पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/२२९

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२२३ मूर्ण-मूतिपत्. मूर्ण (सं० त्रि०) मूर्व नहे-क्त । वृद्ध, बधा हुआ। ! कि मीरनने विष खिला कर इसका प्राण लिया था। मूर्त (सं० त्रि०) मूछक्त (रालोपः। पा ६।४।२१) इति । १५८८-८६ ई०में यह घटना हुई थी। छलोपः (न ध्याख्या पृमच्छिमदाम् । पा दारा५७ ) इति , मूर्तजा निजाम शाह (श्य )-अह्मद-नगरके निजामशाही निष्ठां तकारस्य नत्वाभावः। १ मूर्चिछत, अचेत ।२ वंशका अन्तिम राजा। यह हवशी सेनापति मालिक जिसका कुछ रूप वा आकार हो, साकार। नैयायिकोंके । अम्बरके हाथका खिलौना था। १६०० ई०में वहादुर मतसे पृथ्वी, जल, तेज, वायु और मन मूर्त पदार्थ हैं। निजामः शाहको कैद कर मालिक अम्बरने इसे सिंहासन इनके गुण रूप, रस, गंध, स्पर्श, परत्व, अपरत्व, गुरु, पर विठाया था। १६२८ ई०में अम्वरके लड़के फतेखाने स्नेह और वेग हैं। इसे मार डाला। मूर्त्तामूर्तका साधारण गुण-संख्या, परिमिति, मूर्तता (सं० क्ली० ) मूर्तस्य भावः तल-टाप् । मूर्त होने- पृथक त्व, संयोग और विभाग। का भाव या धर्म। "रूपं रसः स्पर्श गन्धौ परत्वमपरत्वकम् । मूत्ति (सं० स्त्री०) मूर्छ-क्तिन् (न ध्याख्येति । पादा द्रवो गुरुत्वं स्नेहश्च वेगो म गुणा अमी ॥ ८७) इत्यष्मानतकारस्य नत्वं। १ काठिन्य, कठिनता। सङ्ख्यादिश्च विभागान्त उभयेषां गुणो मतः॥" २ शरीर; देह। ३ प्रतिमा, किसोके रूप या आकृतिके (भाषापरिच्छेद ८५-८६) । सदृश गढ़ी हुई, वस्तु.। ४ स्वरूप, आकृति । "आचार्यो ब्रह्मणो मूर्तिः पिता मूर्तिः प्रज पतेः । मूर्तजा अली खाँ-आर्कटका एक मुसलमान शासनकर्ता भ्राता मरुत्पतेस्मूतिर्माता साक्षात् क्षितेस्तनः ॥. . यह दोस्तः अली खाँका दामाद था। दोस्त अलीके मरने दयाया भगिनि म तिद्धम स्यात्मातिथिः स्वयम् । पर जब उसका लड़का सफदर अली, कर्णाटकको मस. अग्नेरभ्यागतो. मूर्तिः सर्वभूतानि चात्मनः ॥' नद पर बैठा, तव मूर्तजाने गुप्तचर द्वारा उसे मरवा कर (भागवत ६७२६-३०) सिंहासन पर अधिकार जमाया। इस समय निजाम .. यहां. पर मूर्ति शब्दका अर्थ स्वरूप वा सदृश है। उल मुल्क, रघुवीर भोसले, अंगरेज और फरासीसोने । । जैसे,--आचार्य ब्रह्माके स्वरूप, पिता प्रजापतिके स्वरूप, कर्णाटकराज्यका अधिकार ले कर राष्ट्रविप्लव खड़ा कर लव खड़ा कर इत्यादि । ५ ब्रह्मसावर्णिके एक पुत्र का नाम । दिया। बचावका कोई. रास्ता नः देख वह स्त्रीके वेशमें | .: 1. (भाग० ८।१३।२१) चेल्लूरदुर्ग भाग गया। इसके बाद पड़ यन्त्र करके इस- ६ रंग. या रेखा द्वारा वनी. हुई आकृति, चिन । ने.सफदरके युवक पुत्रका काम तमाम किया। फरासी मत्तिकार (सं० पु०) १ मूर्ति बनानेवाला। २ तसवीर राजनैतिक डुप्लेके अनुग्रहसे ही यह आकटके सिंहासन वनानेवाला, मुसौवर। .. पर बैठने में समर्थ हुआ था। १७६२ ई० में यह वेल्लूर जामतित्व (सं० क्लो०) मूर्तेर्भावः त्व। मूर्तिकाः भाव या कर रहने लगा। धर्म, शरीरत्व। मूर्तजा निजाम. शाह (१म)-अह्मद् नगरका एक. मुसलः | मूर्तिधर (सं० पु० ) धरतीति धृ-अच, मूः धरः । मूर्ति- मान. शासनकर्ता.।, १५६५ ई० में पिता. हुसेन निजाम: | विशिष्ट, मूर्तिधारणकारी। शाहके मरने पर यह सिंहासन पर बैठा, किन्तु इस समय मूर्तिप (सं० पु०.) देवमूतिरक्षाकारी. पुरोहित, पुजारी। यह नावालिग था, इस. कारण माता खञ्जा. सुलतानाने मूर्तिपूजक (सं० पु० ) वह जो मूर्ति या प्रतिमाकी पूजा ६. वर्ष तक राजकार्य चलाया.। २४. वर्ष राज्य. करनेके करता हो; मूर्ति पूजनेवाला। बाद यह पागल हो गया। इसके लड़के, मौरन हुसेन. मूर्तिपूजाः ( सं० स्रो०) मूर्तिमें ईश्वर या देवताकी भावना निजाम शाहने इसे कैद कर धूम प्रयागसे. मार डाला। करके उसकी पूजा करना । जमा उल-हिन्द नामक, मुसलमान-इतिहासमें लिखा है, मूर्तिमत् (सं० क्लो०) मूर्ति काठिन्यमस्यास्ति मूर्ति मतुः ।