पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/६७९

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१ यानिया गा गार प्रिम भाकाम, म्पित का, मक्षस, पन्यान्य पनि उनका परस्पर मम्मन्न मिति तो महमा पाटिनी गति, परिमार, दो पादिका निपय किया है। ३ प्राय जयोसिय-अमर हारा भव HTA | मभोमाराम में स्थित भगोति मम्बन्धी विविध गतिलोन भपयादिका विवरण मानम कोताराम गिपयफ पियाको मोतियथा कही है। पौर जिम पतिरित व्यवहारमोमिपके नामगे मोर भी एक विभाग मामा उमका उपदेश या वर्षम रहता है वही किया जा सकता है, जिसके जरिये मोतिया शोरिपा लाता । न्यान्य गानोंको ना मम्बन्धो नामाप्रकार यन्त अगेसिपिक नियम पोर.गरमा योतिषगामा भी मनुमा नातिको पादिम पयन्याम पर! को प्रक्रिया मानम हो सकती है। प्राततिक्ष प्रोलिय रित और जामोप्रतिक माय मा परिशोधित पौर परि हिमा जाने होरन मियाटिम परिनित हो जोतिदि- परित होकर यसमाम पयस्थाको प्राम पा है। सूर्य की तरह शार्य किया मा मफता है। चन्द्र मया पन्यान्य अयोतियों को प्रलति ऐसी पात पो भारमयीय माचो विज्ञानाने भोगियको माया. पिग्मयजनक है कि, उमकी पोर मधेतन प्राणी मात्रका | रपतः दो भागों में विभाग किया है--कि एक फमित मन पापित होता है। मनुपाको पादिम पयस्या भोतिष पोर मरा मिदास ! भिमफे भरा पहन त्यादि १) पोर मभी जातियों को दृष्टिगई यो और अपनी फामधारादिदेप कर थिपीके प्राणियों को भायोपपाया पानी मुहिक अनुसार सभी जातियाँको इस यासका! पोर मदनामसका निए किया जाता है, उमा . घोडा यहुत मान भी था। पतएयएममें पारार्य नहीं कि नाम फलितजोतिय तथा जिमके दारापट एवं हिन्द कारदोय, मिमर. गीग, गोल, पेरुयीय. ग्रीक पादि पत्रान्तरूपमे गणना करके अपनायादिको गति पोर सभी आतिया पपगेको भोलिपगारका प्रवर्तक सम. मस्यामादिहे नियम, उनको प्रशसि पोर तणन्य फमा. झगो । फलोका दरुपमे मिरुपण किया जाता था भिडाना भारतवर्ष में ये दिक परपि, पार्यभा. यामागुम, बराह ! जोतिय शालाता है। मानम होता . किमो सर मिरि मुनल, भष्टोपस, मेसोरपन, शतानन्द, भोज / पंजौका Astrology और Astronomy ययाप राज, भास्फर, कम्पापचन्द्र पादि, गोसदगम निम, । फनित और सिडामा नयोतिपमिधामा मोतिपको भार• ऐनपिगोरम, मिटियन, अटो, रोषय, पारिटरन। तीय पार्यगगण गणितजोतिप भो कहते थे । मिहामगिरो. मिपिउम पादि । मैमिडनमें पारिटिलम, १. मपि गोलाध्याय, निपा-"विपति - सिड, पाविमडिम. टिपार्फम, सेमी पादि; परवन न्यनम्" पर्यात् गणित या मिशामा मोतिष दो प्रकार अनयर्ट गन, ग्ननियत, सलक पेग पादितथा फिल का है. व्यत पोर पश्यत। जिसमें गणितकी सहायतामे । शाम तमाम यूरोपम पयांच. कंपनर. गानिलियो, रिपत. यानपवादिका पाकार, मस्यान पवार. येग, यमानार. कामिनी, मग टग, ग्रामी. मिथिमी, मोसी. छान के साथ परस्पर मम्पन्ध और मजन्य फनाफनविणेपाली हिमाम्पर,निपट, टमार, तायेत, मात्राम, इय, प्य होता है उसे प्याच पोर तदम्यतरको पश्य कर रीटम भादि प्रसिद्ध मोतिबिंदगए इस गासी महत) प्रति कर गये है। मिसान्त जोसिविदोन फनिमोतिषको निन्दा मोतिषणामाकी सौम भागाम विभक्त किया जा को है। मिनागिरोमणिका मत है कि गणितमाशा माता-पिताोतिष-मसरा पह, मन एकदेगात भातकमरिता: मम्प पशान कर मी पादिक पाकार घोर संन्यापनादि मम्मयो यथार्य तायो- जो पिनमायुभि म मिदास जोतिष भी जाम या पिकारको महायनामे, विगिररूपमे नि किया चितमय राजा पाया काष्ठमय म ममात मा समा। २ मासिक मोतिय-रमरा गगहा मत हि अमक्षामान पहनानादि परमादिको महति पत्रमशो गनि, अंग ना प्यमानको देगा यार यह जानना कि पमुझ ममयम