पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/८३३

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म मौ-मेलम् : कमी-प्रदेशमै रमाहाबाद मिनेको म मापुर तहमोतः। मेलम्जी भूमि रावलपिण्डीको माई पहाड़ी मरी . का एक गहर। यह पा० २५ २६७० पोर देगा..! होने पर मो ममसल नहीं है मनपर्वत रिमामयको .. ५४ पू. मध्य गढ़ा टमरे किनारे पपस्थित है। लोक एक गाणा हैमोमो प्रदेश पपम्पिनयमांगा • मन्या प्रायः ३३४२ है। इलाहावादक उपकण्ठस्थित दो भागलि विभत हो कर पाम्पर ममान्तर भाषमे । द्वाराग पोरझमोके बीच पार होनेका घाट है। पूर्व मे पयिमको घोर जिनके मेगदालको नाई विस्तान प्रोम कानमें नटीके मोर्ण हो जानेमे बहा गोमेत है । पर्वतके नोचे वितम्तातोरवर्ती ममतम भूमि पत्वम्स . प्रगत होता है । यह नगर पत्यना प्राचीन है। हिन्दू सर्वरा पौर प्रगण्य यहि ग्राम पारा सुगोभिन । पुराणादियगिन केगिनगर या प्रतिष्ठान मी स्थान पर गरिकवर्ण लघणगिरि में स्थान पर दुरारोह है. मयां या। अकबर के समयमें इलाहाशद, झूमी घोर अनाना. जगह जगह धमरवर्ण गरादि धारा परियाप्त है। इस बाद ये तीन नगर इलाहाबाद मूबाके मटर घे। इम पर्वत पर लवणका भाग पधिक पाया जाता है, शहरमें मरकारो विकोणमितिक जीपका एक पंडा इसोमे उसका नाम मयणपर्वत दुपा। पिसमें गव नया प्रथम येणीका थामा पौर डाकघर है। मैण्ट के निरीक्षण में इस पहाड़ी सवा निकाला जाता है। में पना (हि. कि० ) नजिन होना, शरमाना, जाना। श्यामल गुरुमों मे पाच्छादित घाटों को कर घरते हुए मग (हि.पु.) प्रपंच, झंझट, बखेड़ा। मोतोका जल पहले बहुत विशुद्ध रहता है, किन्तु मवणात फेन (हि. सो.) १ बर क्रिया जो पानोम तेरो ममय भूमिके ऊपर पाते पाते बारा हो जाता है। त यह .. पानी घटाने के लिये हाथ परसे की जाती है ।२ रनका जल मीचनेका काम नहीं पाता। उपरोमा दो पता धमा, हिलोग। ३ झेलने की क्रिया या भाव। योगियोंमें एक सुन्दर मालभूमिके अपर चारों पोर झलना( क्रि०) १ ऊपर लेना. बादास करना। पमुश्च पर्व तमे घिरा हुमा क मारकहार इद पयस्थित २ पानीको हाय रमे हिलाना। ३ हेलना, नैरगा। है। इस इद (झोन )के दोनों प्रान्त सम्म विपरीत ४ पचाना, एजम कराना । ५ अग्रसर करना, पागे, भावापन है। एक पोरका दृष्य बहुत कुछ मरमागरकी बढ़ाना, ठेलना, दम्नना। भोसनी (हिं० स्ती०) एक प्रकारको जजोर । यह कानके नाई लयणमय फूल टणगुलम या जलप्राणोषियनित भाभूपगफा भार संभालने के लिये यालोंमें पटकाई जाती है और दूसरा प्रामा प्रशासन सुन्दर च्यामि afr. वेष्टित है। जहां रम प्रादि तरह तरह के जनपती मधुर . भोलम्-१ पञ्चाय के गयनपिण्डो विभागका एक जिला ।। स्वरमि चहचहान है। लपणपर्वतके उत्तर प्रदेश या पक्षा• ३२.२७ से २३१५१० पोर देशा ७२, में उप वन्धुर मानभूमि ६ सया जगह जगह नदी पर्य। २२ से ७३.४८ पूमें पयस्थित है। भूपरिमाण २८५४/ तादि द्वारा व्यवचित्र हो कर पातमें या प्रदेश पगरस वर्गमील है। यह जिला पगिमगे पूर्व तक ७५ मील): पर्वतममाकोण रापनविण्डी के निकट जा कर मिम । नम्या पोर ५५ मोल चोड़ा है, पचाय के ३२ जिलेके गया है। लयंपपर्यत के माय ममकोण कर इस जिलेको । मध्य यह जिना परिमापफलामुमार एवं पीर प्रधिवामी-।, उत्तर-दक्षिणमे बांटनेमे उमके पपिम मागका जल सिन्धौ ... कमप्यायमार १८३ स्थान में है। पशाच प्रदेश और पूर्व मागका जन वितम्ता पा'गिरेगा। या । मे कड़े प्रायः ११० पंग भूमाग पोर ३१८ शपधि वितम्ता गदी जिसके पूर्व पोर दक्षिणभाग, प्राय: १. . यासो एम जिले के अन्तर्गत है। इसके प्रारमें राषन- मीन तक मोमारूप में स्थित है। मनदों में नाव भादि विण्ही जिला, पूर्व में वितस्ता (झलम) नदी, दधिपमें | मतम् मगरमे कुछ दूर तक पा जा सकता है। पिसम्ता नदो पौर शामपुर जिसा तथा परिममें यव पौर सवण-पर्यंत पनेस सरपके मृत्यवान पमित्र पदार मारपुर जिला पम्यित है। मनम् नगरं मामन कार्य पारपूषामा परिपूर्ण है। पषले पच्छे ममर चोर पालिका बनाने और यामिश्यादिका मदर है। . . . . . | योग्य पयरके मिधा यही मिन मित्र प्रकारके पर