पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/४३१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

यत्तग्रह-यतवित्त कृत्य कहते हैं । राजा मध्यान्तिकने कोतदासरूपमें मनुष्य- ) यक्षपुर (सं० पु०) वरदासे ६ योजन दक्षिणमें अवस्थित कृयोको काश्मीरमें ग्रहण किया था। । | एक बड़ा गांव, अलकापुरी। यहां कायस्थोंका निवास यक्षग्रह (सं० पु०) पुराणानुसार एक प्रकारका कल्पित है। (देशावली १४१४२२३), ग्रह। कहते हैं, कि जब इस प्रहका आक्रमण होता है । यक्षभृत् ( सं०नि०) यक्ष पूजा विभर्ति भृ-विप तुक तंव आदमी पागल हो जाता है। . च। पूजित, जिसकी पूजा की गई हो। .. यक्षण (सं० क्ली०)१ पूजन करना। २ भक्षण करना, | यक्षमल्ल (संपु०) १ नेपालके ठाकुरी वंशके तृतीय खाना। राजा, ज्योतिमल्लके पुत्र । नेपाल देखो।२ बौद्ध मतानुसार 'यक्षतरु (सं० पु०) यक्षप्रियो यक्षाश्रितो वा तरुः। वट | लोकेश्वरभेद। .. ... वृक्ष, बडका पेड़। कहते हैं, कि वटका वृक्ष यक्षोंको बहुत यक्षरस (संपु०) यक्षप्रियो रसः शाकपार्थिवादिवत प्रिय होता है और उसी पर वे रहा करते है। समासः। पुष्पमद्य, फूलोंसे तैयार की हुई शराव । यक्षता (सं० स्त्रो०) यक्षस्य भावः तल-टाप । यक्षत्व, इसका दूसरा नाम मध्यासव भी है। यक्षका भाव या धर्म। यक्षराज (संपु०) यक्षेषु राजते इति राज् (सत्सद्विषद्- यक्षत्व (सं० पु०) यक्षका भाव या धर्म। हेति । पा ४१२६१ ) इति विप। १ यक्षोंके राजा, कुवेर। यक्षदर (सं०क्लो०) काश्मीरका एक प्रदेश। २ यक्षराजमान, मणिभद्र। (राजतर० ५॥८७) यक्षा इव मल्ला राजन्ते अल, राज क्विम्। ३ रङ्ग- यक्षदामी (सं० स्त्री० ) शूद्रककी पत्नी । ( दशकुमार )| मण्डप । यक्षधूप ( सं० पु०) यक्षप्रियो धूपः। ५ साधारण धूप | यक्षराज (स० पु० ) यक्षाणां राजा (राजाहासखिभ्यटच । • जो प्रायः देवताओं आदिके आगे जलाया जाता है। २ पा ५॥४॥६१) इति समासान्तटच् । यक्षोके राजा, कुवेर । धूनक, धूप, धूना। पर्याय-सर्जरस, अराल, सारस, यक्षराटपुरो (सं० स्रो०) यक्षराजपुरी, अलंकापुरी। बहुरूप, राल, धूनक, वहिवल्लभ, रभस, सालसार, सालज- कैलास पर्वतस्थित कुवेरपुरोको अलकापुरी कहते हैं। सालनिर्गस, सर्ज। (जटाधर) . कालिकापुराणमें लिखा है, विष्णुको पूजाके समय यक्षरात्रि (स'० स्त्री०) यक्षप्रिया पक्षाणां रातिरिति वा। • यक्षधूप नहीं देना चाहिये, लेकिन देवीपूजामें यह बड़ा कार्तिक मासकी पूर्णिमा जो यक्षोंकी रात मानी जाती प्रशस्त माना गया है। है। इसे दीपालि भी कहते है। ' . न यक्षधूपं वितरेत् माध्वाय कदाचन । यक्षवर्मन्-शाकटायनकृत शब्दानुशासनको चिन्तामणिके

यक्षपेन वा देवी महामायां प्रपूजयेत् ॥"

टीकाकार। .(कालिकापु०६८०) धूप शब्द देखो यक्षलोक (संपु०) वह लोक जिसमें यक्षोंका निवास • २ सरल वृक्षरस, ताड़पीनकाईतेल । पर्याय-पायस, माना जाता है । सांख्य और वेदान्तके मतसे आठ लोक है, यथा-ब्रह्मलोक, पितृलोक, सोमलाक, इन्द्रलोक, श्रीवास, सरलद्रव। (हेम) यक्षनायक (सं० पु०) १ यक्षोंके खामी, कुवेर । २ जैनो- गन्धर्वलोक, राक्षसंलॉक, यक्षलोक और पिशाचंलोक । के अनुसार वर्तमान अवसपिणोके अहत्के चौथे अनु- यक्षवित्त ( स० वि० ) यक्षाणां वित्तमिव रक्षणीय वित्त' यस्य। १ जो धन व्यय न करे, कृपण। . (क्ली०) यक्षाणां वित। २ यक्षका धन। प्रवाद यक्षप (सं० पु० ) यक्षपति, कुवेर। यक्षपति (स० पु०) यक्षाणां पतिः। यक्षोंके स्वामी, : उनका अधिकार नहीं रहता और न यह खर्च ही किया कुवेर। १ . जा सकता है। यक्षपाल (संपु०) बौद्धराजभेद। चरका नाम। । ।