पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/६५४

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६५१ यादवव्यास-यादवाड़ नाइनके गर्भसे तथा आहर, सिनसिनवाल और कुछ | यादु ( स० पु०) १ जल, पानी ।२ कोई तरल पदार्थ । जाटवंश या दोनोंके संस्रवसे उत्पन्न हुए हैं। यादुविद्या (स० स्त्री०) १ भोजवाजी । २ भौतिकविद्या.। भौतिकविद्या देखो। ___ वर्तमान सामाजिक अवस्थानुसार यादोन और यादोनवशियोंमें कुछ प्रभेद देखा जाता है । यादोनवंशी- यादुर (स० त्रि०) वहु रेतोयुक्त, वीर्यवान् । का राजपूतोंके साथ आदान प्रदान चलता है, गर यादोन यावृक्ष ( स० त्रि०) य इव दृश्यते यमिव पश्चति वा दृश् अपने में ही विवाहादि करते हैं। (शेः क्षश्च वक्तव्यः । पा शरा६०) इति वार्तिकोक्त्यो यादवण्यास-रामकृष्ण पण्डितके शिष्य और नृसिंहके कस, (आसर्वनाम्नः। पाश६१) इत्यत्र 'दृक्षे चेति पुत्र! इन्होंने न्यायसिद्धान्तमञ्जरोसार और अनुमान- | वक्तव्यः' इत्यात्वं । जैसा, सादृश । मञ्जरीसार, शिवतत्वावोध तथा सिद्धान्तसंग्रह वहुत- | यादश (सत्रि०) य इव दृश्यते दृश् (त्यदादिषु दृशोऽना- से अन्य बनाये । न्यायसिद्धान्तमञ्जरोसारमें इन्होंने लोचनेकञ्च । पा ३२।६० ) इति चकारात् क्विन्, 'आसर्व- शौडल उपाध्यायका नामोल्लेख किया है। ये यादव | नान' इत्याकारादेशः। जैसा. जिस प्रकारका। पण्डित नामसे भो जनसाधारणमें परिचित थे। यादश (स' नि०) य इत दृश्यते इति दृश (त्यदादि- यादवपुर-१ वङ्गालके चन्द्रदीपके अन्तर्गत एक पुराना | यदृश इति । पा ३।६०) इति कञ् आकारादेशः। जिस गांव। २ यशोर और चौबोस परगनेके अन्तर्गत एक | प्रकारका, जैसा। एक गांव। | यादृशी (स० वि० स्त्री० ) जैसी, जिस प्रकारकी। यादवप्रकाश-वैजयन्ती नामक अभिधान तथा विष्णुः यादगार महम्मद (मिर्जा)-अमीर तैमूरके प्रपौत्र मीर्जा स्मृतिको विस्तृत टीकाके रचयिता। ये यादव नामसे जनसाधारणमें परिचित थे। महम्मदके पुत्र। ये १४३४ ई०में अपने पितामह मोर्जा यादवप्रकाश-यतिधर्मसमुच्चयके रचयिता । प्रपण्णामृतके वाइसनगढ़के मरने पर खुरासानके शासनकर्ता नियुक्त मतसे संन्यासधर्म ग्रहण करनेके बाद इनका रामानुजने हुए। जव सुलतान हुसेन वैनाड़ा हिरटने दखल किया गोविन्ददास नाम रखा। तव यादगरने उनके विरुद्ध युद्धयात्रा कर दी। कई यादवप्रकाशस्वामी-एक विख्यात कवि । लड़ाईयोंके वाद १४७० ई में एक दिन नैशयुद्धमें ये मारे यादवसूरि-ताजिककौस्तुभ और ताजिकयोगसुधानिधि गये। कविता वनानेमें ये बड़े मशहूर थे। नामक दो थके रचयिता। . याद्गर नाशिर ( मोर्जा)-वावर शाहके भाई। सम्राट यादवाचार्य-कांचीवासी एक दण्डी संन्यासी ।ये रामा- हुमायू जव १५४६ ईमें दलवलके साथ पारससे लौटे नुजके गुरु थे। इनका दूसरा नाम यादवप्रकाश था। उस समय याद्गरने सेनादलको राजद्रोहितावरणमें प्रवृत्त यादवी (स. स्त्री० ) १ यदुकुलकी स्त्री। २ दुर्गा। होनेके लिये प्ररोचित किया। सम्राटके खुल्लतात होने यादवेन्द्र-दक्षिणाकालीपूजापद्धतिके रचयिता। पर भी विचारमें उनको प्राण दण्ड हुआ था। यादवेन्द्र (स.पु०) यादधानामिन्द्रः । श्रीकृष्ण । याद्वाड-वम्बईप्रदेशके बेलगाम् जिलान्तर्गत एक नगर । यादवेन्द्रपुरी-पद्यावलीधृत एक कवि । यह गोकाकसे २५ मील पूर्णमें अवस्थित है । बहुत यादवेन्द्रभट्ट-स्मृतिसारके प्रणेता। ये यादव विद्याभूषण | प्राचीनकालसे इस स्थानकी समृद्धिका परिचय पाया नामसे भी परिचित थे। जाता है। १६६५ ई०में इटली-वासो भ्रमणकारी जनेली यादवेन्द्र सरस्वती-शङ्करमतावलम्बो १३वें गुरु। कवेरी इस स्थानको देखने आये थे। १७४६ ई०में सव- यादस् (सं० क्ली०) यान्ति वेगेनेति या असुन वाहुल नूरके नवाव माजिद खाँ महाराष्ट्र-दलसे हार कर इस कादागमश्च । १ जल, पानो। २ जलजन्तु, जलमें रहने स्थानको छोड़ देनेके लिये वाध्य हुए । १७६४ ई०में वाला प्राणो। पेशवाने सामरिकसरञ्जम अर्थात् सेनादलके खर्चवर्चके