवामन पर किमी २ । लोरोजङ्गम् या दुर्गा-मन्दिर-इम जगह | जगह योगिवेगमें है घोर किमी क्षगह सरपभूपिन, प्रधानतः छ मन्दिर दे में पाते है; और सब टूट गये | नागयज्ञोपवोती एय नूपुराङ्गदमन्हित हैं। उनके दक्षिण । हैं देवकुसुम ममयमें भारतीय भास्करोंने इन मन्दिरी- कर, रुद्राक्षमाला पोर वास करमें कमण्डलु, पामें को बनाया था। पहले यहां २० बड़े बड़े मन्दिर थे। त्रिशूल गड़ा दुपा है। इमो प्रकार कही ये काम प्रत्येकको उपना १०० फुट थो । राफल माइक्का | गिपरके पतुल कारकार्य-मण्डित सिंहामन पर 4ठे पुए कहना है कि उनके ब्राह्मण भृताने दुर्गाको मूर्तिके दर्शन | है. हायमें फुझकोकन है पोर पाम हो गायित पुद्रय करके 'देवो भवानो जगदम्या महामाया" पादि पढ़कर है। यहांका दृश्य देग्युमे कागोको याद पा जाती है। उगका सय किया था पोर महिायश माटाङ्ग प्रणाम ____३। चण्डोगिय या महंस मन्दिर-पतोस मूर्ति गिरपा किया था। का यह विराट, निदान है। धर्म प्राण भारतमासियों के ___ दुर्गादेयोकी मूर्ति प्राय: वनदेगोय महिषमर्दिनीको | लिए देने को वस्तु है । म्यापत्य कोतिम मायदामन्दिरक माहिए। यहां देवीके दोनों पर महिपके ऊपर है। वाद ही महल मन्दिरको स्थान दिया जा सकता। बाये धागे महिषासुरक केगोका गुष्या और दहिने सफल मादध भारतवर्ष और मिमर विरामिड पादि . हाधमे महिपका लागत है। हमके सिवा पौराणिक देख कर, फिर जाया गये थे। किन्तु तो भो म . ध्यान माय यहाको महिषमदिनीका सादृश्य पाया| महन मन्दिर देव कर यह लिना को पड़ा कि-'मैंने . लाना। पृथियोंके किमी भी अंगो ऐसे मनुणका गिप मामने गपिंग-मूर्ति है-इसका निर्माप-न पुण्य, सौन्दयं मण्डित भुषनमोहन विराट कोसिम्तम्भ नहीं देषनमे (यमित होना पड़ता है। गणेश मूर्तिक पाठ देखा। जावाको यदि हिन्दुको राजधानी कहा जाय, मरमुण्ड तथा उनके अनहारो मे १२२१४ नामुण्ड प्रयित तो भी पत्युक्ति नहों।" हैं। एक भोषण मपं उनके गरीरको बैंटित किये | दुगी-मन्दिरमे १३४५ गजको दुरी पर दाल पाममे महसमन्दिर प्रारम्भ मा है: पधिकांग म्यान ___ आयाम प्रम भी दुर्गा पोर गणिगको कुछ कुछ फून निविड़जालाको ६, २८६ मन्दिर पक्ष भो पविक्षम पौर धन्दन मिल जाया करता है। यहां गयको रूपमें पड़े पड़े हिन्दू धर्म की भूतफोति को प्रगट कर राजदेमार, मित्रय या गमि' करते हैं। म रहे हैं। प्रायः मभो मन्दिर एक को पद पर निर्मित स्थान निकट एक २० हायका गिवलिा भग्नायस्याम पोर विचित शिपमुपमा गोभित है। इन मन्दिराम . पहा । मन्दिरी के मभो मिहार पूर्यमुखी । ग्रंधा, विशु पोर महतरकी मूर्ति या विराजमान है। मन्दिर बनो पर पाय देय मूर्तियां हैं, जिनमें प्रत्येक मन्दिर २. हाय अचात पनिरिक मर्यव मामाकी मूर्ति पड़ी रहस्यपूर्ण है। ये परामप, पटभुजा पमख समाधिमग्न योगो, पिपौर मुगेकी मूर्तियां भायम कमाएत सिएपोर पोसले विपरोत दिगाम खोदित । मन्दिरका प्रारप ५४• फुट लम्बा और