पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/१६०

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पुसलमानधर्म २५७ प्राच्य भाषाविद् पण्डित मनियर विलियमने कहा है,। मद्यपान और सुअरका मांस भक्षण भी नितान्त निषिद्ध कि केवल महम्मदने ही धर्मराज्य संस्थापनका संकल्प कर्म हैं। किया था। क्योंकि, दूसरे किसी धर्मके पैगम्बर धर्म- मुसलमानोंका यह विश्वास है, कि कयामतके दिन राज्य स्थापित करनेमें समर्थ न हुए। महम्मदके समय- ईश्वर एक बहुत बड़ी सभा कर कत्रके सभी मृत पुरुषों में अरवप्रदेशमें मूर्तिपूजक धर्मका प्रचार था। उसको । को एकत्र कर उनके दोष गुणका विचार कर यथाविधि देख कर मन ही मन उन्होंने स्थिर किया कि दण्ड और पुरस्कार दिया करते हैं। यही अन्तिम ईसाईधर्म, यहूदी और मूर्तिपूजक-धर्मकी जगह एक सार्व- विचारफा दिन है। उनका दृढ़ विश्वास है, कि मृतदेह- भौमिक धर्मराज्यको स्थापना करनी होगी। महम्मदने' को कबमें गाड़ते समय ईश्वर अपने दूतको यह जाननेके खोकार किया है, कि यही मनुष्य जातिका मूलधर्म और लिये भेजते हैं, कि वह मनुष्य "परमेश्वर एकमात्र अद्वि- सबसे पहले इब्राहिमको सर्वशक्तिमान परमेश्वरने इस तीय हैं और महम्मद उनके भेजे दूत हैं" मानता था या धर्मका प्रत्यादेश किया था। महम्मदका कहना है, कि नहीं। दूत बा कर मुक्त आत्मासे पूछने पर यदि वह ईसाई-धर्म और अन्यान्य धर्मों में ईश्वरका अंश है ; किन्तु उक्त वात खोकार करे, तो वह खगीय सुख भोगनेमें उनके मतसे ईश्वरके तोन होनेकी कल्पना असम्भव है। समर्थ होता है। यह उस मृत पृरुषोंके प्रथम विचारका महम्मदके मतसे मानवात्मा नित्य है। मरनेके बाद दिन है। किन्तु यदि वह व्यक्ति यह बात स्वीकार न मनुष्यमात्र हो अपने अपने कर्मों का फलभोग करता है। करे, तो वह इसी प्रथम विचारसे अन्तिम विचार के दिन पापी और मूर्तिपूजक तथा नास्तिक सभी मन्धकार- तक नरककी वीभत्स यन्त्रणा सहता है। मुसलमानों- पूर्ण समाच्छन्न और प्रज्ज्वलित हुताशनपूर्ण नरक' का कहना है, कि मृत्युके समय मृत्यु-दूत (यम ) आ जाता है । धार्मिकगण सर्वदा स्वर्गसुख भोग तथा पापात्मा कर मानव-शरोरसे आत्माको निकाल ले जाता है। अविच्छिन्न नरककुण्डको यन्त्रणा सह्य करते हैं। इस किन्तु भविष्य वक्ताओंकी आत्मा सशरीर स्वर्गमे जाते धर्मनिष्ठ सम्प्रदायको प्रति दिन ५वार मक्के की मसजिद- है। सिवा इसके जीवात्माओंको व्यक्तिविशेषके कर्मा- में उपासना करनी होगी। यही उनका प्रधान और मुख्य ' नुसार यातना भोग करनी पड़ती है। धर्म है। उपासना द्वारा मानव ईश्वरके यहां जानेके इसका कुछ उल्लेख नहीं मिलता कि किस समय आधे पपको पार कर सकता है। उपवाससे उनके धर-. और कव कसे जीवात्माका उत्थान होगा। महम्मदने के दरवाजे पर पहुंचना और साहाव्यप्रार्थी व्यक्तियों अपने शागिर्दोके जानने के लिये कहा है, कि जीवात्माके (दोनों )-को सहायता करनेसे या उनके प्रति दया भाव कसे उठनेके विषयमें ईश्वर के दूत जिबाइलसे पूछने पर दिखानेसे मनुष्य उनके समीप पहुंचता है। ऐसा कुरान, भो मैंने कोई सन्तोषजनक उत्तर नहीं पाया । मुसलमान में लिखा है। ___कहा करते हैं, कि उस कयामतके दिन सूर्य पश्चिम ओर देहशुद्धि और वारंवार भगवान की आराधना साधा। उदय गे, पृथ्वी धूम्राच्छन्न होगी, मनुष्य वाक्यभाषी, रणके लिये विधेय है। प्रत्येक व्यक्तिको हरेक शुक्रवार- पशु-पक्षियोंमें विलक्षणता . दूष्टिगोचर होता है। इसके के दिन मस्जिदमे जा कर ईश्वरका भजन करना चाहिये। विषयमें महम्मदने खय' कहा है, कि कयामतके दिन यह एकेश्वरवादमूलक इस्लाम ध्रमको जन्मभूमि स्वरूप परिदृश्यमान समूची पृथ्वी ईश्वरको एक मुट्टोमें धूल हो मक्का नगरमे अन्ततः जीवनमें एक बार भी मक्षा नगरमें | जायेगी और स्वर्ग अण्डाकार हो कर उनके दाहिने हाथ जाना चाहिये। मनुष्यमात्र ही चार-विवाह कर सकता में विराजमान उस समय देवदुन्दु भे बज उठेगो और है। कुरानमें ज्ञानकृत वध, लाभ्यट्य, परापवाद झूठो भूलोक और स्वर्गलोकके सभी प्राणो ध्वसमाप्त होगी। गवाही देना, सत्यको असत्य प्रमाणित करना ही। इसके बाद फिर एक चार दुन्दुभि वज उठेगी, तब सभी अत्यन्त पाप गिने गये हैं। कुसीद ग्रहण, ध तक्रोड़ा, जीव उठ बैठेंगे। फिर जगत्-पिता परमात्माका दर्शन . Tol, ITIII 40