पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/३१

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मुद्रातत्त्व (पाश्चात्य) साक्ष्य देती है। करिन्धके आकियसने ईस्वीसन् ७३४ । है। उसे देख कर प्रत्नतत्त्वज्ञोंने स्थिर किया है, कि वष पहले साइराफ्युस नगरकी प्रतिष्ठा की। ख० पू० हिरोणने (४७४ खु० पू०) कुमिके एट्रस्कानोंको परास्त ६ठी सदी में यहां प्राचीन प्रणालोके अनुसार सबसे पहले कर सामुद्र वाणिज्य पर एकाधिपत्य लाभ किया तथा रौप्यमुद्रा बनाई गई। उन सब मुद्राओंमें हेलेनिक) सागरतीरवी जातियों पर प्रधानता स्थापन को । मुद्रामें विजयकाहिनीका विवरण अङ्कित है। गेला मगरीके | उसका चित्र दिया गया है। गिलोन ओलिम्पिकक्षेत्र- अत्याचारी शासनकर्ता गेलोनने ईसाजन्मफे ४८८ वर्ष में कर घोड़ोंकी गाड़ी चलाने में मीर हुए थे। हिरोणने पहले ओलिम्पिक घोड़ोंके रथ चलानेमें विनय प्राप्त को भी पाइथियन क्रीडामें घुड़दौडमें चार घोड़े जीते थे। थी। उस समय कार्थेजोोंने तथा जरक्सिसके सैन्य- मुद्रा देखनेसे वह साफ साफ समझमें आता है। हिरोण- दलने सिसलीको जीता और प्रतीच्य सालमिस-हिमेरा के समयसे प्राचीन प्रणालीका मुद्रा-प्रचार लोप हो युद्धमें (ख० पू० ५८० ई०में) सिसलीवासीको परास्त गया। किया। साइराफ्युसकी मुद्रामें ये सब घटवार उज्ज्वल इसके बाद मोहरोंके एक भागमें युवती लावण्यमयी अक्षरों में चित्रित हैं। ललनामूर्ति और दूसरे भागमें तेज दौड़नेवाले घोड़ोंका कुछ मुद्राओं के तलमें अश्वरथ चलानेकी शिविध | चित्र है। गिलोमवंशके अन्तिम राजा सिवुलसके राज्य 'गति-विचित्रता अङ्कित है। जयलक्ष्मी नाइसदेवी अंत. कालमें ( ४५६ ७० पू० ) राजतन्त्रशासनप्रणालीके बदले रोक्षसे पुष्पमाला विजेताके गलेमें पहना रही हैं। युद्धके ' साधारण तन्त्रशासनप्रणालीका प्रचार हुआ। गिलोन वादकी मुद्राओंमें अश्वरथके नोचे एक सिंहमूर्ति विरा- ( और हिरोणके शासनकालमें साइराफ्यूस सभी विषयों जित है। शेपोक्त मुद्राओं में गेलोनकी पत्नी दिमारित-1 में उन्नतिको चरमसीमा पर पहुंच गया था। साधारण को काहिनी वर्णित है। गेलोन द्वारा कार्थेजीयोंके | तन्त्रको प्रथमावस्थामें जो सव मुहरें प्रचलित हुई थीं परास्त होने पर उन्होंने निरुपाय हो गेलोन-महिपी दिमा- उनमें युवती लावण्यमयी ललनामूर्ति अङ्कित है। इस रितकी शरण ली थी। दयाशीला दिमारित कार्थेजीयों- समय सोने और चांदो दोनों प्रकारको मुद्राका प्रचार था। की मुक्ति के लिये गेलोनसे क्षमा प्रार्थना की थी। इस दियोनिसियसके अत्याचारके समय तथा उसके उत्तरा स्मरणीय घटनाके पुरस्कारस्वरूप कार्थेजीयोंने दिमा- धिकारियों के शासनकालमें साइटाक्यूसकी ज्योति वुझते - रितको एक सौ सुन्दर सिक्के दिये थे। उन्हीं सब | हुए चिरागकी तरह एक बार उजाला दे कर सदाके लिये सिक्कोंके नुकरण पर रानी दिमारितने अपने देशमें बुझ गई थी। प्रभूत ऐश्वर्यशाली दियोनिसियाके चांदीका सिक्का चलाया। रानीके मामानुसार उस) अक्षय धनभंडारको स्वर्ण राशिमें आश्चर्य शिल्प दिख- सिक्केका नाम 'दिमारिता' रखा गया। इन सिक्कोंके लाया गया था। दियोनिसियस और उनके वंशधरों के एक भागमें अलिभपल्लवसे अलंकृत नाइस वा पल्लास अत्याचारसे उनका राजत्वकाल थोड़े हो समयमें शेप तथा दूसरे भागमें सिंह और चार घोड़ोंको गाड़ी है। हो गया । ३४४ खु० पू०में साहराफ्यूसवासियोंने हिमेराके युद्ध और गिलोनके मृत्युकालके अनुसार यह ! करीन्यवासी टाइमोलिनको सहायता मांगी थी। सहज हो अनुमान किया जाता है, कि वे सब मुदाएं टामोलिनको परहितैषणा तथा विजय विवरण उस ईसाजन्मसे ४७८ पहले वनी थीं। इस समयकी मोहर समयको मोहरमें अङ्कित है। इस समयकी मोहरें' और रुपयेमें मिस्री-शिल्पका अधिक प्रभाव दिखाई | करिन्थकी जैसी हैं। उनमें मल्लास और पेगाससको मूर्ति चित्रित है। साइटाफ्यूसके दुन्ति अत्याचारी गिलोनको मृत्युके बाद उनके भाई हिरोणने जो सव | एगाथक्लिसने फिरसे साधारणतन्त्रकी शासनप्रणालीमें मुद्रा चलाई उनमें एक बड़ी राक्षस मूर्ति अङ्कित है। कुठालघात किया। उसके समय मोहरों में भी बहुत राक्षस युद्धमें पराजित हो कर अवसन्न भाषमें गिरा हुआ हेर-फेर हुआ। मोहरों में उनका नाम खोदा हुआ देता है।