पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/८३८

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६७ झापा-मोनी भोपा (हिं पु०) झञ्चा, गुच्छा । . . . | झोडोंमें वाल्यविवाह प्रचलित है । परन्तु वर्ष रेणुजीवित झोझ-मुसलमानको एक जाति । सहरानपुर, मुजफ्फर गण बड़ी उम्र में व्याह करते हैं। .. नगर और बिजनौरमें इनको संख्या अधिक है। बुलन्द- झोपड़ा (हिं. पु० ) झोपड़ा देखो। .. . । गहरके परगना वारनके झोझ अपनेको राठोर, चौहान | झोपड़ी (हि'. स्त्री० ) होपली देखो। . . औरतुपार बतलाते हैं, किन्तु दूमरेके मतानुसार वे हो | झोग (•ि पु०) गुंछा, झब्बा। . . . लोग उन लोगों के गुलाम समझ जाते हैं। अनुपशहरके झोल (हिं. पु०) १ तरकारी प्राधिका गादा रसा. झोझको मुगलों के गुलाम मानते हैं। बरगूजर और प्राम शोरमा। २एक प्रकारको पतली लें जो किमी पक्के ____ पासके राजपूत लोग इन्हें हेय समझते हैं। दोप्राव तथा| पाटेमें ममालें दे कर कदो अादियो तरह पकाई जातो रोहिलखंगडमें इनका वास है। है। ३ पोच, माड़। ४ धातुओं पर चढ़ाये जानेका गिनट । झोझर (हि. पु. ) मोझर देखो। ५ झलेको तरह लटका हुप्रो कपड़ा। ६ पना, अचल । झोटिंग (हि. वि. ) जिसके मस्तक पर बड़े बड़े और परदा, प्रोट, था। हाथोकी चालका एक दोप । खड़े बाल हो। इसके कारण वह झूलता हुआ चलता है। निहाट, मोड़ (स• पु०) १ गुल्म । २ क्रमुकभेद, सुपारीका पेड़।। खराब. बुरा । १० गर्भ मे निकले हुए व या अंडकी झोड़ा-(मडिया खकी ) छोटे नागपुरकी एक जाति । झिनी । यह शब्द मिर्फ पशुओंमें ही प्रयोग किया जाता बहुतोका अनुमान है कि, यह गौडजातिको हो एक है । ११ गर्भ हमल । १२ भस्म, खाक, राख । १३ दाह, शाखा है। कोई कोई धनुमान करते हैं कि, ये लोग | जलन । १४ (वि०) दोला। . . कैवर्त हैं और बङ्गालसे पा कर यहां बसे हैं। लोहार- झोलदार (EिO यि०) १ रमयुता, जिसमें रसा हो। डागा जिलेके वोरू और केशलपुर परगर्ने में इनकी उपाधि | २ गिलट या मुन्नम्मा किया हुआ। ३ झोल संबन्धो । वहारा है। झोड़ा मालिकगण अपनेको गंगवंशीय राज. | ४ टोला दाला। . .पूत बताते हैं। बोरू परगने के मोड़ा वारा लोग छोटे | झोनना (हिं. कि. ) जलाना, दाहना। नागपुर के राजाको हर साल होरा दिया करते थे और झोला (हि.पु.) १ कपडेको बड़ो भोलो या थैलो।२ उमके बदले बहुतसे ग्रामों का उपभोग किया करते थे।। बातका एक रोग । -एमझे होनेमे शरीरका कोई मन अधीनस्थ करद स्थानों में ये लोग स्वर्ण रेणु निकाल कर ठोना पड़ कर निकम्मा हो जाता है, एक प्रकारका जीविकानिर्वाह करते हैं। यह त्ति अत्यन्त 'काटकर है, । लकवा ।। ३ पेडीका एक रोग, सू श्रादिके कारण यह कठोर परियम करने पर भी इसमें पेट नहीं भरता जोड़ एक बारगी कुम्हला जाता है। प्राघात, झोका, अर्थात् सुद्र नदी पोर निझरादिको रेती धो कर हो । वाधा । ५ टीला ढाला गिलाफ, खोली ।६.एक प्रकारका स्वच रंग निकाले जाते हैं। सम्भवतः यह जोड़ वामोड़ | ढीला कपड़ा जो प्राय: माधु पहना करते.., चोला । गन्दसे ही इस जातिका नाम मोडिया वा मोड़ा | पालको रसोको टोलनेको क्रिया। हाथको सत, या । ' . . . . . शास।... .. . . . ... . . . बोहोरडागाके मोड़ा तोन योपियों में विभाता है-भोलिद्वारा (EिS०) वह जो भोलो , स्नटकाता हो। काग्यप, सणात्रेयं और नाग। अपनो येणीमें विवाह | झोली (Eि. स्त्रो०) १ कपड़े को मोड़ कर बनाई हुई निषिद्ध है। किन्तु यह निषेध सर्व पाला नहीं जाता। लो, धोकरी। २ वह नाल जिममें घास वांधा जाता यविन्दुमतावलम्बो हैं तथा पुरोहित बाझोंसे याद है।'३ मोटा चरसा, पुर। ४ प्रनामें मिले हुए भूसेको गान्ति और विवाह प्रादि कार्य कराते हैं। झोड़ा लोग उड़ानेका कपड़ा । ५ कुसोका एक पंच। एमफरो " मरे हुएका अग्निसंस्कार करते हैं, पर कुठरोगी वा विन्तरं । दमके चारो कोनों पर र लगो रहती है। बालकके मरने पर उसको गाड़ देते हैं। अधिकांश जिसके द्वारा यह खंभे पेड़ आदिम याँध कर फेलाया