पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/२६३

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२६० मृतिका पणी और व्याघ्रपदा ये सब लताए यदि वल्मीकके ऊपर , मिट्टी मौञ्जफ, काश और कुशसमन्वित, नीलवण और हों तथा वहां सांप रहते हों, तो वल्मीकसे तीन हाथ उत्तर, शर्करा युक्त है अथवा जिस स्थानकी मिट्टी लाल और अठारह फुट नीचे जल रहता है। किन्तु जगलमें उक्त काली है, वहां बहुत स्वादिष्ट जल रहता है। जहांको मिट्टी लक्षण रहनेसे तीन फुट नीचे और मरुदेशमें चालीस शर्करायुक्त और ताम्रवर्णविशिष्ट होगी वहांका जल फुट पर जल मिलेगा। खारा होगा। फिर कपिलवर्ण को होमेसे कपाय जल, ___ जहां तृण, बल्मीक और गुल्म आदि कुछ भी न हो । कुछ पाण्डुवर्ण की होनेसे खारा और नीलवर्ण की होनेसे तथा एक-वर्णा भूमि पर जहां विकार दिखाई दे वहां जल | खादिष्ट जल मिलेगा। जहां शाक, अश्वकर्ण, अर्जुन, रहता है, ऐसा जानना होगा, जहाँको भूमि स्निग्धा और चिल्य, सज, श्रीपणी, अरिष्ट, धव और शीशमके पेड़ों के निम्ना, वालुका-समन्विता और शब्दयुक्ता हो वहां पचीस पत्ते फटे अथवा रूखे हो वहां आस-पासमें जल नहीं या तीस फुटकी गहराई पर जल रहता है। स्निग्ध वृक्षों | रहता, पर दूरमें रह सकता है। जहाँकी मिट्टी सूर्य, के दक्षिण चार पुरुषमें जल रहता है। जिस जङ्गलमय | अग्नि, भस्म, ऊंट और खच्चरके रंग-सी हो वहां विलकुल और जलाभूमिमें पृथिवो धंस गई हो, उसके एक पुरुष जल नहीं रहता। यदि अंकुर लाल वा क्षोर युक्त हों नीचे जल पाया जाता है अथवा जहां विना किसी प्रकार तथा पृथिवी लाल रंगकी दिखाई दे, तो पत्थरके नीचे घरके कीड़े मकोड़े रहते हों, वहां एक पुरुष नीचे बहुत जलो भो जल रहता है। रहता है। जहांकी मिट्टी ठंढो और गरम होगी तथा जहां वैदूर्यवर्ण, मूंग और मेध सदृश मेचक इन्द्रधनुष, मछली वा वल्मीक रहेंगे वहांसे चार हाथ हट (श्यामवर्ण) वर्ण युक्त वा पाकोन्मुख उदुम्बर सदृश कर १० पुरुष नीचे जमीनमें शीतोष्ण जल है, ऐसा अथवा भृङ्ग और अञ्जनकी तरह आभाविशिष्ट या कपिल- जानना चाहिये। वल्मीककी पंक्तिमें यदि एक वल्मीकका वर्ण की शिला रहे उसके समीप प्रचुर जल है, ऐसा मस्तक अत्यन्त उन्नत हो तो उसके नीचे शिरा · जानना होगा। जो शिला कबूतर, भोम, धोके समान रहती है। जहां अनाजके वोये सूख जात अथवा अथवा क्षौमवस्त्रके रंगकी अथवा सोमलताके रूपकी हो, अंकुरित नहीं होते वहां भी जल रहता है। फिर वहां अक्षय जल पाया जाता है। तानसमेत विचित्र न्योनोध, पलाश और डूमर वृक्ष जहां एक साथ मिल कर | पृषत द्वारा कुछ पाण्डुवर्ण, भस्म, ऊंट और खरके समान उगे हो यहां तीन पुरुष नीचे जल रहता है तथा बट और भृङ्गवा आंगुष्ठिक पुष्प सदश अथवा सूर्य और अग्निकी पीपलके एक साथ होनेसे उत्तरवाहिनी शिरा रहती है। तरह व विशिष्ट शिला जलविहीन होती है। जो शिला गांव या शहरके अग्नि कोणमें कुआं रहे, तो वह कुमा चन्द्ररश्मि, स्फटिक, मौक्तिक और हेम सदश रूपविशिष्ट हमेशा भय या दाहजनक होता है। नैत कोणमें कुआं वा इन्द्र-नीलमणि, हिंगुल और कञ्चनकी तरह आभायुक्त रहनेसे पालकक्षय और वायुकोणमें रहनेसे स्त्रीमय अथवा उदयकालीन सूर्यको किरण और हरतालकी तरह होता है। इन तीन दिशाओंको छोड़ कर वाकी दिशाओंमें | आभाविशिष्ट हो, वह शुभप्रद मानी जाती है। कूपका रहना शुभप्रद है। - ऊपर भूगर्भस्थ जिन जलस्रोतों और तह)का उल्लेख ____जहां पादप, गुल्म और वल्ली स्निग्ध और निच्छिद्र । किया गया वे मिट्टीके साथ असम्बन्ध भावमें सन्नि- पत्नयुक्त हों अथवा कुश, नल और नालिक रहे, वहां शिरा विष्ट होने पर भी यथार्थमें मिट्टी और मिट्टीके विकार पाई जाती है। जहां खजूर, जामुन, अर्जुन, बेंत, दूधः। पत्थरोंकी तहके साथ अच्छी तरह सन्निविद्ध हैं। वाला पेड़, गुल्म और वल्ली अथवा नाग, शतपन, सच्छिद्र मिट्टीको तहमें ही (Porous layers of earth) नीप, नक्तमाल, सिन्धुवार, विभीतक या सदयन्तिके वृक्ष जलकी आभ्यन्तरिक गति होती है, शायत यह सभीको हो वहां ३ पुरुष नीचे जल रहता है तथा जहाँ पर्वतके मालूम होगा । वृहत्संहितामें स्तरादिका नामनिर्देश नहीं ऊपर पर्वत है, वहां भी ३ पुरुष नीचे जल रहेगा। जो रहने पर भी अनुमानसे उनकी कल्पना की जाती है ।..