पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/६०१

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५८ सुन्नत करने को विधिका अन्त करनेको आज्ञा देने पर 'मिशना' और पीछे 'तालमूद' नामक धर्मग्रन्थ प्रकाशित मिस्र, एशिया और पेलेष्टाइनके यहूदियोंने रामके विरुद्ध हुए। ये मूसाके कण्ठस्थ थे। सन् १९० ई० में पवित्र- अस्त्र उठाया। सन् १३४ ई०में युद्ध हुआ, किन्तु यहूदी चेता रवी युदाने उस श्रुति परम्परागत धर्मदेशोंका हार गये। युदिया नगरी फिर विध्वंस कर दी गई और सङ्कलन कराया। यह छः भागों में विभक्त और मिशना पांच लाख यहूदी तलवारसे उड़ा दिये गये । वाकी नामसे विख्यात हुआ । नाना टोका टिप्पनीको जोड देने के यहूदी गुलाम बनाये जानेके डरसे वहांसे भाग निकले। बाद यही गेमारा नामसे विख्यात हुआ था। यह मिशना और मिस्र में जा कर रहने लगे. इस समय पेलेप्टाइन जन- और गेमारा-विधि एकत्र होने पर 'तालमद के नामसे शून्य हो गया । जेरुसलेम नगरमें यहूदियों का प्रवेश निषेध परिचित हुई। इनमें तालमूद हो सर्वापेक्षा प्राचीन है। कर दिया गया। केवल जेन्टाइलों (जो यहूदी क्रिया- यह २रो शताब्दीके अन्तिम भागमें पेलेष्टाइनमें संगृहोत कम छोड़ कर खुधान हो गये थे)-को रहनेका अधिकार , हुमा था। इसके बाद ७वीं शताब्दी में वाविलन और मिला। इसके बाद वह नगरी इलिया (Aelia ) नामसे पारस्यवासो यहूदियों के लिये जो तालमूद संग्रहीत हुआ, मशहर हो गई। | उसका नाम 'वाविलनका तालमूद' रखा गया। रोमकोंके अधिकार होने पर जेरुसलेममें यहूदी धमका। इस तरह वर्तमान यहूदो सम्प्रदायमें जो धर्ममत फिर प्रचार न हो सका। वहूदियोंने ताइचेरियासमें प्रचलित है, वह कुछ अंशोंमें पारस्यवालोंके अनुरूप हैं। अपने धर्मका केन्द्र स्थापित किया । जुलियानके । इस समय सह सीय और कोराइस्गण तथा धर्मान्तराध- (Julian the Apostate) राजत्वकालमें यहूदियोंने फिर लम्बी यहूदियों को छोड़ दूसरे सभी तालमूदका अनु- जेरुसलेममें प्रवेश करनेका अधिकार पाया । जुलियान- सरण करने लगे। उक्त प्रन्यके सिवा वे विशेष भक्तिके को मृत्यु (सन् ४१० ई०में)के बाद यह स्थान ईसाइयों के साथ 'मसोरा' और 'काव्वाला' दोनों प्रन्योंके मतसे भी तीर्थस्थानक रूपमें परिगणित हुआ था। इसके दो चलते हैं। इसमे बाइबिलके आदि भाग ओल्ड टेष्टमेण्टका शताब्द पीछे ईसाकी पवित्र का मुसलमानोंक हाथ विशद अर्थ वर्णित है। आई । इससे ईसाइयों और मुसलमानोंमें कई धर्मयुद्ध जेरुसलेमले इधर उधर हो जाने पर यहूदियोंका इति- (Crusades) हुए थे। हास दो भार्गो विभक्त हुआ-अर्थात् जिन्होंने पशिया- सन् ६३६ ई०में खलीफा उमरने जेरुसलेमके मोविया के विभिन्न स्थानों में जा कर उपनिवेश स्थापित किया, • पर्वत पर एक मसजिद वनवाई। पाश्चात्य सम्राट चे प्राच्य और जो युरोपखण्डमें जा बसे, वे प्रतीच्य नाम- सालिमेनने खलीफा हारुन अल-रसीदसे पवित्र कनमें से विख्यात हुए । इन दोनोंके सिवा दिग्गामी शाखाका जानेका अधिकार प्राप्त कर लिया। किन्तु पीछे मुसल- पूर्वापर इतिहास विभिन्न है । पहले हम प्राच्य शाखा या मानोंने फिर उस नगरो पर अधिकार किया। इस एशियाके यहूदियोंका विवरण लिपिवद्ध करते हैं। सामय जो धर्मयुद्ध हुए थे, उनमें नगरवासी यहूदी ही की प्राच्य यहूदी। महती क्षति हुई थी। सन् १५१६ ई में प्रथम सलीमके राज्यकालमें यह नगरी औटोमन साम्राज्यके अन्तभुक्त __ पहले ही यहूदियोंके असीरीय और पारदसम्बन्धी वात लिखी जा चुकी है। इतिहास पढ़नेसे और भी हम ___ इस तरह नगर और मन्दिर दूसरेके हाथ चले जाने | लोग जान सके हैं, कि हेजाजके अन्तर्गत खैबर जलपथमें पर भी यहूदियोंने अपने जीवन या धर्मकर्मकी रक्षा की यहदियोंका एक सामन्तराज्य स्थापित हुआ था। वहां है। यह जेरुसलेमसे भगाये जाने के बाद इसरायल | प्रायः ५० हजार यहूदो वास करते थे। ये जर्दननदीके रविनोके गेलिलोके अन्तर्गत ताइवेरियास नगरमें एक दूसरे पारके रहनेवाले गद, रुबेन और मनासा जातिके महाधमंसद्ध आह्वान किया। इस स्थानसे पहले उनके वंशधर तथा वीर्यशाली कहे जाते हैं। भावार-व्यवहार