पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/६१६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

याकुन्दाबुली-याचक तक एक चौकोन गड्ढा खोद कर उसीमें दोनों स्नान , याकूत ( अ० पु० ) एक प्रकारका लाल रंगका बहुमूल्य करते हैं । पीछे वर और कन्याके माथेमें फलका हार और पत्थर, लाल । नया वस्त्र पहना कर एक साथ दोनोंको विठोया जाता | याकृत्क (सं० वि०) यकृत् (इसुसुक्तान्तात् कः ।पा १३५१) है। इसी समय ब्राह्मण पुरोहित आ कर वर-कन्याको इति क, दोघंश्च । यकृत्सम्बन्धोय । हार्थोंमें मन्त्र पढ़ कर सूता वांध जाते हैं । विवाह यावलोम (सं० वि०) यछल्लोमजनपद सम्बन्धीय । उपलक्षमें ये मिठाई भी वांटते हैं। | याग ( सं० पु०) पूज्यते इति यज-धञ् । यज्ञ । श्रौतसूत्र- तदनन्तर घर और कन्याको वैल पर चढ़ा मारुति में यज्ञका नामोल्लेख इस प्रकार लिखा है, मन्दिर में ले जाते और वहां नवदम्पतीकी मंगल कामना- श्रौताग्निकृत्य हविज्ञ सात है. यथा-अग्न्याधान को पूजा देते हैं। देवालयसे लौटने पर कन्याके पिता या अग्निहोत्र, दर्शपौर्णमास, पिण्डपितृयज्ञ, भाप्रयण, और माता आ कर वरकी माताके हाथ कन्याको सौंप चातुर्मास्य, निरुढ़पशुवन्ध और सौत्रामणि । ये सात देती है। श्रुत्युक्त हैं। ये मृतकको देह पहले एक खूटेमें वांधते । पोछे । ____स्मार्राग्निकृत्य पाकयज्ञ भी सात है, यथा-औपा- उसे कपड़ा पहनाते हैं। कोई कोई शवको जलाते | सन, वैश्यदेव, स्थालोपाक, आप्रयण, सर्पवलि, ईशान- और कोई गाड़ भी देते है। विवाहित व्यक्तिके मृत्यु पलि, अष्टकान्यटका। ये सात स्मृतिसम्मत हैं। होनेसे पांचवें या ग्यारहवें दिनमें श्राद्ध होता है। इनका श्रौताग्नियाग भो सात है; यथा-सोमयाग, इसका सामाजिक-वन्धन बड़ा दृढ़ है। समाजमें किसी प्रकारका | नामान्तर अग्निष्टोम, अत्यग्निष्टोम, उक्थ्य, पोड़शी, वाज. वाद विवाद होनेसे मेलिगिरिके वालकन्न उनकी मीमांसा पेय, यह दो तरहका है-संस्था और कुरु, अतिरात्र तथा कर देते हैं। ये व्यक्ति इनके साधारण धर्मगुरु हैं। अप्तोर्याम । याकुत्दाबुली-एक मुसलमान साधु। दाक्षिणात्यके | उत्तर याग अनक प्रकारका है, यथा-महाव्रत, सोतो- बीजापुर शहरके अर्फ केल्लाके उत्तरपूर्वमें इनका समाधि मुख, राजसूय, पौण्डरोक, अभिजित्, विश्वजित् अश्व- मन्दिर और मसजिद मौजूद है। मेध, वृहस्पतिसव, आङ्गिरस, तथा अठारह हायन इत्यादि योकुव-विन-लेइस-सफ्फर-एक मुसलमान अमोर ।बहुत तरहका उत्तर याग है। (श्रौतसू०) ये सव याग इन्होंने अब्बास-वंशके विरुद्ध खड़े हो कर अपने नाम पर वैदिक हैं। यज्ञ शब्द देखो। सफ्फारी वंशकी प्रतिष्ठा की । ये सामान्य एक कसेरेसे | यागकर्शण (सं० ली० ) यागस्य कर्म। यज्ञकर्म, यज्ञका अपने अध्यवसाय द्वारा सिस्तानके अधिपति हो गये थे। कार्य। इन्होंने श्य ताहिरके पुत्र महम्मदको पराजित और वन्दो | यागकाल (सं० पु०) यज्ञका उपयुक्त समय। कर खुरासान और ताधिरिस्तान दखल किया। खलीफा | यागपुरी-वर्तमान याजपुरका दूसरा नाम । मोतामिदं ऐसे अत्याचारसे बड़े विगड़े और राजद्रोही जान (वृ० नीम० २३) इन्हें दण्ड देनेके लिये तागदादको ओर बढ़े, किन्तु | योगमण्डप ( स० पु०) यज्ञमण्डप, यज्ञशाला। रास्ते हीमें ८७४ ईमें उनको मृत्यु हो गई जिससे | | योगसन्तान (सं० पु० ) इन्द्रके पुत्र जयन्तका एक नाम । याकुवने छुटकारा पाया। याकुवके मरने पर उनका | यागसिद्ध (सं० वि० ) योगेन सिद्धः । यज्ञ द्वारा सिद्धि- भाई अमरु-विन्-लेस गहो पर बैठा। याकुब खाँ-कन्दहारक शोसनकर्ता शेरअली खाँके | यागसत्र (स० क्लो०) यागेन धृतं सूत्रं । यज्ञसूत्र, यज्ञो- पुत्र। इन्होंने १८७६ ई०में गण्डमाक-शिविरमें आ कर | पवीत। अगरेजोंके साथ सन्धि कर ली थी। यागेश्वर-हिमालयके शिव । ___ कानुन और कन्दहार देखो। याचक (स० वि०) याचत इति याच ण्वुल । १ यात्रा- प्राप्त। vii, xvill, 154