पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/५३०

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यगानी-ययो सुरा वा आसव । इस चूणका सेवन करनेसे लोहारोग ऋग्वेद-संहिताके १०११ सूक्तमें यम और यमीके नए होता है। (भेषन्य० प्लीहायकृदधिकार) देवता और ऋपि वतलाया है। अतएव वे मन्त्रकर्ता हैं। यमानो ( स० स्त्रो०) यच्छति चिरमति निवर्तते अग्नि- यमो और यम यमज भाई वहन हैं । कथोपकथनमें माम्यमनयेति यम-करणे ल्युट, डोष, पृपोदरादित्वात् । यमी यमसे कहती है, 'विस्तीर्ण समुद्रके मध्यवत्ती साधुः । यमानिका, अजवायन । | इस निर्जन द्वीपमें आ कर मैं तुमसे सहवास करना यमानीषाड्व ( स० क्ली० ) औपधविशेष । प्रस्तुत चाहती हूं। क्योंकि गर्भावस्थासे हो तुम मेरा सहचर प्रणाली-अजवायन, इमली, सोंठ, अमलवेत, अनाय हो। विधाताने मनही मन सोच रखा है, कि हम दोनोंके खट्टाबेर, प्रत्येक दो तोला, धनिया, सचल लवण, संयोगले उन्हें एक सुन्दर नप्ता (पौल ) उत्पन्न होगा। जीरा और दारचीनी प्रत्येक एक तोला, पीपल १००, तुम पुत्रजन्मदाता पतिको तरह मेरे शरीरमें प्रवेश मिर्च २०० और चोनी ४ पल । सबको एक साथ पोसना करो।" यमने "अप्यायोपा हम दोनोंको माता हैं" यह कह होगा। यह संग्राही है। इसे मुहमें रख कर धीरे धीरे निग कर उन्हें लौटा दिया अर्थात् इच्छा पूरी न की। इस लना होता है। इससे जीम सफ रहतो, भूख बढ़ती और पर यमीने भाईको फटकारते हुए फिर कहा, "मैं काम- खांसी दूर होती है। (भैषज्यरत्ना० अरोचका) वामनासे मूच्छित हो कर इस प्रकार वार वार निवेदन यमानुग (सं० पु०) अनुगच्छति इति अनुगा, यमस्य . करती हूं फिर भी तुम नहीं सुनता। कमसे कम एक अनुगः । यमका अनुगामी, अनुचर। बार मेरे शरीरसे अपना शोरर मिला भी तो दो।" यमने यमानुचर (सं० पु० ) यमस्य अनुचरः। यमका अनुचर। उत्तर दिया; 'हे यमि ! तुम किसी दूसरे पुरुषका आलि- यमानुजा (सं० स्त्री०) यमराजकी छोटी बहन, यमुना। ङ्गन करो। जिस प्रकार लता वृक्षमें लिपट जाती है। यमान्तक (सं० पु०) यमस्य अन्तकः, मृत्युञ्जयत्वादेवास्य उसी प्रकार तुम किसी अन्य पुरुषमें लिपट जाओ। तथात्व। १ शिव । (शब्दरत्ना० ) यमश्च अन्तकश्च उसीका मन तुम चुरा लो। वही तुम्हारो प्यास बुझा- इति विप्रहे वैवस्वतकालौ। २ वैवखत और काला , वगा और उसोमें तुम्हारा मंगल है।" यमारि (सपु०) यमस्य अरिः। विष्णु। (ऋक् १०।१०११-१४) यमालय (सपु० ) यमस्य आलयः । यमका घर, यमपुर। ऊपरमें जिस घटनाका उल्लेख किया गया, वह सच कहते हैं, कि यह पृथ्वीसे ६६ हजार योजन अर्थात् , मुव रूपकके सिवा और कुछ भी नहीं है। विवस्वान्के १४८५००० माइल ऊपर है। . द्वारा अप्यायोपा ( सरण्यु) के गर्भसे यम और यमीका यमिक ( स० क्लो०) एक प्रकारका साम। . जन्म हुआ। विवखान् शब्दका अर्थ है आकाश । यमिन् (सं० वि०) यम, अस्त्यर्थे इनि। संयमी। ' सरण्यु या ऊपाके आकाशके साथ आकाशका विवाह, यमिष्ठ-(संवि०) संयममें अतिशय पटु । - इसका अर्थ क्या ? इसका अर्थ है, ऊपा आकाशको यमी (स० स्त्रो०) विवस्वत्को कन्या! संज्ञाके गर्भसे आलिङ्गन करती है। सरण्यु यमजोंको छोड़ चली गई यम और यमी दोनों यमजरूपमें उत्पन्न हुए। इसका अर्थात् अपांके अदृश्य होनेसे दिन हुआ। विवखान्ने दूसरा नाम यमुना हैं। (मार्कपडेयपुराण १०६।३-४)। दूसरी स्त्रीको पाणिग्रहण कियो अर्थात् सायंकाल में छायाके शापसे पद्मस्थलित यम धर्मराजत्वको प्राप्त हुए।। आकाशको आलिङ्गन किया। इधर अपने दूसरे दूसरे भाइयोंके कर्मनिर्देशके साथ दिवा और रात्रिका वैदिक प्रथम ऋपियोंने विवस्वान् साथ यमो भी यमुनारूपमें वहने लगी। (आकाश) और सरण्यु (प्रभात ) की यमज सन्तान "गवीयसी तु याऽभ्यास धिमी कन्यायशस्विनी॥ यम और यमो नाम रखा था। यम शब्द देखो। अभवत् सा सरित्नष्ठा यमुना लोकभाविनी।" . वाजसनेय-संहितामें हम लोग यम और यमी शब्द- (हरिवंश ६६५-६६) को प्रयोग उसी प्रकार एक भिन्न भावमें देखते हैं । वहां