पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/२०६

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मूत्रविज्ञान २०३ शन आव सोडियम हाइडास और जल तीनोंको एकत्र मूत्रमें रक्त रहनेसे वह लोहित वा धूम्रवर्णका होता है कर मूत्रके साथ गरम करनेसे काला अधःक्षेप दिखाई | तथा रासायनिक परीक्षा द्वारा उसमें अण्डलाला दिखाई देती है। ८ शर्करायुक्त मूत्रको नील और कार्वनेट आव आणुवीक्षणिक । सोडाके साथ गरम करनेसे वह क्रमशः सन्ज, लाल ____ उपरोक्त अस्वाभाविक पदार्थोके परीक्षाकालमें मूत्रं- और अन्तमें पीला हो जाता है। इसको Indigo Car को कुछ देर तक रख देनेसे जो विभिन्न प्रकारका अध:- mine test कहते हैं। क्षेप जमा होता है अनुवीक्षण द्वारा यदि अच्छी तरह दग्धाम्लरस (Acetone)-मूत्रमें खभावतः सामान्य देखा जाय, तो उससे बहुत सी बातें जानी जा सकती परिमाणमें एसटोन रहता है। बहुमूत्ररोगमें अचैतन्या- हैं। वे अधाक्षिप्त वस्तु ऐसे विभिन्न आकारको वस्था उपस्थित होने पर उसकी वृद्धि होती है। टिष्टिल धारण करती हैं, कि उसे देखनेसे ही आश्चर्यान्वित होना मिलानेसे वह लाल वर्णमें पलट जाता है। डा० लीवर पड़ता है। ( Dr. Lieber ) का कहना है, कि पोटाश आइयोटाइड १ मूत्राम्ल (Uric acid) मूत्रके नीचे सुरकीके २० ग्रेन और लाइकर पोटाश १ ड्रामको एक साथ उत्तप्त | चूर्णके जैसा जम जाता है। वह देखनेमें तामड़े वा कर उसमें एसिटोनयुक्त मूत्र मिलानेसे मूत्र उसी समय पाटलवर्णका होता है। म्युरेकसिड टेष्ट द्वारा युरिक पीला हो जाता है। एसिडको परीक्षा की जाती है। यन्त्रकी सहायतासे रावर्टके प्रन्थमें उक्त परीक्षाप्रथा अवलम्बित होने पर उसमें भिन्न भिन्न आकारके दाने दिखाई देते हैं। भी एसिटोन परीक्षाकालमें चिकित्सक उस पर विश्वास | उनमेंसे कुछ तो चौकोन और कुछ अंडाकार वा पीपे- नहीं करते। की तरह होता है। वर्तमान चिकित्सक Legal's test नामक परीक्षा २ मूत्राम्लज उपादान (Urates )-अर्थात् युरेट का अनुसरण कर एसिटोन निर्णय करते हैं। कुछ मूत्र | आव सोडियम, एमोनियम और लाइम जो मूत्रके नीचे में ताजा तैयार किया हुआ गाढ़ा सोडियमनाइट्रेसिड | पाया जाता है वह सुरकीके चूरके जैसा तथा पोला।' साल्युशन (Concentrated solution of sodium | तामडे रंगका, सफेद अथवा पाटल रंगका होता है। nitro-prusside ) २ वा ३ वूद तथा लाइकर सोडा कई उत्ताप देनेसे अदृश्य वा गल जाता है । युरेट आव सोडि- बूंद मिलानेसे मन तामड़े रंगका और कुछ मिनट के बाद | यम और एमोनिम सूक्ष्म सूक्ष्म दानेदोरका-सा रूप पीला हो जाता है । किन्तु उक्त वर्णमें पलटनेके पहिले | धारण करता है। ये सब देखनेमें गोल और 'अस्वच्छ पदि उसमें एसेटिक एसिड अधिक मात्रा में ढाल दिया | रेणुवत् होते हैं तथा उनके चारों ओर सूत्र और रेखा . जोय, तो एसिटोनयुक्त मूत्र सुन्दर सिन्दूर वर्णका हो! जैसी शिराओं (Spine ) से आवृत रहती हैं। जाता है। फिर विना एसिटोन मिला हुआ मूत्र स्खभा ____३ अगजोलेट आव लाइम (Oxulates )-लोहि- पतः पीले रंग रूपान्तरित होता है। ताभ और अम्लरसविशिष्ट पदार्थ । इस अधःक्षेपका मूत्रमें अन्यान्य पदार्थ भी रह सकते हैं। काइल | ऊपरी भाग वहुत सफेद, पर निचला भाग धूसरवर्ण वा चवीं रहनेसे इथर द्वारा वह गलाया जाता है। रक्त, कोमल पदार्थके जैसा दिखाई देता है। उत्ताप अथवा पीप, म्युकस और वृक्षकांश (Renal cast) रहनेले अनु लाइकर पोटाश द्वारा वह नहीं गलता, किन्तु कोई मिन- .वीक्षणकी सहायता द्वारा इसका पता लगाया जा सकता रल एसिड मिलानेसे अदृश्य हो जाता है । अणु- है। म्युकस एपिथेलियम और पोप रहनेसे मूत्र गदला वीक्षण द्वारा परीक्षा करनेसे उनमेसे कुछ अष्टकोणविशिष्ट दिखाई देता है। लाइकर पोटाश मिलानेसे पीप रस्सीके ( Octalhedra ) वा मन्दिराकार (Pyramidical) और समान हो जाती है, किन्तु म्युकसमें वैसा नहीं होता। कुछ डम्बलके जैसे ( Dumb-cell ) दिखाई देते हैं। .