पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/६६७

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ध्यामिति पारस्य दोष भो देखा जाता है। प्रवर अधायकी छठी ३२ प्रधायमें पहले धरायके द्वारा अनुमेय विभुनको... प्रतिभा उम स्थान पर नहीं मिलने पर भी काम चन | गुणावलो वर्णन की गई है। .. मकता था। यह प्रतिज्ञा फिर परोचभाव, १८ प्रतिभा पर्व अधायमें केवल इत्तको सहायतासे प्रति ममा रुपम प्रमाण की गई है।, किडने कोणको जमो नियमित (मममा और ममकोणविशिष्ट) परभुन, मज्ञा और जिम तरह उमका व्यवहार किया है, उममें पड़भुज, पन्द्रह भुजविशिष्ट क्षेत्रका विषय वर्णित है। नीमरे प्रधाायको २१ प्रतिमा अमम्पूर्ण रह गई हैं। धै अधयायमें पायतनका पमपात लिया है। किना उनकै निर्देशानुमार चलनेसे २१वी प्रतिज्ञा २२ ठे प्रधाायमें पक्किडने ज्यामितिक क्षेत्रमै अनुपातका . 'यो को महायताके बिना प्रमाण नहीं को जा मकती। योग और सहदेव का विषय वर्ग न किया है ।: '. ओ कुछ हो, एम पुस्तकमें शुद्धताका उच्च प्रादर्श दिख ७३. अध्यायमें पाटीगणितको मण्या पालोषित है। नाया गया है। ययाय एवं प्रयोजन कल्पना सम्बन्धी तथा दो राशिका महत्तम ममापयत क पोर लाहम निशित एवं अस्प यर्णना, गृहप्ताकाम्बाभाविक नियम. ममापयत्व निकालने को प्रणाली पीर मुनरागिका तत्त भान्समिसान्तका पूर्ण प्रभाव तया प्रथम शिक्षार्थियोंके | प्रमाणित हुआ है। उपयोगी युतिया प्रमाणाटिके लिये यह पुस्तक सभी वें अध्यायमे ग्रन्थकारने दो अखण्ड राशियोंम २ निकट प्रत्यन्त पादरणोय हो गई है। पूर्ण मधा अनुपात स्यापनकी मम्भावना दिखला कर इसलिडने इम पुस्तक के १३ अध्याय लिपिबद्ध किये | क्रमिक ओर मधा अनुपातको पालोचना को है। . थे : गेप दो अध्याय अलेकजेन्द्रियाक दिपमितिम (Hy- अध्याय वर्ग धीर धनमाया ( plane and pricley of Alexanthin )ने मयोजित किये हैं। कोई solid numbers ) पोर दो या तीन पूरिताहविगिर कोई विपसिक्किमको श्री शताय्दोम और कोई हटी संख्याका विषय थर्णित है। इस पध्यायम क्रमिक, पनुपात शताब्दी में विद्यमान बतलाते हैं। घोर मुल रागिका सम्मख देखा जाता है। इसमें मूल प्रथम अध्यायमें ममतलवसम्बन्धोय ज्यामितिकी राशिकी प्रमप्यता पोर पूर्णमस्या निकालनेकी प्रणाली . पावश्यक मजा और स्वीकार्य विषय दिये गये 1 दिखनाई गई है। . पन्यान्य यधायमें भी बहुतसी मजा है। जिम मरला दगर्व अध्याय ११७ प्रतिभा देखो जाती है। इस रेगा और विभुजके माध हत्त अथवा अनुपातका कोई | पध्यायमें कई एक पमम गुणनोयकको पालोचना की संसब नहीं है. उसका विषय प्रम अधायमें लिखा है। गई है। इसमें उकिडने टिग्वलाया है, कि यीजगणित पिथागोरमको विण्यात प्रतिभा प्रम अधायमें मविविष्ट छोड़ कर ज्यामिति धारा भो पनेया कार्य हो मी . है। मिया प्रमोम मरतरेखा पोर निर्दिष्ट केन्द्र हैं। किन्तु वीजगणितमें व्युत्पन घ्यतिके मिवा दूमरा . विगिष्ट पौर निर्दिर स्थानण्यापफ हत्तके विपय लिखे। कोई भो पढ़ने का अधिकारी नहीं है। यह अध्याय परम पधायमें देखा जाता है कि, कम्पास पोर रहन गणितके प्रतिहाम रूपमें पढ़ने योग्य है। ( ruler ) ज्यामितिका पामुपनिक पदार्थ है। ११वें अध्यायमें उन्होंने धन ( Solid ) ज्यामिति 'उकिडने मी पध्यायविभा मरलोखाले पर अर्थात् भिन्न भिय मरनरेखिक और घमवधिषिट यहित ममचतुर्भुज और पायतचेवका विषय 'वर्णन (Plane and solid ligures ) ज्यामितिकी संभा ' किया है। पाटीगणित पीर ज्यामितिका प्रयोग इम निदग को है।' इम अध्याय मरलरेविक हे हिंद पचाय टिबनाया गया है। पममकोण विभुज पचमें | पोर छह मामन्तरान्तिक विधेटिस धमतेवका विषय पियागोरमको पतिज्ञा किम तरह परियसन होतो है, भालोचित पा है। . . 'यह भो रस अध्यायमें देखा जाता है। हम प्रध्यायमे, १२वें पध्याय के इंदित घनघेव, चेपतो, ननाति योजगपिसके पनिक नियम सीखे जा सकते। ! पोर मोधातति घेवका विषय जाना ना सकता है।