पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/६६५

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.: ज्यामिति जाता है। ज्यामिति नाना भामि विभक है, यथा- म सम्बन्धमे कोई लिखित इत्तान्त नहीं है। ममतन्न घोर घन ज्यामिति, व्ययदक वा वार्षिक कोई कोई कहते हैं, नोन नदीको बादमे प्रति वर्ष जामिति, चिवजामिति (Descriptive Geometry) | जिपवामियोको जमोनका मोमा-निदर्शन विलुम हो और उगतर जगमिति। ममतत्त और धन नामितिमें जाता था। उनको अधिक्षत जमोनको : मोमा पासः मरन रखा, ममतल सेव एवं उमोका धन परिमाण और जिममे उन्हें मदा याद रहे, उनके लिये भूमिको मोमा. अत्तका यिपय वर्णित है। उनतर जामितिम मूनो निर्मायक किमी विद्याके याविष्कार करने में वे याध्य कट, वरावा और उमीको धावलीका विषय | हुए थे। यहो विद्या मामयः परिगोधिन पोर परिस्फुट भालोचित है और चिवजामितिमें परिलेवादिका नियम हो कर वत्त मान ज्यामितिमें परिणत हुई है। . दिदलाया गया है। टो ममसन क्षेत्रके अपर किमी घन.. दूसरे उपाण्यानसे उम लोगो को पता लगता है कि वके तत्वादिका अनुशीलन करना हो जाामिति के एक | भूमि निहारण करने के लिये देवतापाने मनुष्योंको दम विभागका उद्देश्य है । चित्रजयामिति द्वारा अनेक कार्य विद्याको शिक्षा दी है। . . . . . चहत प्रासानोमे मम्मन होता है। इसको कार्यकारिता मोसम (Proclus) उक्लिडको टोकामे लिया है, भी अनेक है। जब कोई ममतलनेत्र किसी दूमरे क्षेत्रमें | कि प्रसिद्ध ज्यामितिविद् धेल्म (Thales .) ने मिय प्रविष्ट हो, तम दोनों के परम्पर ममतलमे विगत वक्ररेखा | मोख कर योममें इस विद्याका प्रचार किया। गोधकी उत्पन्न होतो है । गुम्बज बनाने के ममय चित्रभामितिमे | ग्रोसमें इस विद्याका यथेष्ट आदर होने लगा.। ग्रोकगण पधिक सहायता मिलती है। इसके द्वारा गुम्बजको। एकान्त अायहके माथ इसके अनुशीलनमें प्रयास हुप । उपयोगी बना कर पत्या आदि कटा मा मकता है। थेल्म के अनेक शिष्य हो गये थे। पिथागोरस ( Pythi. वैजिक न्यामिति डेकार्ट (Descarty) में उद्भावित | goras)ने मवमे अधिक उन्नति माधन को है । ये हो मय. हुई है। वैजिक ज्यामितिधारा न्यामितिक क्षेत्रमें वोजः | मे पहले न्यामितिको युक्तिमूलक वैज्ञानिक मोपान में लाये। गणित और सूक्ष्ममान गणितक नियमादि प्रयोग किये पियागोरममे ज्यामितिको बहुतसो प्रतिभा पायिकार की जाते है । वैजिक न्यामिति कभी कभी व्यवच्छेदात हैं। इसलिडझे प्रथम अध्यायको ४७वीं प्रतिज्ञा इनके यह ज्यामिमि नाममे भी पुकारी जातो है । इसके द्वारा ममः शोलनका फल है । पियागोरमके बाद बहुतमे पण्डिताने तम्स पोर पकाचेवका हाल मानम हो जाता है। इस कार्य में हस्तक्षेप किया था, उनमेमे माजोमेनिक ___ ज्यामितिका युनिके साथ अत्यन्त निकट सम्बन्ध पानक्षगोरम ( Anaxiigoras of Clazonnenea) विसो है। पहले केवल ज्यामिति शिक्षामे प्रातरूपमें चिन्ता (Briso), भागिटफो (Antipho), चियमके हिपोक्ष टिस पौर युतिका अनुगोलन होता था। (Hippocrates of Chios), जेमोडोरम (Lencdorus!, . ज्यामितिको उत्पत्तिका निर्णय करना अत्यन्त दुमाध्य | डिमोकिटस ( Democritius), साइरिम थियोडोरम है। जो कुछ हो, म मम्बन्धमें हम लोग निम्नलिम्बित ( thearlorns of Cyrene ) तथा गोपिडिम ( Eno- बातें जानते हैं। pidis ) प्रधान है। बेटो (Pinto) करते थे कि 'हिरोडोटम ( Herototun ) कहते हैं, कि ९४२६. ज्यामिति मत्र विज्ञानका प्रधान और उतर विहान १९५७ १० पृ० मिमीमाविम (Sesotris)के गासमा प्रवेगका मोपानम्वरूप है। घायन्स (Athena) नगरम 'कालको मिय देगमें रम विद्याको प्रथम उत्पत्ति हुई। उनके विद्यालय प्रवेश द्वार पर निम्नलिखित सत्कोण • मिथकी मजाक नपर कर लगाने के लिये मभीक अघि तानेन टेढोण्यमान था-'व्यामिति-अनामित कोई "इस भूपरिमाणका नियय करना भावश्यक जान पड़ा। व्यक्ति इसके अभ्यन्तर प्रवेग न करे" ये ज्यामितिको • उन लोगोंकी जमीन नापने के लिये प्रगामितिका प्रथम विशेषण प्रणालो. ज्यामितिक पयस्थिति पौर मुनी. 'मापात पा । किन्तु जिम या कानटोययामियों का केटफे प्रायिकता है: ठम ममय मा चोकदव