पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/११६

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मुर्शिदकुलो खा हैदरावादके दीवानका पद जव खाली हुआ, तव सम्राट्ने | कुशलता पर सन्तुष्ट न था। उनके दीवानी कार्यकी इन्हें 'कारतलव खां'की उपाधि और मनसब अर्थात् प्रसार देख कर नाजिमको ईर्पा बलवती होने लगी। सेनानायक बना कर उक्त दीवानी-पद पर प्रतिष्ठित वह वादशाहके भयसे वाहरले तो सदभार दिखाता, किया पर भीतरसे उनका काम तमाम करनेकी वेष्टा करता • महम्मद हादी दीवानी पद पा कर असाधारण दक्षता- से कार्य करने लगे। सम्राटकी इन पर बड़ी कृपा किन्तु बङ्गदेशवासिगण दुवृत्त जागीरदारोंके हाथसे रहनी थी। जियाउल्ला खाँको पदच्युतिके वाद सम्राट छुटकारा पा कर दीवानकी मंगल कामना करने लगे। ने इन्हें 'मुर्शिद कुली खाँ'की उपाधि दे कर वङ्गालका | ___ आजिम उस्सान मुर्शिदकुलोको गुप्तहत्या करनेके लिये दीवान बनाया। गुप्त-घातकका अनुसन्धान करने लगा। अबदुल वाहिद मुर्शिदकुली उक्त दीवानी पद पर अधिष्ठित हो कर नामक एक घुडसवार सेनादलके अधिपतिने वेतन ढाका नगर आये और यहां शस्यशालिनी वङ्गभूमिका | वाकी रहनेके हीलेसे दीवानको मार डालनेका सङ्कल्प ऐश्वर्य देख कर चमत्कृत हो गये। किन्तु इस समय किया। एक दिन मुर्शिद कुली खाँ सशस्त्र पहरुओंके बङ्गालमे राजस्व ले कर वडी गड़बड़ी मच रही थी, कोई | साथ नाजिमसे मुलाकात करने रवाना हुए। उन्हें खास नियम नहीं था। मुर्शिदने नई व्यवस्था जारी नाजिमके पड़यन्त्रका हाल पहलेसे ही कुछ कुछ मालूम करके थोड़े ही दिनोंके मध्य एक करोड़ रुपया कर था। इस कारण वे हमेशा सशस्त्र और विश्वस्त अनु. निश्चित कर दिया। चरोंके साथ घूमा करते थे । थोड़ी दूर जाने पर अबदुल • इनके दीवानी पद पानेसे पहले बङ्गालको अधिकांश वाहिदने दलवलके साथ उन्हें राहमें रोका और अपना भूमि सैन्यरक्षार्थ जागीरस्वरूप दे दी गई थी । अतएव प्राप्य वेतन मांगने लगा। दीवान भी उसका अभिप्राय वङ्गालके राजखसे वहांके नाजिमके अधीनस्थ सभी समझ कर वाधकी तरह निभीक हृदयसे पालकी सामन्तोंका खर्च नहीं जुटता था। मुर्शिदकुलो खाने | परसे कूद पड़े और तलवार निकाल कर उन लोगोंको -सम्राटके आदेशसे वङ्गदेशकी जागोर प्रथाको उठा राह छोड़ देने कहा । अवदुल वाहिद दीवानको निभीकता दिया। इस प्रकार वङ्गका राजस्व संस्कार करके मुर्शिद और वीरता पर डर गया । पीछे वह दीवानके साथ कुली सम्राटके बड़े प्रेमभाजन हो गये थे। साथ नाजिमके समीप गया। नाजिम ही इस षड्यन्त्रका ' सम्राट औरङ्गजेवके समयसे प्रत्येक सूवामे एक मूल है, यह समझने में दीवानको अब देर न लगी। उन्होंने नाजिम ( सूवादार ) और एक दीवान नियुक्त होते थे। नाजिमके दरवार-घरमें उपस्थित हो कर यथोथित सम्मान 'नाजिमका काम आज फलके मजिष्ट्रटके जैसा था। वे दिखाने के बदले म्यानसे तलवार खींच कर कहा, 'मुझे यह सैन्यपरिचालना और बाहरके शत्रुसे देशकी रक्षा तथा अच्छी तरह मालूम हो गया, कि आप ही इस पड्यन्त्रके शासन फौजदारीका विचार करते थे। दीवानका काम मूल हैं, यदि मेरा संहार करना ही आपका संकल्प हो, तो बहुत कुछ आज कलके कलकरके जैसा था। वे सर आइये, अनधारण कीजिये, और खुल्लमखुल्ला भिड़ जाइये कारी खजाना उगाहते तथा आय व्ययकी देख-भाल यदि मेरा जीवन लेना आपने निश्चय कर लिया है, तो करते थे। कहीं कहीं दीवानको नाजिमकी सलाह लेनी आपका जीवन भी रहने न पायेगा, इसे ध्रुव जानिये ।। -पड़ती थी। भाजिम उस्सान मुर्शिद कुलो खाँके ऐसे वीरोचित • • मुर्शिद कुली खाँके दोवानी-पद पर नियुक्त होनेके ध्यवहारसे विलकुल दंग रह गये । यह घटना कहीं औरङ्ग- पहलेसे ही औरङ्गजेवका पोता आजिम उस्सान.बङ्गालका जेवको भी न मालूम हो जाय, इस भयसे वह दीवानको नाजिम था। प्रसन्न करनेकी कोशिश करने लगा और अबदुल वाहिद- आजिम उस्सान प्रतिद्वन्द्वी मुर्शिदकुली खाँको कार्य को दण्ड देनेका भय दिखाया। . . Val, XII129