पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/८०४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

पा झाँसीकी रानी 1. बाईका !!". यह घोषणा करते हुए दिल्लीको तरफ चल | बड़ीमें भी रानीका पूर्वोक्त.पव , यथास्थान पर च गया . . दिये। रानौने यह मब हाल ब्रिटिश अधिकारियोंको था। मार्टिन साहबने एक पत्र में लिखा है, कि "उन्होंने लिख भेजा। (रानोने) जबलपुरके कमियर मेजर एमस्किन और पागरा. ..: या मिथित है कि रानो लक्ष्मीबाईने गद्दो पानेके | के प्रधान कमिश्नर कर्नल फ्रेजर के पास खिरोता' भेजा .. लिए सिपाहियों का साथ नहीं दिया था। वे नितान्त | था। मैंने यह पत्र अपने हामि पागराके धान कमि- ... निरावलम्ब थीं। उनके लिए रुपये देने के सिवा उन ! यरको दिया था। रानीके पत्रका कमिश्नर माहब क्या उत्तर उत्तेजित सिपाहियों के हाथ से बचनेका और दूसरा कोई देंगे यह जानने के लिए मुझे बड़ी टमकता हुई। परन्तु उपाय ही न था। यदि वे मिपाहियों का साथ ही देती तो झांसोका नाम उनके लिए पहलेमे हो कलादित हो गया , फिर उन्हें अपने अन्नहासदि देने वा अंग्रेज-अधिकारि था। कुछ भी सुनवाई न हुई-रानी अपराधिगी मममी यों के पास खबर भेजनेकी क्या प्रायश्यकता थी। घटना. गई।" . चक्रके प्रभावनीय आवर्तनाने ही उन्हें इस प्रकारमे इस तरह प्रभागिनौका दृष्टचक्र पुन: नोचेकी ओर सिपाहियोंके सन्तोषसाधनमें प्रवृत्त किया था। घूम गया। उनके विश्खम्त कर्मचारियों को हटा दिया सिपाहियों के चले जाने के बाद रानीने गवर्मण्ट द्वारा गया। रानीके पिता मोरोपन्त राजनीतिमें उतने चतुर न . नियोजित फौजदारी सिरिस्तादार गोपालराव प्रादि | थे। दीवान लक्ष्मणराव भी नये थे, इमलिए उनमें भी .. माझान्त व्यक्तियोंको बुलाया और कर्तव्य-निरिणके जितनी चाहिए उतनी कार्य-पटुता वा अभिन्नता न थो। विषयमें परामर्श पूछा। उस समय सागर प्रदेश में कुछ देशको अवस्था से परिचित और मनोभापाफे जानकार गड़बड़ी न थी। इसलिए वहां कमियरको सावधान कोई भी उनको मृत्पगमग देने और मत्मार्ग दिखा. ., करने और मामी विषयमें उनका पादेश चाहनेके | नेके लिए प्रस्तुत न थे । झाँमोके नये बन्दोवस्त के समय लिए पन लिखनेका निथय किया गया । तदनुसार पोरच्छा आदि स्थानों में जो राज्यशासन प्रादि कार्य-

गोपालरावने सम्म गा.घटना सागरके कमिश्नरको लिख के लिए कर्मचारी नियुक्त हुए थे, उनमे भी, रानीका

भेजी। स्वय रानीने भी नाना स्थान के रामपुरुषोको नाश महाव न था। इस प्रकार रानी लक्ष्मीबाईका सम्पूर्ण विवरण लिख कर प्रात्मसमर्पण कर दिया। भविथ चारों भोरसे गाद तमोजानमे पाच्छय था। • झांसीके कमिश्नर कशान पिने माइम लिख गये हैं उत्तेजित सिपाहियोंके पाक्रमणसे झांमोमें ग्रे. . "विश्वस्तरवसे मालूम हुआ है कि रानीने हमारे देशोय | जों का माधान्य विलुप्त हो गया था । रानीने झाँमीफे हम लोगोंके विनाशसे दुःखित हो कर जबलपुरके कमिश्नरको विश्वका विवरण या सम्बाद अन्यान्य स्थानों में ग्रेज - पाव लिखा था। उममें इम वासका उल्लेख था, कि इस विषयः राजपुरुषों को भी दिया था । अग्रेजीकी अनुपस्थितिमें में उनका कोई हाथ नहीं था। जब तक अंग्रेज गवर्मेण्ट | उन्होंने झाँसीका शासनभार ग्रहण किया था। इमो मौके झाँसीके पुनरधिकारका प्रवन्ध न करेगी. तब तक वे ही। पर रानीके सम्पय. सदाशिवराव नारायण झासोको उस राज्यका रासन करेंगी। इस ढगसे पत्र लिख कर | अपने अधिकार में लानेके लिए कोशिश कर रहे थे। सदा. उन्होंने पंजोंमे मित्रता बनाए रखने की कोशिश की थी।", शिवने झामीमे ३: मोलको दूरी पर करेरा नामक एक .. इमसे सिह होता है कि रानीने ब्रिटिश गवर्मटके प्रतिनिधि दुर्ग पर अपना कला कर लिया और यहाँक अप्रेजों को खरूपसे झाँसीको अपने अधिकारमें रकता था। उस समय |· भगा दिया। इसके बाद सदाशिवने पासंवर्ती मामी पर झाँसीमें, गवर्म एटके यहां से कोई पत्र पाने पर, कर्म- अधिकार कर "झाँसोके महाराज". यह उपाधि पहण की। चारियोको अव्यवस्था के कारण उसका बदम्त र उत्तर नहीं इस पर लक्ष्मीबाईने उनके विरुष सेना भेजी। मेमाने दिया जाता था; जिससे रानीका उद्देश्य प्रायः अग्रेज.. मा कर करेराका दुर्ग घेर लिया, जिमसे सदाशिवको .:: राजपुरुषोंके गोचर नहीं होता था। इस तरहको गढ़। गिन्दर राज्यमें भाग जाना पड़ा। यह मा कर वे झांसी Vol. Vim.