पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/३०

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मुद्रातत्त्व (पाश्चास। तक रेजियममें राज्य किया था। इन सब मुहरोंमें वह | जैसा परिवर्तन होता है वही स्वाभाविक भावमें चित्रित स्मृतियां संरक्षित रह कर अतीत ऐतिहासिक तत्त्वका | है। पिण्डारको आविम्पिक कवितावली पढ़नेसे सिसली परिचय देती हैं। अनाकजिलसकी मुहरोंमें आलिम्पिक | की विजयकाहिनी सत्य-सी प्रतीत होती है। पिण्डारके विजयकहानी चित्रित है । उसके एक पार्श्वमें जपचिह्न | वर्णनसे मालूम होता है, कि सिसलीवासियोंने ओलि- शापक गदहेको गाड़ी और दूसरे पार्श्वमें भागते हुए | म्पिक क्षेत्रमें घुड़दौड़में छः वार विजय प्राप्त की थी। खरहेकी मूर्ति अङ्कित है। खरहा पान-देवताका वाहन | आरिष्टटसके वर्णनमें इस घटनाको सचाईमें संदेह करने- समझा जाता है । टेरिनाकी रौप्यमुद्रा इटलीको सभी | का कोई कारण नहीं रह जाता। उस समयके सिसली. मुद्राओं से सौन्दर्य और शिल्पोत्कर्षमें अतुलनीय है। वासिगण विजयोल्लाससे उन्मत्त हो धर्मविश्वासके मूल में इसके एक ओर दिव्य लावण्यवती अप्सराकी मूर्ति और कुठाराघात न कर सके । क्योंकि, कई जगह सारथीके दूसरी ओर वही लावण्यवतो रमणी पक्षशालिनी परीकी बदलेमें खदेशके अधिष्ठात्री देवताका चित्र अडित है। तरह चित्रित है। बहुतसी मुद्राओंमें उनकी विविध गति | इनमेंसे होमरके इलियड काव्यकी नायक-नायिकाका अधि- और विलासभङ्गी अङ्कित हैं। उनमें मुद्राशिल्पका चरमो कांश मुद्रातलमें चिलित है। किसी किसी मुद्रामें सारथी कर्प दिखाई देता है । किसीमें आथेन्स नगरीकी विजय की प्रतिमूर्ति देखी जाती है। अन्तरीक्षमें नाइस देवी लक्ष्मी सी मूर्ति है । इसका शिल्पसौन्दर्य आश्चर्य- विजेताके गलेमें माला पहना रही है। कुछ मुद्राओं में जनक हैं । विजयलक्ष्मीके चारों ओर फलके बोझसे प्रकृतिपूजाका उज्ज्वल दृष्टान्त दिग्नाई देता है। उनमें झुकी हुई ओलीभकी डाली अकृत्रिम भावमें चित्रित है। वन और जलदेवियां आश्चर्य निपुणताके साथ अडित सिसली द्वीपकी मुहरादि ग्रीक आदर्श पर बनी हैं। हैं। किसीमें आसुरीय आदर्श पर मनुष्यशिरएक वृपकी पहले जव हेलेनिक और कार्थेजीय औपनिवेशिक दल मूर्ति अङ्कित है। किसीमें फिनिकीय आदर्श पर छोटा सिसली द्वीपमें रहता था उस समय उनको अवस्था उन्नत बछड़ा, जिसके सींग निकल रहे हैं, शोभा देता है। थी। दोनों ही उपनिवेशोंमें ग्रीकमुद्राका प्रचार था। किसोसें कुत्तेकी मूर्ति चितित है। उसके दूसरे पार्श्व में प्युनिक मुहरादि फिनिकीयके ढंग पर बनी हैं, किन्तु सौन्दर्यशालिनी अप्सरायें अङ्कित हैं। देवमूर्तिके मध्य वजनमें इजाइना देशके समान है । खु० पू० ६ठी शताव्दी पल्लास और पासिफोनकी मूर्तिको चित्रित करनेमें अप्र- से ले कर. रोमक-आक्रमण तक सिसलीकी मुद्रा पाई | तिम शिल्पकौशल दिखाया गया है। जाती है। ख० पू० २१२के वादकी मुद्रा नहीं मिलती। साइराक्युसकी मुद्रा ही प्रीकशिल्पका चरमोत्कर्ष मालूम होता है, कि प्रसिद्ध कार्थेजीय आक्रमणसे इस है। वैहारिक शिल्पका ऐसा उज्ज्वल उदाहरण किसी शिल्य पर भारी धक्का पहुंचा था। इस समयको मुहरें। भी देशमें नजर नहीं आता । एशिया-माइनरवासी शिल्प-नैपुण्यमें साइराक्यूसके समान हैं। शिल्पियोंका गाम्भीर्य और क्रीतद्वीपका माधुर्य, साइरा- सिसलीकी सोने और पीतलकी मुद्रा शिल्पोत्कर्षमें | क्युसके मुद्राशिल्पमें एकीभूत हो कर अपूर्व भाव दिखा अनुपम है। अक्षरमालाको उत्कोणं करनेमें शिल्पीने | रहा है। उन सब मुहरों पर नीरव भापामें अतीत कमाल कर दिया है । सिसलीवासी-राजाओंने आलि- इतिहासकी विचित्र घटनाओंका उल्लेख है। स्वाधीनता. म्पिक क्षेत्रमें जो जयलाभ किया था, बहुत-सी जननी वाणिज्य वैभवशालिनो शिक्षा, सभ्यता और मुद्राओं में उसका जाज्वल्यमान निदर्शन दिखाई देता है। विलासकी केन्द्रवरूपा समृद्धिसम्पन्ना साइराक्यस विजयचिह्न बतलानेवाली मुद्राके तलमें चार घोड़ोंकी | नगरीका उत्थान और पतन मुद्राशिल्पमें चिरस्मणीय गाडी, घोड़े की रथ आदि अंकित है। उससे चित्रकरका | हो रहा है। अधिवासियोंने स्वदेश-वात्सल्यके साधु- असाधारण नैपुण्य दिखाई देता है। लक्ष्यस्थलको निर्दिष्ट व्रतसे प्रणोदित हो किस प्रकार कार्थेज और आर्थेन्सके सीमा पर पहुंचने से पहले बहुत तेज चलनेवाले घोड़ों का अत्याचारसे जन्मभूमिकी रक्षा को थी, मुहर ही उसका