पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/७३

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प्रो जयराम-लयभन्द जयराम रम नामके बहुतमे अन्यकारों का पता चलता | जयराम ग्यायपक्षामन भाचार्य-एक प्रसिद्ध ' ११ प्रमिन्द मन्नत जोतिर्विदा होने कामधेनु नेयायिक, रामभद्र भाचार्य चाय पोर अमादम प्यारे पदसि, चाकीमुदो, गहगोयर, मुहर्तालासर, रमला गुरु। उन्होंने सयरामीय मामश न्यायपन्य गिरोमणिशन • ' मृत पादि कर एक जोतिय न्यरचे हैं। तत्त्वचिन्तामणिदीधितिको टोका, न्याय समाप्रमोकी ।' २ फामन्दकीय गोनिमारमं यह प्रपना। . टीका, पन्ययायातितत्व, पाकहावाद, उपविधेययोध. ३ कामोखाडके एक टोकाकार। म्यनीविचार, जातिपक्षपाद, प्रतियोगिताबाद, लिपिगि. • ४ दानपन्ट्रि का नाम स्म तिके एक संग्रहकत्ता । प्यवाद, विषयतायाद, . प्यामियादटोका, ममामताद. . . ५ एक पैदान्तिक । नयरामाचार्य पौर विजय सामग्रोयाद, पदाणिमाला, गौतमका न्यायमिता रामाधार्य के नाम भो रमका परिचय मिलता है। न्तमाला नामके माय (मम्वत् २०५०में) इत्यादि मत होंने माध्यमम्प्रदाय के मत विरह पापण्डचपेटिका | प्रन्योंकी रचना की यो। नामक एक युतिपूर्ण गातीय मस्मत गन्य लिखा है। जयरामा-काकन्दोपुराधिपति साप'गोय राजा सुयोग ६ राधामाधवविलास नामक काव्य के रचयिता की प्रधान महिपो पोर नयम मोर्थ हार भगवान पुष्पदन्तः ० गियरामचरिव नामक संस्कृत अन्य के कर्ता को माता। गर्भावस्यामि इनकी मेधा के लिए की . ८ देगोगर मामक गमगतोके एफ टोकाकार। । देवियां नियुमा थों। (जैन आदिपुराग) .. . ८ एज दिम पदित, वलभद्रके पुत. दामोदर | नयलेख (म.पु.) जयपत्र, यह पय जो परामित पुरुष पोय पोर इंगपके गिण । पापने पारस्करग्यधस्वको पपने पराजय के प्रमाप विजयीको लिख देता। मननयसभामा जयवत् (म. वि. ) जयो, विजयो, जोतनेवासा । १० पयामसतानियोको मोपानाता नामक टोकाके जयवन-काश्मीर राज्य की एक पुरानो जगह । यह रचयिता। कुण्ड के लिये विम्यात था। (विक्रमांकर.) पानात सन्दिोको एक कविनको एक कपिता उहत मे जेवन कहते हैं। वह योनगरमे १ कोम दूर। को भातो है। जयवन्त तत्वा एप नामक जैन प्रत्यके एक टोका. "पुर जानरमाते । कार। पर प्रमोद रित सta परत सोठी पावें ॥ जयपन्धनन्दन-एक कवि। ये दिगम्बर जैन पोर कर्मा. हुं टाई होत नात पिछा गहत दुमन पावे। मनन गारत निर लिग साम पेत पितगn |जयपम देव-१ धाराक एक महाराज। ये यगोवादको Ya Ori RRAI नागरी सात पोक कामे पावे।। पुर। भोपालगे प्राप्त सामनेपमें इनका परिचय। ये अपरामन गा मुगुमा गदि सो गुग माये १४४३१ में राजगहो पर मैठे । . अपराम तम्यागोग-द्वारा एक प्रमिा परिणत २ पन्दा ययग एवं रामा । पापने भगवडोसायपर पोर भागवतपुराण-प्रथम जयातीय (म' को.) नर्मदातीरम्प तोगविशेष, घोडसाया मामक दो पग मिले हैं। मर्मदा किमारे एक तोप का नाम RITERATर-सपना गिल पक्ष बहानी गाजयकारिनी (म.पो.) यस्य यस्य वामी । विका पार मारदाचा मानपान पिताका| या मयरममायाँ मप्रामे मा जय दातीति पर. मामयदेव पोर गुरुकामाम गदापर पाये गदार पिनि, सतो डीप गयो, रमापी में, बत शिवामी मिद टीका पिएर परमो EिRI विजयो मेमा। हा पर परिषदेम। अपमद (4• Y०) जपत्रक पद। अपमानित :