पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/१३३

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मुसका-मुसल मुसका (हिं० पु०) रस्तीकी बनी हुई एक प्रकारकी छोटी | मुसम्मा (अ० वि० ) जिसका नाम रखा गया हो, नाम- जालो। यह पशुओं, खास कर बैलोंके मुंह पर इसलिये | धारी । वांध देते हैं जिसमें वे खलिहानों या खेतोंमें काम करते मुसम्मात (अ० वि०) १ मुसम्मा शब्दका स्रोलिङ्ग रूप, समय कुछ खा न सके। इसे जाला भी कहते हैं। नामधारिणी । (स्रो०)२ स्त्री, औरत । मुसकान (हिं० पु०)) मुसकराहट देखो। मुसरा (हि० पु०) पेड़को वह जड़ जिसमें एक हो मोटा मुसकाना (हिं० क्र०) मुसकराना देखो। पिण्ड धरतीके भीतर बहुत दूर तक चला जाय और मुसकानि (हिं० स्त्री०) मुसकराहट देखो। इधर उधर शाखाएं न हों। मुसकिराना (हिं० कि०) मुसकराना देखो। मुसरिया (हिं० स्त्री०) वह सांचा जिसमें कांचकी मुसकिराहर (हिं० स्त्री०) मुसकराहट देखो। चूड़ियां बनाई जाती हैं । २ चूहेका वचा, मुसरी।३ मुसकुराना (हिं० क्रि०) मुसकराना देखो। मुसरा देखा। मुसकुराहट (हि० स्त्री० ) मुसकराहट देखो। | मुसल (सं० पु० क्ली०) मुस्थति खण्डयतीति मुस् (खूषा- मुसखोरी (हिं क्रि०) खेतमें चूहोंकी अधिकता होना, दिभ्यश्चित् । उण १।१०८) कला, चित् स्यात् । १ धान कूटने मुसहरी। | का एक औजार । यह लंवा मोटा डंडा-सा होता है। इस मुसजर ( अ० पु० ) एक प्रकारका छपा कपड़ा। के मध्य भागमें पकड़नेके लिये खड्डा-सा होता है और छोर मुसटो (सं० स्त्रो०) सितगु, एक प्रकारका धान । पर लोहेके साम जड़ी रहती है। २ आयुधविशेष, मुद्गर । मुसठो (हिं स्त्री०) चुहिया। "मुसलस्त्वक्षिशीर्षाभ्यां करैः पादैविवर्जितः । मुसदी (हिं स्त्री०) मिठाई बनानेका सांचा। मूले चान्तेऽति सम्बन्धः पातनं पोथनं द्वयम् ॥" मुसद्दिका (अ० वि०) परीक्षित, जांचा हुआ। (वैशम्पायनोक धनुर्वद) मुसना (हिं क्रि०) अपहृत होना, लूटा जाना । ।मुसल-एशियाखण्डके तुरुष्क राज्यके अन्तर्गत एक मुसन्ना ( अ० पु०) १ किसी असल कागजको दूसरी प्राचीन समृद्ध नगर। यह अक्षा० ३६ ५१० तथा नकल जो मिलान आदि वास्ते रखी जाती है। २ रसोद देशा० ४३५० ताइनीस नदीके पश्चिमी किनारे अव- आदिका वह आधा और दूसरा भाग जो रसीद देने स्थित है। नदीके किनारे बसे होने के कारण कभी कभी वालेके पास रह जाता है। नगर वाढके जलसे डूब जाया करता है। इसके ठीक मुनिफ़ (१० पु०) ग्रन्थकर्ता, पुस्तक वनानेवाला। दूसरे किनारे अर्थात् नदीके वाएं किनारे जगत्को प्राचीन मुसब्बर (अ० पु०) कुछ विशिष्ट क्रियाओंसे सुखाया तम राजधानी निनिभे नगरोका खंडहर मौजूद है। और जमाया हुआ घोकुवारका दूध या रस । यह औषध निनिभे नगरकी तरह यह नगर भी दीवारसे घिरा है। के काममें व्यवहत होता है । इसका प्रयोग विशेषतः निनिमे देखो। रेचनके लिये वा चोट आदि लगने पर मालिश और सेंक इस नगरसे २८ मोल दक्षिण नदीगर्भमें विख्यात आदि करनेमें होता है। यह प्रायः जंजीवार, नेटाल और जिकर-उल्-आवाज वा निमसद-वांध देखने में आता है। भूमध्यसागरके आसपासके प्रदेशोंसे आता है । इसका यह ताइग्रीस नदीके एक किनारेसे दूसरे किनारे तक गुण चरपरा, शीतल, दस्तावर, पारेको शोधनेवाला फैला हुआ है। उसके ७ मोल दक्षिण भी जिकर इसमा- तथा शूल, कफ, वात, कृमि और गुल्मको दूर करनेवाला इल नामक बांधका खंडहर पड़ा है। शायत ताइग्रीस माना गया है। नदीकी धाराके रुक जानेके कारण उक्त दोनों बांध तैयार मुसमर (हिं पु०) एक प्रकारका पक्षो। यह खेतके चूहोंको पकड़ कर खाता है। इसे मुसहर भी कहते हैं । इस नगरकी समृद्धिका परिचय मसलिन कपड़े का मुसमरवा (हि पु०) १ मुसमर नामकी निड़िया ।२ चूहा खानेवाली एक नीच जाति, मुसहर । प्रचार बंद होनेसे ही समझा जाता है। जेनोफनके हुए हैं।