पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/६१७

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६१४ याचन-याजपुर कर्ता, मांगनेवाला । २ भोखमंगा । पर्याय-बनी- , याचित् (सं० त्रि०) याच-तृच् । याचक, मांगनेवाला। यक, याचनक, मार्गण, अर्थी, भिक्षुक, भिक्षाकर। | याचिन् (सं०नि०) याचनाकारो, भिक्षक। (शब्दरत्ना०) | याचिष्णु (सं० त्रि०) याचक, मांगनेवाला। नीतिशास्त्रमें याचक बड़ा लघु समझा गया है। याज्ञा (सं० स्त्रो०) याच् (चजयाच्यतविच्छप्रन्छरक्षो गरुडपुराणमें लिखा है, कि जगत्पति विष्णुने जाननेके नङ्पा ३।३।६० ) याचन, विनती करना । पर्याय- लिये हो वामनरूप धारण किया था। सैकड़ों कष्ट भुग- अभिशक्ति, याचना, अर्थना, भिक्षा, अर्दना, लालसा । तना अच्छा है, पर मांगना अच्छा नहीं। वैदिक पर्याय-ईमहे, यामि, मन्महे, दद्धि, शद्धि, पूर्दि, (गरुडपु० नीतिसार ११५ म०) मिमढि, मिमोहि, रिरिढढि, रिरोहि, पीपरत्, पन्तार, याचत् (सं० वि० ) याचतोति याच-शत् । याचक, मांग- यन्धि, इषुध्यति, मदेमहि, मनामहे, मायते । नेवाला । . (वेदनि० ३ अ.) "मुखमंगः स्वरो दीनो गात्रस्वेदो महद्भयम् । याच्य (सं० त्रि०) याच यत् । याचनीय, याचना करने • . मरणे यानि चिह्नानि तानि चिह्नानि याचतः ॥" योग्य। ___(गरुडपु० ११५ अ०) याज (सं० पु०) यज्ञकारी, यज्ञ करानेवाला। याचन (सं० क्ली०) याच भावे ल्युट । याचज्ञा, प्रार्थना। ( भाग० ६॥२३॥३३) याचनक (स.लि.) याचन स्वार्थे कन् । १ याचक, | याज (सं० पु.) १ अन, अनाज । २ महाभारतके अनु- भिक्ष क। २ षिवाहके लिये कन्याको प्रार्थना करने | सार एक प्राचीन ऋषिका नाम । वाला। याजक (सं० पु०) यजतोति यज -ण्वुल । १ याशिक, याचना (सं० स्त्री०) याच्-स्वार्थे णिच, यु-टाप । यज्ञ करनेवाला। २ राजाका हाथो । ३ मत्तहस्तो, याचना, प्रार्थना। मस्त हाथो। ४ ऋत्विक् । याचना (हिं० कि० ) प्राप्त करने के लिये विनती करना, ___जो यजन कार्य करते हैं, वे याजक कहलाते हैं। मांगना। बहुत याजन और प्रामयाजन करनेसे भारी दोष लगता याचनीय (सं० लि.) याच अनीयर् । प्रार्थनीय, मांगने है। जो ब्राह्मण वहुत यजन करते हैं वे अब्राह्मणमें गिने योग्य। जाते हैं। जो ब्राह्मण सात शूद्रसे अधिक शूद्र याजन याचमान (सं० लि०) याचते इति याच-शानच । याचक, या यज्ञ कराते हैं उन्हें ग्रामयाजी कहते हैं और जो मांगनेवाला। ग्रामयाजी हैं वे महापातकी हैं। इन्हें कुम्भीपाक नरक याचित (सं० क्ली०) याच्-क्त। १ याचनवृत्ति, मांगनेको होता है। (ब्रह्मवैववर्त्तपु० प्रकृतिखं० २७ अ०) क्रिया। पर्याय-मृत । यह मृततुल्य दुःखजनक है | याजन (सं० क्लो०) याज्यते इति यज-णिच् ल्युट । याग- इसलिये इसका नाम मृत तथा अयाचितका नाम अमृत क्रियाकरण, यज्ञकी क्रिया। है। (त्रि०) २ प्रार्थित वस्तु, मांगी हुई चीज। याजनीय (सं० लि०) यज-णिच् अनीयर् । याहनाई, याचितक (सं० क्लि.) याचितेन निवृत्त याचित (अप- | यज्ञ करनेयोग्य। मित्ययाचिताभ्यां ककनी । पा ४४२१ ) इति कन् । याच याजपुर-१ उड़ीसाके कटक जिलान्तर्गत एक उपविभाग। झाप्राप्त, मांगी हुई वस्तु। जो वस्तु मांगो जाती है तथा यह अक्षा० २०. ३९से २१ १० उ० तथा देशा० ८५°४२ काम शेष होने पर फिर लौटा दी जाती है उसीको याचि- से ८६ ३७' पू०के मध्य अवस्थित है । भूपरिमाण तक कहते हैं। ११०५ वर्गमील और जनसंख्या ६ लाखके करीव है। पाचितव्य (सं० त्रि०) याच-तव्य। याचनाके योग्य, याजपुर और धर्मशाला थाना इसके अन्तर्गत है। मांगने लायक। । २ उक्त उपविभागका एक प्राचीन नगर । यह अक्षा०