पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/५०६

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लनधम ४५५ १ माभाविक पौर २ प्रायोगिक । मेघ पादिमे मो मोमा-पमत टो प्रकार एक पायनिक उत्पब हो, ठमे म्यामायिक और दूमो प्रयोगमे ही रमे, पर दूमरा पापचिक। जो सच्चन पगमारापो सेता प्रायोगिक कहते हैं। प्रायोगिकके चार भेदतमा २ उमे पायनिक मूमल करत। पीर जो सूप्मत्व २ वितत, १ घन पोर ४ गोपिर। चमगे मढ़े एये | नारियन, पाम, वर पादिन ( उत्तरोत्तर) पाया जाता नगाड़ा, मदापादिमे उत्पन हुए गदको सत कहते है.. ठमे पापतिक सत्य कहते । मितारतमूरा.पादिमे उत्पब हुए गदको वितत कहते सोत्य-मोमाकी भांति सोप के भी दो मेद, १ घण्टा पादिमे उत्पन हुए शरको धन कहते ३ चोर १ पात्वशिक पोर पापेक्षिक। अगदत्यायो महासभा महामुरी धादिमे उत्पन्न दुए गन्दको गोपिर फहमेमनी म्य मतासमे पायनिक न्योर पोर पर. पाग, है। अन विहान् गप्प मूर्तिक होने में ग्रामोफोनको नारियन, कटहर पादिन ओ उत्तरोत्तर समता पार पड़ोपादिका हटाना देते हैं। चोर भी पानेक प्रमाणे जाती उमे पाविस म्पोम्य करते मंग्याम- हारा उम्झनि गरदको रुपी मिह किया है। पाशार या पाशतिको मस्थान कहते है। यह दो शा. पुस्तको दूमरी पर्याय बन्ध। पनेक धोनोमें रका २,१ न्यनतप पीर २ प्रगिन्यमाता । गोम, एकपनका जान करानियाले मम्बन्धीविगेपको बम विकोण, चतुष्कोण पानिको रत्वलनान का पोर कहते हैं। बन्यो भो दो भेद १, १ साभाविक पीर wi'य पाझार ऐमा म प्रकार शिल्पी २ प्रायोगिक । स्वाभाविक या दो प्रकारका, एक मके, पेमे जो मय पादिर्श पमेश पाझार र धमकी मादि पर हमरा पनादि। सिन्ध गुणके निमितने पनित्यनक्षा करते । भ६-घर प्रकारका विजमो, मेघ, इन्द्रधनुपादिको मादि स्वाभाविक बन्ध करना पनादिसाभाविक मन्य ( धर्म पम पोर १७'कट.२ , ३ पार. ४ शि. ५ प्रता पोर ६ पण पटन! काठ पाटि पारोमे किये गये दी पापागदप्यम एक एक करके तीन तीन भेद होने) को उत्कट कहते हैं। गेट, जो पादिक पाटे वा मत ८ प्रकारका -१ धर्मास्ति कायबन्ध, २ धर्मास्तिकाय. देगबन्ध, २ धर्मास्तिकायमदेशमन्म, ४ पधर्मास्तिकायन्ध, पा पादिको पूर्ण कर या घट मिल पाक्षिको गल ५ पधादिकाय देगबन्ध, ६ पधर्मास्तिकाय प्रदेगपन्यः । द, मग पादिको दामको चणि का मध परमादिको पाकागामिाकाय पध, ८ पाकायाम्ति काय देशपन्या प्रतर पोर गरम मोहंजो घनमें पोट कर गयो चोर पाकाणास्तिकाय प्रदेगपन्ध। नामम्पन! म्स मिंग निकलने में प.पटम काम- Airकायको विया (विधमकी इच्छा), हरि गैफनेवाने पत्रकारको तम कन। घाया- पर उगका माम धर्मामिाशाय बम तथा पधिको देश जो प्रकारा पायरप सरनेमें कार से उसे हाया और पोषाईको प्रदेश करते है। इसी प्रकार प, म, | करते हैं। हाया दो प्रकारको तर नादिदिकार. पौर पाकाग लिए समझना चाहिए। पुरम थोमें बसी पोर २ प्रतियिम्ममापारिका।वरपादियम भो महान् पाटिके ममान्यजी पेषामे पमादिप ट्रयम मुगादिशी पर्व मति परिमायाको मटि । म कार यद्यपि ममम्त ट्रमि बन्ध, तथापि विकारवतो कापौर जिमम बनदिको परिवतिग या प्रकरण मारपुरमका बम प्रहप किया गया है। सेकर मिर्फ प्रतिविम मावो में प्रतिबममा. भोमर के प्रयोग हो, उमे प्रायोगि' सन्ध की पारिका करते हैं। माप-पकाग्युटको सहकारापान वियित पोरनी को पाप कर्म । पोता , पदयारमार, पुरन पिपयिक पुरस पिपयिक पत्र साचा काठ पादिन पग्नि पयोत पादिगो पोस करने गमगा याहिये। शोष-पुरमविपथिक टोमेद:-- मय पुनशे पर्याए। . शम पग और नहोम बम र Hair पुरम मुयाः दो मामा विभकिपा मरता सीमामा.. .. .. . . } * एफ ए पो माया -पक देशमा